Yevgeny Prigozhin : रूसी प्राइवेट आर्मी ग्रुप के हेड, येवगेनी प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) ने शनिवार को रशियल मिलिट्री ऑफिशियल्स को उखाड़ फेंकने के लिए “अंत तक जाने” की कसम खाई है। प्रिगोझिन ने रशियन रक्षा मंत्रालय पर जानबूझकर वैगनर सैनिकों पर बमबारी करने का आरोप लगाया है, पर रूसी रक्षा मंत्रालय ने इन आरोपों से इनकार कर दिया। येवगेनी प्रिगोझिन ने साउथ रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन के सैन्य मुख्यालय पर कंट्रोल करने का दावा किया है। चलिए जानते हैं कौन है येवगेनी प्रिगोझिन जिन्होंने रशिया के प्रेसिडेंट पुतिन से खुला पंगा ले लिया है।
कौन है येवगेनी प्रिगोझिन
येवगेनी प्रिगोझिन को एक अरबपति के रूप में जाना जाता है। हालांकि उसके पास कितनी संपत्ति है इसका किसी को कोई अंदाजा नहीं।
62 साल के प्रिगोझिन प्राइवेट आर्मी ग्रुप वैगनर के संस्थापक हैं। वैगनर ने बखमुत सहित कई प्रमुख यूक्रेनी शहरों पर कब्ज़ा करने का नेतृत्व किया और पुतीन के खासमखास में से एक रहा है।
प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) की प्राइवेट आर्मी में 70 परसेंट से ज्यादा सैनिक अपराधी रह चुके हैं। इनमें पूर्व सैनिक भी हैं। यूएस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के अनुसर, इस वक्त वैगनर ग्रुप में 50 हजार सैनिक हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ग्रुप में अफगानिस्तान और सीरिया के लड़ाके भी शामिल हैं।
हॉटडॉग सेलर से प्राइवेट आर्मी हेड
प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) एक साधारण हॉटडॉग विक्रेता थें और रूसी राष्ट्रपति के करीबी आंतरिक सर्कल का हिस्सा बनने से पहले पुतिन के नेटिव होम, सेंट पीटर्सबर्ग के मूल निवासी हैं।
धोखाधड़ी और चोरी का दोषी ठहराए जाने के बाद सोवियत काल के दौरान प्रिगोझिन को लगभग 10 साल तक जेल में रखा गया था। 1990 के दशक में, उन्होंने एक मामूली फास्ट-फूड कंपनी शुरू की।
हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में एक्सपीरियंस के साथ, प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) ने सेंट पीटर्सबर्ग में एक लक्जरी जगह खोला, जिसके ग्राहकों में पुतिन भी शामिल थें। इसके बाद उन्होंने केजीबी में काम करने से लेकर लोकल पॉलिटिक्स में एंट्री ली।
जिस कंपनी की प्रिगोझिन ने स्थापना की थी वह एक समय क्रेमलिन के लिए काम करती थी, जिससे प्रिगोझिन को “पुतिन के शेफ” का उपनाम मिला।
समाचार एजेंसी AFP की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे फेमस फोटोज़ में से एक में उन्हें 2011 में क्रेमलिन में पुतिन को एक डिश पेश करते हुए दिखाया गया है।
येवगेनी प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) ने सालों तक इन आरोपों को खारिज किया कि वह वैगनर आर्मी से जुड़े हुए थे। आखिरकार उन्होंने 2021 में स्वीकार किया कि उन्होंने वैगनर समूह की स्थापना की थी और माफी के बदले अपराधी सैनिकों के लिए रूस की जेलों में बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान शुरू किया था।
पिछले सितंबर में, प्रिगोझिन ने स्वीकार किया कि उन्होंने लड़ाकू बल (Fighting Force) की स्थापना की थी और सेंट पीटर्सबर्ग में मुख्यालय खोला था।
पिछले फरवरी में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में सेना भेजने का आदेश देने से पहले, प्रिगोझिन ने अपने प्राइवेट लड़ाकू बल से भाड़े के सैनिकों को अफ्रीका भेजा था।
मई 2023 में वेगनर ने रूसी सेना पर पर्याप्त हथियार न देने का इल्ज़ाम लगाया था। हाल में, रूस के रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन में लड़ रहे प्राइवेट आर्मी ग्रुप्स के लिए एक निर्देश जारी किया था। इसके अनुसार, प्राइवेट फ़ोर्सेस में शामिल लड़ाकों को डिफ़ेंस मिनिस्ट्री के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करना होगा, पर प्रिगोझिन ने कॉन्ट्रैक्ट को साइन करने से बिलकुल इंकार कर दिया।
प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) ने अपने लड़ाकों की मौत के लिए सीधे तौर पर रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दोषी ठहराया, और दावा किया कि मॉस्को ने पर्याप्त गोला-बारूद उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके चलते उनके सैनिकों की मौत हुई।
वैगनर मिलिट्री ग्रुप कैसे बना
वैगनर मिलिट्री ग्रुप की स्थापना 10 साल पहले 2013 को हुई थी। ये एक रशियन प्राइवेट मिलिट्री कंपनी है। इसे रूस का समर्थक माना जाता है। इसकी स्थापना दिमित्री उत्किन ने की थी। दिमित्री रूस की खुफिया एजेंसी में काम करते थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैगनर मिलिट्री ग्रुप का नेटवर्क 18 देशों में फैला हुआ है। यूरोप से लेकर लीबिया, सीरिया, मोजांबिक, बुर्किना फासो, मोजाम्बिक, सूडान और मिडिल अफ्रीकी गणराज्य तक इनका नेटवर्क है। वैगनर मिलिट्री ग्रुप इन देशों में किसी न किसी संबंधित पार्टी की मदद कर रही है।
द ट्रोल फैक्ट्री (THE TROLL FACTORY)
वाशिंगटन ने प्रिगोझिन पर 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में, विशेष रूप से अपने इंटरनेट “ट्रोल फैक्ट्री” के माध्यम से हस्तक्षेप करने में भूमिका निभाने का आरोप लगाने के बाद बैन लगा दिया था।
प्रिगोझिन ने उस समय इन आरोपों पर किसी भी संलिप्तता से इनकार कर दिया और 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका से 50 बिलियन डॉलर का मुआवजा मांगा।
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