India-China Tawang Skirmish : बीते 9 दिसंबर को भारत और चीन के बीच तवांग में झड़प हुई, जो तीन दिन बाद लोगों को पता चला। ऐसी झड़प भारत और चीन के बीच पहली बार नहीं हुई है। अरुणाचल प्रदेश और चीन के बीच का बॉर्डर कॉन्फ्लिक्ट (India-China Tawang Skirmish) 7 दशक पुराना है। क्या आपको पता है कि क्यों यहां भारत और चीन के बीच हमेशा झड़प होता रहा है, और क्या है ये पूरा मामला। क्यों भारत चीन तवांग में बॉर्डर को लेकर आमने-सामने आ जाते हैं।
तवांग में 600 सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर कर दिया था हमला
रिपोर्ट्स के अनुसार, 9 दिसंबर को भारत और चीन के बीच झड़प हुई, जिसमें चीन के करीब 600 सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया। इसमें दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हुए। अब इस झड़प के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। दरअसल, 30 नवंबर को बीजिंग ने उत्तराखंड में भारत-अमेरिकी संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर 1993-1996 सीमा समझौता का पालन करने को कहा था।
इसे भी माना जा रहा वजह
उस वक्त चीन से संयुक्त बटालियन अभ्यास का विरोध ही नहीं किया बल्की ये भी कहा कि LAC पर शांति बनाए रखें। कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि उस वक्त भारत ने चीन की बात नहीं मानी शायद इसलिए भड़े चीन ने इस तरह भारतीय सिपाहियों पर अटैक किया। क्योंकि अभ्यास के करीब 1 हफ्ते बाद ही तवांग में ये घटना हुई है।
क्यों चीन बार बार तवांग को लेकर भारत से झड़प करता है
सालों से चीन के साथ जो सीमा विवाद (India-China Tawang Skirmish) हो रहा वो काफी बड़ा है। पूर्वी लद्दाख में तो चीन के साथ 2020 से ही विवाद हो रहा है। लेकिन अरुणाचल प्रदेश के साथ इस साल मई से ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे दावे किये जाते हैं कि चीन अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में पक्का निर्माण भी कर रहा है। इस पर कई बार अपोजिशन पार्टी ने भी सवाल उठाए हैं। पर भारत सरकार ने इसे गलत बताया है।
पर ये झड़प अभी से शुरु नहीं हुई है, बल्की सालों पुराना है। इस झड़प को समझने के लिए पहले भारत-चीन के बॉर्डर स्ट्रक्चर को भी समझना होगा। चीन भारत के साथ पांच States में बॉर्डर शेयर करता है। जिसे 3 सेक्टर में बांटा गया है- इस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न।
इस्टर्न सेक्टर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश वाला बॉर्डर है।
मिडिल सेक्टर – हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड वाला बॉर्डर है।
वेस्टर्न सेक्टर- लद्दाख वाला बॉर्डर है।
1914 में खींची गई थी McMahon Line
चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किलोमीटर के हिस्से पर अपना दावा करता है। रिपोर्ट्स की माने तो 1914 में शिमला में एक कॉन्फ्रेंस हुआ था, जिसमें तीन पार्टियां थीं- ब्रिटेन, चीन और तिब्बत। उस वक्त ब्रिटिश इंडिया के विदेशी सचिव हेनरी मैकमोहन थें। इस कॉन्फ्रेंस में बॉर्डर को लेकर कुछ जरुरी फैसले लिये गए थें। उन्होंने ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच 890 किलोमीटर लंबी सीमा खींची। इसे मैकमोहन लाइन (McMahon Line) भी कहा जाता है। इसी लाइन में अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा बताया गया है।
चीन क्यों नहीं मानता McMahon Line
इसके बाद 1947 में भारत आजाद हुआ तो, भी आजादी के बाद भारत ने इस लाइन को माना, लेकिन चीन ने ये मानने से इंकार कर दिया। चीन का मानना है कि अरुणाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा तिब्बत में आता है। और तिब्बत पर चीन का कब्जा है, तो इस हिसाब से अरुणाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा चीन का है। पर भारत ने हमेशा से इसे इंकार किया है। इसी वजह से भारत और चीन के बीच हमेशा झड़प और भिड़ंत होती रहती है।
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