Dev Deepawali 2023 : जिसने भी छुआ वो स्वर्ण हुआ, सब कहे मुझे मैं पारस हूँ। मेरा जन्म महा श्मशान, मगर मैं जिन्दा शहर बनारस हूँ। चंद्रशेखर गोस्वामी की बनारस पर इस लाइन को हर बनारसी ने अपना वाट्सऐप स्टेटस तो जरूर ही लगाया होगा। बनारस को ‘सात वार नौ त्यौहार‘ का शहर कहा जाता है। फिलहाल यह शहर साल के अपने आखिरी महापर्व को मनाने की तैयारी में जुट गया है। ऐसे तो हिन्दू धर्म में छठ और दिवाली को साल का अंतिम त्यौहार कहा जाता है, पर बनारस में साल का अंतिम त्यौहार है देव दीपावली। जी हां, 7 नवंबर को पूरी दुनिया की नजर बनारस यानी वाराणसी की शाम को निहारने में लगी रहेगी। क्योंकि, इस बार वाराणसी में टूरिस्ट्स के भीड़ की सारे रिकॉर्ड टूटेंगे। बनारस का वो महापर्व जीसकी आभा देखने से PM मोदी भी खुद को नहीं रोक सके। पर क्या आप जानते हैं, 1986 में सिर्फ एक घाट से शुरु होने वाला ये उत्सव 2023 (Dev Deepawali 2023) तक एक महापर्व और अब प्रांतीय मेला के रूप में कैसे बदला। इस साल वाराणसी में देव दीपावली पर क्या खास होगा। चलिये जानते हैं..।
देव दीपावली का 3 दशक का सफर
पक्के महाल के बड़े बुजुर्ग बताते हैं, कि पंचगंगा घाट, मंगलागौरी के नारायाण गुरु और वागीश के प्रयासों से कैसे एक उत्सव ने महापर्व का रूप ले लिया। एक घाट से 6 घाट, फिर 25 से 84 घाट जगमगाते चले गए। केंद्रीय देव दीपावली का समिति का गठन हुआ। छह घाटों से बढ़कर 12 घाटों पर यह उत्सव शुरु हुआ। साल 1988 तक ये उत्सव 25 घाटों तक विस्तार ले चुका था। 1994 तक बाबू महाराज, पं सत्येंद्र नाथ और उनके सहयोगियों ने देव दीपावली उत्सव की भव्यता के ऐसी छठ बिखेरी की देखते ही देखते एक घाट से शुरु हुए इस उत्सव ने महापर्व का रूप ले लिया। तीन दशक से ज्यादा की भव्य यात्रा के बाद अब देव दीपावली भी होली-दिवाली की तरह परंपरागत महापर्व के रूप में मनाया जाने लगा है।
समय के साथ जुड़ते गए नए रंग और नई परंपराएं
मान्यता है कि कार्तिक मास के इस आखिरी दिन स्वर्ग से सभी देवी देवता स्वयं काशी में उतरते हैं। इसलिए इसे देव दीपावली भी कहा जाता है। शाम के वक्त दीपों से सजे घाटों की छठा देख ऐसा लगता है मानों स्वर्ग में ही आ गए हों। धीरे धीरे बनारसवासियों को भी इस महापर्व की अहमियत समझ आने लगी। फिर क्या दिवाली पर जो रंग बिरंगी लतरें घरों में सजती हैं वो अब देव दीपावली तक नहीं उतरती। बनारस की हर गली, मुहल्ला, चौराहा रंग बिरंगी लतरों और दीपों से सजने लगा। मुहल्ले के लोग आस पास के मंदिरों और गलियों को भी दीपों से सजाने लगे। और धीरे धीरे दीपों के इस उत्सव में नए रंग भी जुड़ते गए। दीपों के साथ शुरु हुई रामघाट की भव्य आतीशबाजी, जिसे देखने सैंकड़ों लोग पहुंचने लगे। अब कुछ सालों से एंट्री हुई लेजर शो की जिसने देव दीपावली की शाम में चार चांद लगा दिये। आइये जानते हैं इस बार की देव दीपवली क्यों है खास..
