World Tourism Day : आज विश्व पर्यटन दिवस ‘World Tourism Day‘ पर हम आपको धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी – वाराणसी के उन कुछ खास जगहों के बारे में बताएंगे, जो वाराणसी की पहचान है। ताकी जब आप वाराणसी घूमने का प्लान बनाए तो इन जगहों पर जरुर विजिट करें। आज वाराणसी सबसे व्यस्ततम शहरों में से एक है। यहां की घुमावदार पतली-पतली गलियों में आपको ऐसे-ऐसे पुराने आर्किटेक्चर देखने को मिलेंगे, जो शायद ही कहीं दिखे। दुनिया भर में मंदिरों और आध्यात्म के लिए फेमस इस शहर में और भी कई सारी मस्ट विजिट प्लेसेज़ हैं,जहां आपको अपनी फैमली या फ्रैंड्स के साथ एक बार तो जरुर जाना चाहिये। तो आइये जानते हैं अल्लहड़ बनारस-वाराणसी की उन ‘Must Visit Places‘ के बारे में।
Shri Kashi Vishwanath Corridor
वाराणसी आएं और श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन नहीं किया तो समझिये यहां आना ही व्यर्थ है। सन् 1780 में अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार कराया था। गंगा नदी के किनारे बसा ये बाबा भोलेनाथ का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस पूरे मंदिर का पुनरोद्धार हुआ है, जिसके बाद से यहां आने वाले लोगों की संख्या में 10 गुना ज्यादा हो गई है। कॉरिडोर बनने के बाद से वाराणसी में Tourism काफी तेजी से बढ़ा है। 13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने इसका लोकार्पण किया था। घाट पर बने गेट को गंगा द्वार कहा जाता है, जहां से लोग डायरेक्ट मंदिर में जा सकते हैं। वाराणसी आ रहे हैं तो श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन और कॉरिडोर देखने जरुर जाएं।
Namo Ghat (खिड़किया घाट)
वाराणसी की टूरिस्ट प्लेसेज़ में ये नाम हाल ही में जुड़ा है। नमो घाट जिसका नाम पहले खिड़किया घाट था। पीएम मोदी के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इस पूरे घाट की काया पलट कर दी गई। वाराणसी का ये हाइटेक घाट सौलानियों को खूब पसंद आता है। यहां वेहिकल पार्किंग से लेकर चिल्ड्रेन पार्क और सेल्फी प्वाइंट बने हैं। नमो घाट पर देश का पहला फ्लोटिंग CNG स्टेशन भी बना है। शाम होती ही यहां पर्यटकों की भीड़ जुट जाती है। शनिवार और रविवार को यहां काफी भीड़ होती है। देव दीपावली और शिवरात्रि पर नमो घाट पर कई बड़े प्रोग्राम्स भी ऑर्गनाइज़ किये जाते हैं।
Dashashwamedh Ghat (दशाश्वमेध घाट)
गंगा किनारे बसा वाराणसी का सबसे फेमस घाट दशाश्वमेध घाट है। हर टूरिस्ट शाम के वक्त यहां होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखने जरुर आता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद यहां की गंगा आरती देखने दो बार आ चुके हैं। दशाश्वमेध घाट की इस गंगा आरती को देखना खुद में एक ऐसा अनुभव है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। आप चाहे वाराणसी अकेले आ रहे हैं या फैमिली के साथ जा रहे हैं, इस घाट का नजारा देखना बिल्कुल न भूलें।
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New Vishwanath Temple BHU
