छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है. सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा जाता है. चलिए जानते हैं छठी मैया और छठ से जुड़ी कुछ खास बातें.

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छठ महापर्व पर माता षष्ठी यानी छठी मैया और सूर्य की पूजा की जाती है.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य की बहन हैं.

छठी मैया संतान प्राप्ति की देवी हैं.

छठ पूजा में व्रती महिला को कड़े नियमों के साथ 36 घंटे निर्जला उपवास करना होता हैं. महिलाएं ये व्रत संतान की रक्षा और घर में सुख समृद्धि के लिए रहती हैं.

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मान्यता के अनुसार, छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके इस पर्व की शुरूआत की थी.

छठ पूजा के संबंध में अनेक पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं- उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण के बताने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा.

दिवली के छठे दिन से शुरू होने वाला छठ पर्व चार दिनों तक चलता है। इसमें श्रद्धालु भगवान सूर्य की पूजा करते हैं और सुखी, स्वस्थ- निरोगी जीवन की कामना करते हैं.

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छठ पूजा को मन्नतों का पर्व भी कहते हैं. छठ पूजा को शुद्धता और स्वच्छता के साथ मनाया जाता है.

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17 नवंबर को छठ पूजा का पहला दिन- नहाय-खाय है. दूसरा दिन- खरना- शनिवार, 18 नवंबर  तीसरा दिन- संध्या कालीन अर्घ्य, रविवार 19 नवंबर को है.  चौथा दिन- सुबह का अर्घ्य, सोमवार  20 नवंबर को है.

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