Cyber Attack on Hospital : साइबर अटैक्स के बारे में तो हम सब जानते हैं, कि कैसे हैकर्स साइबर अटैक कर के बड़े बड़े ऑर्गनाइजेशन्स या आम लोगों के कम्प्यूटर्स और डाटा को हैक कर लेते हैं। पर क्या आपने कभी ये सोचा है कि यही साइबर अटैक अगर हॉस्पिटल (Cyber Attack on Hospital) पर हो तो क्या होगा। इससे सिर्फ हॉस्पिटल के कामकाज पर दिक्कत पड़ेगी या साइबर अटैक से मरीजों की जान भी जा सकती है। आइये समझते हैं अगर साइबर अटैक हॉस्पिटल पर हो तो क्या क्या हो सकता है।
AIIMS में पिछले हफ्ते हुआ था Ransomware Attack
23 नवंबर को AIIMS का सर्वर रैनसमवेयर अटैक (Ransomware Attack) कर के हैक कर लिया गया। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने IPC की धारा 385 और IT Sec 66 के तहत मामला दर्ज किया है। जाहिर सी बात है इस हैकिंग का असर हॉस्पिटल की सर्विस पर भी पड़ा। जो भी पेशेंट AIIMS के OPD में आ रहे हैं उन्हें काफी दिक्कतें हुई। इतना ही नहीं, साइबर अटैक का असर हॉस्पिटल (Cyber Attack on Hospital) के ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट और टेली कंसलटेंसी पर भी पड़ा, जिसके चलते सभी सर्विसेज़ को मैनुअली किया जाने लगा।
क्या होता है Ransomware Attack
AIIMS पर जो साइबर अटैक हुआ, इसे रैनसमवेयर अटैक कहा जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि रैनसमवेयर अटैक क्या होता है। तो बता दें, कि रैनसमवेयर के एक मैलवेयर होता है, जो किसी भी डिवाइस में अटैक करते ही उसे लॉक कर देता है। डिवाइस लॉक होते ही आपका पूरा डाटा और फाइल हैकर के पास चला जाता है। एक बार रैनसमवेयर डाइवस में आ गया तो, आप अपने डिवाइस की किसी भी चीज को एक्सिस नहीं कर पाएंगे।
जैसे ही आप अपने डिवाइस को ओपन करेंगे तो उस पर एक मैसेज पॉपअप होगा ‘Pay to Unlock’ इस पर टाइम भी लिखा होगा और जो भी अमाउंट हैकर ने लिखी होती है उसे आपको पे करना पड़ेगा। ऐसा न करने पर हैकर आपके डिवाइस का सभी डाटा डिलीट कर देते हैं।
AIIMS के डाटा को कर लिया गया हैक
AIIMS Delhi में भी ऐसा ही कुछ हुआ। खबरे उड़ने लगी कि, हैकर्स ने AIIMS से 200 करोड़ रुपये मांगे। हालांकि पुलिस ने इसका कन्फर्मेशन नहीं किया है। एक बार के लिए मान ले कि हैकर्स ने पैसों की कोई डीमांड नहीं कि, पर AIIMS के सर्वर पर अटैक हुआ ये तो सही है। अब सोचने वाली बात ये है कि AIIMS के डाटा को हैक कर के हैकर्स क्या कर सकते हैं। AIIMS भारत का सबसे बड़ा गर्वन्मेंट हॉस्पिटल है। रीसेंट डाटा को देखे तो 2021 तक यहां हर रोज 13 हजार लोग आते हैं। यहां हर रोज इतने लोग आते हैं कि मरीजों को ऑपरेशन के लिए 2025 तक का समय दिया गया है।
हॉस्पिटल का पूरा सिस्टम हो जाता है कोलैप्स
अब सोचिये इतने लोगों का डाटा अचानक गायब हो जाए तो क्या होगा। अगर किसी मरीज को एक महीने बाद की ऑपरेशन डेट दी गई हो और उस दिन जाने पर उसकी एंट्री ही न हो तो क्या होगा, और मरीज क्रिटिकल हो तो उसकी जान पर भी बन सकती है। यहां सिर्फ पेशेंट की बात नहीं है, बल्कि इससे पूरे हॉस्पिटल का सिस्टम कोलैप्स हो सकता है। ऐसा ही एक मामला जर्मनी में हुआ था, 2020 में जर्मनी के डिसल्डॉफ यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में हैकर्स ने कम्प्यूटर सिस्टम को डिसेबल कर दिया (Cyber Attack on Hospital) था। जिसके बाद हॉस्पिटल वाले पेशेंट्स को दूसरे हॉस्पिटल में भेजने लगे थे।
डाटा लीक के साथ मरीजों की जान जाने का भी रहता है खतरा
2020 में ही यूनिवर्सल हेल्थ सर्विसेज़ का कम्प्यूटर सिस्टम हैक कर लिया गया (Cyber Attack on Hospital) था, जिसके अंडर में US और UK के 400 हॉस्पिटल आते हैं। इस हैकिंग की वजह से कई दिनों तक हॉस्पिटल्स की सर्विसेज़ इफेक्ट हो गई थी। इस तरह के डाटा लीक और साइबर अटैक के कारण लोगों के पर्सनल डीटेल भी लीक होते हैं। इसलिए हॉस्पिटल का डाटा हैक होने से सिर्फ हॉस्पिटल ही कोलैप्स नहीं होता, बल्कि पशेंट की जान को भी खतरा हो सकता है।
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