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के अंदर स्थित भगवान शिव के इस मंदिर में दर्शन करने लिए रोजाना पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। काशी विश्वनाथ के बाद साउथ इंडियन टूरिस्ट्स की भीड़ न्यू वीटी में भी होती है। इस मंदिर का निर्णाण बि़ड़ला परिवार ने करवाया था। मंदिर के बारे में एक बड़ी बात यह है कि यह सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि असल में सात अलग-अलग मंदिर हैं जो मिलकर एक बड़ा धार्मिक परिसर बनाते हैं। वाराणसी आ रहे हैं तो, आपको इस जगह विजिट करने जरुर आना चाहिये।
Durgakund Temple (दुर्गाकुंड मंदिर)
वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित देवी कूष्मांडा (Devi Kushmanda) का ये भव्य मंदिर अपने आप में कई सारे चमत्कार और रहस्य समेटे है। देवी कूष्मांडा का ये मंदिर बीसा यंत्र पर स्थापित है, बीसा यंत्र मतलब बीसकोण की यांत्रिक संरचना, जिसपर मंदिर की आधारशिला रखी गई है। इसमें मूर्ति के बजाय यंत्र पूजन किया जाता है। गर्भगृह के कपाट तीन तरफ से खुलते है। 18वीं शताब्दी में बंगाल की महारानी भवानी ने इस विशाल मंदिर और इसमें कुंड बनवाया था। लाल पत्थरों से बने इस भव्य मंदिर के एक तरफ दुर्गाकुंड है। मंदिर के निकट ही बाबा भैरोनाथ, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, और माता काली की मूर्तियां अलग से मंदिरों में स्थापित हैं।
Assi Ghat (अस्सी घाट)
अस्सी घाट को अगर बनारस का दिल कहेंगे तो ये गलत नहीं होगा। बीएचयू के स्टूडेंट्स की शाम की चाय की अड़ी इसी घाट पर लगती है। घाट की किसी न किसी सिढ़ी पर एक म्यूजिक आर्टिस्ट आपको अपनी धुन में ही खोया दिखेगा। अस्सी घाट की लीकर यानी नींबू की चाय वर्ल्ड फेमस है। यहां जाएं तो, भौकाल चाट वाले के गोलगप्पे और आलू चाट का स्वाद जरुर चखें। शाम के वक्त यहां की गंगा आरती का अद्भुत नजारा आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। समझ लिजिये बनारस वालों का ‘मरीना बीच है अस्सी घाट’।
Sarnath (सारनाथ)
सारनाथ जहां महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। यहां आपको घूमने और जानने के लिए बहुत कुछ मिलेगा। सारनाथ के उत्खनन स्थल में मौर्य काल के मूलगंधा कुटी विहार अवशेष, धर्मराजिका स्तूप अवशेष, धमेक स्तूप, अशोक स्तंभ, स्मारक, अवशेष, मठ जैसी संरचनाओं की एक खुली प्रदर्शनी यहां प्रदर्शित की गई है।
चौखंडी स्तूप सारनाथ में एक महत्वपूर्ण बौद्ध स्तूप है। चौखंडी स्तूप को मूल रूप से गुप्त काल के दौरान चौथी और छठी शताब्दी के बीच उस स्थान को चिह्नित करने के लिए बनाया गया था जहां भगवान बुद्ध और उनके पहले शिष्य बोधगया से सारनाथ की यात्रा करते थे।
सारनाथ के पुरातात्विक खंडहर परिसर में भगवान बुद्ध के जीवन पर आधारित लाइट एंड साउंड शो भी रोज शाम को चलता है। ये काफी इंट्रेस्टिंग और मजेदार है। अमिताभ बच्चन की आवाज में बुद्धम शरणम् गच्छामि, धम्मम शरणम गच्छामि मंत्रों के साथ लाइट एंड साउंड का संचालन किया जाता है। बच्चों के साथ जा रहे हैं, तो उन्हें यहां जरुर लेकर जाए।
Rajdari (राजदारी)
वाराणसी से लगभग 70 किलोमीटर दूर राजदारी लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। यह एक पहाड़ी इलाका है, जहां सुंदर झरने पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं। वीकेंड पर लोग यहाँ परिवार के साथ पिकनिक मानाने और झरनों का आनंद लेने के लिए आते हैं। इस जगह आपको घूमने के लिए पूरे एक दिन चाहिये होगा, अगर ज्यादा दिन के लिए वाराणसी में रुकने का प्लान कर रहे हैं तो यहां विजिट कर सकते हैं।