Nanhe Shah Dargah Izzat Nagar : अभी उत्तराखंड के हल्द्वानी का मामला शांत भी नहीं हुआ कि रेलवे के एक और डिसीजन ने फिर से माहौल गरम सा कर दिया है। उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थित इज्जत नगर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर स्थित सइय्यद नन्हें मियां शाह के मजार (Nanhe Shah Dargah Izzat Nagar ) रेलवे की तरफ से हटाने का नोटिस जारी किया गया है। पर क्या आप जानते हैं, जिस सइय्यद नन्हें मियां शाह के मजार को रेलवे ने हटाने को कहा है, उसका अपना एक बुलंद इतिहास है। कहते तो ये भी हैं कि अंग्रेजों तक ने इस मजार के सामने घुटने टेक दिये थें, कई बार की कोशिशों के बाद भी अंग्रेज इस मजार को हटा नहीं सके थे। क्या आपको पता है, उत्तर प्रदेश के और किन-किन स्टेशनों पर शहीदों की मजार है, चलिए जानते हैं।
नन्हें शाह मजार का इतिहास
मजार की देखरेख करने वाले मौलवी बताते हैं कि, 1564 में सइय्यद नन्हें शाह का मजार (Nanhe Shah Dargah Izzat Nagar) यहां बनाया गया था। ब्रिटिश शासन में एक बार रेलवे की पटरियां बिछाने के लिए इस मजार को यहां से हटा दिया गया था। पर अगली सुबह जब अंग्रेज अधिकारी वहां पहुंचे तो मजार उसी जगह जस की तस बनी हुई थी जहां से उसे हटाया गया था और पटरियां उखड़ी पड़ी थी। अंग्रेज हैरान रह गए। इसके बाद उन्होंने अपना इरादा बदल दिया और मजार से कुछ दूर हटकर रेलवे की पटरियों को बिछाया गया।
दुआएं होती है पूरी
लोगों का मानना है कि यहां जो भी दुआएं मांगी जाए वो पूरी होती है। सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्की हिन्दु समुदाय के लोगों की भी आस्था इस मजार (Nanhe Shah Dargah) से जुड़ी है। गुरुवार के दिन नन्हें शाह की मजार पर भारी संख्या में अनुयायियों की भीड़ जुटती है। रेलवे की इस डिसिजन के बाद से ही यहां आने वाले अनुयायियों में नाराजगी देखी गई है। लोग ये भी कह रहे कि रेलवे को हमारी आस्था से खिलवाड़ नहीं करना चाहिये। मजार को हटाने से बरेली की गंगा-जमुनी तहजीब को ठेस पहुंचेगी।
मजार हटाने का नोटिस
28 दिसंबर 2022 को डीआरएम रेलवे ऑफिस ने इज्जत नगर रेलवे स्टेशन से नन्हें शाह मजार को हटाने का नोटिस जारी किया था। इसका पता चलते ही दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के सदस्यों ने रेलवे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अनुयायी नन्हें मियां शाह की मजार पहुंचे और फातिहा पढ़ा और स्टेशन अधीक्षक से मुलाकात कर इस बारे में बात की। तब पता चला की अभी तक उन्हें कोई नोटिस नहीं मिली है। उन्हें तो खुद समाचार पत्रों से इस आदेश के बारे में पता चला।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बरेली जनपद कोर्ट में याचिका दायर की है। 2 और 5 जनवरी को इस मामले में सुनवाी हुई, जिसमें रेलवे को अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी, तब तक स्टेशन से मजार को हटाया नहीं जा सकता।
उत्तर प्रदेश के इन स्टेशनों पर भी है मजार, जहां अनुयायियों की जुटती है भीड़-
कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म नंबर 3 पर भी एक मजार है, जहां हर गुरुवार को अनुयायी दर्शन – पूजन को आते हैं। यहां बाकायदा बोर्ड भी लगा है, जिसपर लिखा है – हजरत सैयद लाइन शाह बाबा मजार, प्लेटफार्म नंबर 3, कृपया सफाई का विशेष ध्यान रखें।
-लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन में स्थित खम्मन पीर बाबा दरगाह भी काफी प्रचलित हैं, दूर दराज से लोग यहां मत्था टेकने पहुंचते हैं। केलव मुस्लिम ही नहीं हिन्दु भी यहां अपनी मुरादें लेकर आते हैं।
-पंडित दीनदयाल उपाध्याय (मुगलसराय स्टेशन) के प्लैटफॉर्म नंबर 2 के पश्चिमी छोर पर हजरत लाइन शहीद रहमतुल्लाह अलैहे की मजार पर हर साल धूम धाम से उर्स का मेला लगता है। गुरुवार को यहां खासा भीड़ जुटती है।
-गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर हजरत मुसा शाह शहीद रहमतुल्ला अलैह और हजरत मंगल शाह शहीद रहमतुल्ला अलैह की दरगाह रेलवे लाइंस के बीच में स्थित है। इनकी दरगाह करीब 200 साल पुरानी बताई जाती है। इस दरगाह की भी अपनी मान्यता और इतिहास है। अगर आपको भी ऐसी मजार के बारे में पता है जो सैकड़ों सालों से स्टेशन पर हैं, तो जरूर बताएं।
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