कुछ बातें जो जुबान नहीं समझा पाती वो एक तस्वीर समझा देती है। कहावत भी है कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है। कभी कभी शब्दों से ज्यादा एक तस्वीर सामने वाले पर ज्यादा प्रभाव डालती है। किसी को खुश करना हो या मनाना हो। अब सॉरी और थैंक्यू शब्द से ज्यादा एक इमोजी या जीआईएफ का इस्तेमाल ये बताता है कि तस्वीरों की हमारी जिंदगी में क्या अहमियत है। आज तस्वीरें हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक हिस्सा बन गई हैं। 19 अगस्त को हर साल वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है। इसकी शुरुआत नौ जनवरी, 1839 को फ्रांस में हुई थी। विश्व फोटोग्राफी दिवस 2022 का थीम इस बार Pandemic Lockdown Through The Lens (पेंडेमिक लॉकडाउन थ्रू द लेंस) है।
वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाने के पीछे की कहानी
वर्ल्ड फोटोग्राफी डे की शुरुआत 1839 में फ्रांस में हुई थी। फ्रांस में उस वक्त एक फोटोग्राफी प्रक्रिया की घोषणा की गई, जिसे डॉगोरोटाइप प्रक्रिया कहा जाता है। इसी प्रक्रिया को दुनिया की पहली फोटोग्राफी प्रक्रिया भी माना जाता है। फ्रांस के जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर ने इसका आविष्कार किया था। 19 अगस्त, 1839 को फ्रांस की सरकार ने इस आविष्कार की घोषणा की और उसका पेटेंट हासिल किया। यही वो दिन है, जिसे याद रखने के लिए हर साल 19 अगस्त को ‘वर्ल्ड फोटोग्राफी डे’ यानी ‘विश्व फोटोग्राफी दिवस’ मनाया जाता है।
कब ली गई थी दुनिया की सबसे पहली तस्वीर
कोरा में दिये गए एक लेख के अनुसार, कैमरे में दुनिया की सबसे पहली तस्वीर 1826 में जोसेफ निकोरेफ नीएपसे ने ली थी। यह तस्वीर फ्रांस के बरगंडी में नीपेस एस्टेट की ऊपर की खिड़कियों से ली गई थी। इस तस्वीर को हेलियोग्राफी के रूप में जाना जाने वाली प्रक्रिया के माध्यम से कैप्चर किया गया था, जिसमें ग्लास या धातु के टुकड़े पर लेपित बिटुमेन का उपयोग किया गया था। फोटोग्राफर ने एक कैमरा प्लेट के साथ एक पिवर नाम की प्लेट पर ध्यान केंद्रित करके शॉट लिया था , जिसमें पूरी प्रक्रिया में उन्हें लगभग आठ घंटे लगे थे।
कब ली गई रात में सबसे पहली तस्वीर
दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, 1906 में पहली बार रात में तस्वीर ली गई। ये तस्वीर हिरणों की, थी जिसे कैमरे में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर जॉर्ज शिरास ने कैप्चर किया था। यह तस्वीर मिशिगन की वाइटफिश नदी में ली गई थी। जैसे ही जानवर मौके पर पहुंचे जॉर्ज ने रिमोट से संचालित होने वाले फ्लैशलाइट कैमरे का इस्तेमाल कर तस्वीरों को कैप्चर किया था।
नाइन्टीज के ऐरा में फोटोग्राफी में एक बड़ा बदलाव और प्रचलन देखने को मिला, जब लोगों के पास पॉकेट कैमरा होने लगा। लोग इसे रौब और शौक के तौर पर कमर पर खोंसे बाहर निकलने लगे और तस्वीरें लेने लगे। धीरे धीरे वो दौर भी खत्म हुआ और स्मार्टफोन आने के बाद सेल्फी लेने की शुरुआत हुई। हालांकि स्मार्टफोन से पहले ही सेल्फी की शुरुआत हो चुकी थी।
कब ली गई थी दुनिया की सबसे पहली सेल्फी
सेल्फी शब्द का पहली बार उपयोग आस्टे्लिया की एक वेबसाइट “forum abc online” ने 2002 में किया था। कहा तो यह भी जाता है कि सबसे पहली सेल्फी लेने वाले व्यक्ति अमेरिका के फोटोग्राफर रॉबर्ट कॉर्नेलियस थे जिन्होंने साल 1839 में अपनी खुद की सेल्फी ली थी। वहीं कुछ अन्य लोगों के अनुसार स्वीडिश आर्ट फोटोग्राफर ऑस्कर गुस्तेव रेजलेंडर ने सन 1850 में दुनिया की पहली सेल्फी ली थी। टाइम पत्रिका ने साल 2012 के अंत में साल के 10 शब्दों में ‘सेल्फी’ शब्द को स्थान दिया था। ऑक्सफो्र्ड अंग्रेजी शब्दकोश ने ‘सेल्फी’ शब्द को साल 2013 का ‘वर्ड ऑफ द इयर’ कहा था।