PFI Banned For Five Years : पिछले कई दिनों से चर्चा में चल रहे PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) को गृह मंत्रालय ने पांच सालों के लिए बैन कर दिया है। इसके सभी सहयोगी संगठनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। गृह मंत्रालय ने PFI को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। आतंकी संगठनों इस्लामिक स्टेट और जमात-उल-मुजाहिदिन बांग्लादेश से PFI के साथ रिश्तों के सुबूत मिले हैं। इसके अलावा PFI के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के भी सुबूत मिले हैं। देश भर में इससे जुड़े 350 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं, देश और दुनिया में इस वक्त हाइलाइटेड PFI आखिर है क्या। PFI करता क्या है और क्यों हिन्दू समेत मुस्लिम समुदाय में भी PFI के खिलाफ इतना गुस्सा है।
PFI क्या है
PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया,स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) की एक शाखा है। SIMI को सरकार ने साल 2001 में ही बैन कर दिया था। PFI को साल 2007 में साउथ के तीन संगठनों को मिलाकर बनाया गया था। कोझिकोड में एक बैठक के दौरान तीन घटक राष्ट्रीय विकास मोर्चा (एनडीएफ) केरल, मनीथा नीथी पासराय (एमएनपी) तमिलनाडु और कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी (केएफडी) कर्नाटक का विलय कर PFI का गठन किया गया। PFI की माने तो ये दलितों, अल्पसंख्यकों को अधिकार के लिए लड़ने वाली एक सामाजिक संस्था है।
PFI पर क्यों लगा बैन और इसपर लगने वाले आरोप
PFI पर हत्या समेत दंगों को भड़काने का आरोप
जघन्य हत्या के 10 मामलों में PFI की सीधी संलिप्तता मिली है। PFI के सदस्यों पर 2010 जुलाई में एक शिक्षक टीजे जोसेफ के हाथ काटने का आरोप लगा था। पीएफआई को CAA विरोधी प्रदर्शनों के फंडिंग में शामिल पाया गया। CAA विरोध के दौरान PFI ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में अहम भूमिका निभाई थी। साल 2021 में PFI को असम के दरांग जिले में पुलिस बेदखली अभियान के दौरान हिंसा भड़काने में शामिल पाया गया था।
आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप
इसी साल जुलाई में चार PFI सदस्यों पर निजामाबाद में यूएपीए के तहत राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए मामला दर्ज किया गया था। PFI के कई सदस्यों पर ये भी आरोप है कि ये आइएस की सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों में शामिल हुए थे।
धर्मांतरण कराने का भी आरोप
PFI पर साल 2019 में धर्मांतरण गतिविधियों के बारे में कुछ मुसलमानों के साथ बहस के बाद पीएमके के एक सदस्य रामलिंगम की हत्या का भी आरोप है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी असाधारण गजट अधिसूचना में PFI की देशविरोधी और आतंकी गतिविधियों के साथ-साथ हिंसक हमलों में संलिप्तता के बारे में विस्तार से बताया गया है।
PFI पर आतंकी संगठनों से संबंध के आरोप
PFI के आंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के साथ संबंध के सुबूत मिले हैं। इसी तरह PFI के प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल -मुजाहिदीन बंग्लादेश से संबंध होने के सुबूत भी मिले हैं। PFI पर ये भी आरोप है कि इसके सदस्य एक विशेष वर्ग को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारण को कमजोर कर रहे हैं।
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मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप
गृह मंत्रालय के अनुसार, PFI के सहयोगी संगठन जड़ और शिराओं की तरह काम करते हैं, जिनके माध्यम से PFI को पैसे और पावर मिलता है। PFI से संबंधित सभी संगठनों के खातों और संपत्तियों को सील कर दिया जाएगा। कई हवाला चैनलों का उपयोग फंड हासिल करने के लिए किया जाता है और हवाला चैनलों के माध्यम से ये फंड ज्यादातर कर्नाटक, केरल में आया है।
ED का खुलासा, PM पर हमला करने की थी साजिश
ED ने PFI को लेकर एक और बड़ा खुलासा किया है। ED का दावा है कि ने इस साल जुलाई में बिहार की राजधानी पटना में PFI ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने की खतरनाक योजना बनाई थी। इसके लिए संगठन ने पटना में ट्रैनिंग कैंप भी लगाया था और कई सदस्यों को ट्रेनिंग देने का काम किया।
UP ATS का बड़ा खुलासा, ज्ञानवापी मामले से क्या है PFI का लिंक
PFI गजवा-ए-हिंद 2047 मिशन के लिए यूपी में फंड इकट्ठा कर रहा था। इस मामले में UP ATS ने PFI के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। वाराणसी में भी PFI के दो सदस्यों रिजवान अहमद और मोहम्मद शाहिद को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस उनसे लगातार पूछताछ कर रही है। ATS को ये भी सूचना मिली है कि दोनों आरोपी ज्ञानवापी मामले पर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को भड़काकर पैसा इकट्ठा कर रहे थे।
Arrests PFI members in Meerut and Varanasi
PFI के प्रतिबंधित सहयोगी संगठन
-कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया
-रिहैब इंडिया फाउंडेशन
-ऑल इंडिया इमाम काउंसिल
-नेशनल फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन
-नेशनल वूमेन फ्रंट
-एंपावर इंडिया फाउंडेशन
-रिहैब फाउंडेशन, केरल
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PFI पर बैन को मुस्लिम धर्मगुरुओं ने बताया सही
PFI पर सरकार की ओर से लगाए गए बैन को मुस्लिम धर्मगुरुओं व विद्यानों ने सही कदम बताया है। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब, दरगाह आला हजरत के मदरसा मंजर ए इस्लाम के मुफ्ती मोहम्मद सलीम नूरी ने PFI पर लगी पाबंदी को उचित बताया। कहा कि नफरत को रोकने के लिए कट्टरपंथियो को प्रतिबंधित करना जरुरी है।
PFI Ban पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा
वहीं PFI बैन पर AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने Tweet किया है कि वे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बैन का समर्थन नहीं कर सकते। ओवैसी ने अपने Tweets में कहा कि ‘कुछ लोगों के कृत्यों के लिए पूरे संगठन को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।
पूरी तरह बैन करने के बजाय 5 साल ही क्यों बैन
वहीं एक सवाल ये भी उठता है कि एक ऐसी संस्था जिसपर हत्या, दंगा, पीएम पर हमला की साजिश, आतंकी संगठनों से संबंध के आरोप हैं। उसे पूरी तरह बैन न कर के सिर्फ 5 सालों के लिए बैन करना क्या सही है। ये भी ध्यान देने वाली बात है कि PFI को बैन करने के लिए उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक ने केंद्र से इसकी अनुशंसा भी की थी। लेकिन गृह मंत्रालय उस वक्त इसे टाल रहा था।