Sriharikota : ISRO ने अपना पहला सूर्य मिशन श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया। चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-1 की लॉन्चिंग भी श्रीहरिकोटा से हुई थी। मंगलयान मिशन की भी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा से हुई थी। सोचने और जानने वाली बात ये है कि सारे रॉकेट की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा (Sriharikota) के सतीशधवन स्पेस सेंटर से ही क्यों होती है।
साल 1969 में आंध्रप्रदेश के श्रहरिकोटा (Sriharikota) में एक जगह चुनी गई जिसे रॉकेट का लॉन्चिंग स्टेशन बनाया गया। पहली लॉन्चिंग 1971 में हुई। पहले इसका नाम श्रीहरिकोटा लॉन्चिंग स्टेशन ही था। बाद में 5 सितंबर 2002 को इसका नाम बदलकर सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा रख दिया गया। सतीश धवन इंडियन मेथेमेटिशियन और ऐरो स्पेस इंजीनियर थें। इसके साथ ही वो ISRO के तीसरे चेयरमैन भी थें, उन्ही की याद में इस लॉन्चिंग स्टेशन का नाम रखा गया।
Sriharikota को ही क्यों चुना गया
इसे जानने से पहले आपको ये जानना होगा कि रॉकेट लॉन्चिंग के लिए कौन-कौन से फैक्टर्स सबसे जरूरी होते हैं। सबसे पहला ये कि लॉन्चिंग स्टेशन के आस पास क्या है और कैसा वातावरण है और वो जगह पृथ्वी पर कहां है। ये सारी बाते किसी रॉकेट के लॉन्चिंग के लिए सबसे जरूरी होती हैं।
Equator के पास होना सबसे बड़ी वजह
ज्यादातर रॉकेट इसी जगह से इसलिए लॉन्च होता है क्योंकि इसकी सबसे बड़ी वजह इस जगह का इक्वेटर (Equator) के पास होना है। Equator के पास होने से रॉकेट का काफी सारा फ्यूल बच जाता है। क्योंक इक्वेटर के आस पास से रॉकेट लॉन्च होती है तो रॉकेट को नेचुरल बूस्ट मिलता है, जिससे इंधन यानी (Fuel) बचता है। इसलिए थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन भी इक्वेटर के पास ही है।
इसके अलावा पृथ्वी पूर्व की दिशा में घूमती है। अगर लॉन्चिंग डायरेक्शन पूरब की दिशा में हो तो, रॉकेट को एक बाहरी सपोर्ट भी मिलता है। इसलिए अधिकतर देशों के रॉकेट स्टेशन पूरब की दिशा में हैं।
जब भी किसी रॉकेट को लॉन्च किया जाता है इस बात का भी ध्यान दिया जाता है कि उस जगह के आस पास कोई रहता न हो, और जो रहते भी हैं उन्हें वहां से हटा दिया जाता है, ताकि रॉकेट में कोई गड़बड़ी होने पर उससे किसी का नुकसान न हो सके। इसलिए ऐसे लॉन्चिंग स्टेशन रेगिस्तान या आइलैंड पर बनाए जाते हैं, और सतीश धवन लॉन्चिंग स्टेशन बंगाल की खाड़ी के पास है।
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इसके अलावा मौसम के हिसाब से भी श्रीहरिकोटा (Sriharikota) लॉन्चिंग के लिए एकदम सही जगह है। क्योंकि साल में 9-10 महीने सूखा होता है। साथ ही ये जगह पानी से घिरा हुआ है। श्रीहरिकोटा के अलावा भी ISRO के पास और लॉन्चिंग स्टेशन भी है। केरल के तिरुअनंतपुरम में थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन भी है। पहले सभी रॉकेट यहीं से लॉन्च किये जाते थे।
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