वाराणसी में देव दीपावली पर 2023 में क्या है खास । Varanasi is all set for Dev Deepawali 2023
कॉरिडोर पर भी होगा भव्य लेजर शो
इस बार देव दीपावली (Dev Deepawali 2023) पर गंगा घाटों पर 12 लाख दी तो जलेंगे ही रेती भी जगमग होगी। गोबर से बने एक लाख दीप प्रकृति संरक्षण का संदेश देगे और बाबा के भजनों और झांकियों से आतिशबाजी की रंगत निखेरेंगे। चेतसिंह किला की दीवार पर लेजर शो काशी-विश्वनाथ गंगे का महात्म्य बखानेगा। विश्वनाथ धाम के इतिहास से लेकर नव्य भव्य स्वरूप तक की कहानी गंगा द्वार पर लेजर शो में उभर कर सामने आएगी। लेजर शो की अवधि 5 मिनट होगी, जो कई बार प्रसारित किया जाएगा। लेजर शो इस तरह से कराया जा रहा है, जिससे नौकायन करने वाले श्रद्धालु और घाटों पर मौजूद लोग आराम से देख सकें।
ग्रीन कॉरिडोर फायर क्रैकर शो
रेती पर हर हर शम्भू..व शिव तांडव स्त्रोत आदि के बीच आतिशाबजी होगी। विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार के सामने रेत पर ग्रीन एरियल फायर क्रैकर्स शो का आयोजन होगा। क्रैकर्स शो लगभग 13 मिनट का होगा। रेत पर 1 किलोमीटर के स्ट्रेच पर ग्रीन एरियल फायर क्रैकर्स शो होगा। आतिशबाजी के दौरान आसमान में सतरंगी छटा बिखरेगी और आकर्षक आकार के चित्र दिखेंगे। पर्यटन विभाग का अनुमान है कि इस बार देव दीपावली पर 7-8 लाख श्रद्धालु काशी आएंगे।
11 टन फूलों से सजेगा काशी विश्वनाथ धाम
विशाखापट्टनम के फ्लावर डेकोरेटर खुद की श्रद्धा से इस कार्य के लिए सामने आएं, और मंदिर को फूलों से सजाने की तैयारी शुरु हुई। देव दीपावली पर श्री काशी विश्वनाथ अपने लोकार्पण समारोह की तरह ही दिखेगी, जो भक्तों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। विशाखापटनम के एक व्यवसायी बाबा के धाम को 11 टन फूलो से सजवा रहे हैं। धाम को सजाने के लिए कोलकोता, बंगलुरू और विदेशों से भी फूल आए हैं।
3D प्रोजेक्शन लेजर लाइट शो
देव दीपावली (Dev Deepawali 2023) पर चेतसिंह घाट पर प्रोजेक्शन मैपिंग (Dev Deepawali 2023) और लेजर लाइट शो (Laser Light Show) होगा। 3-डी प्रोजेक्शन मैपिंग में पौराणिक चरित्र जीवंत होंगे। इस शो से मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की कथा का 3-डी इलस्ट्रेशन किया जाएगा। करीब 20 मिनट का यह शो 15 मिनट के अंतराल पर शाम 7 से रात 10 बजे तक होगा।
रामलला और बलिदानियों को समर्पित होगी दशाश्वमेध की गंगा आरती
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र के अनुसार दशाश्वमेध का आयोजन भगवान रामलला को समर्पित होगा। अयोध्या में रामलला के विराजने के पूर्व भगवान शिव की नगरी राममय होगी। 51 देव कन्याएं आरती उतारकर दीपावली महोत्सव का आरंभ करेंगी। यहां 21 हजार दीप जलाए जाएंगे। भारत के अमर वीर योद्धाओं को भगीरथ शौर्य सम्मान प्रदान किया जाएगा। मां गंगा को निर्मल रखने में सहयोग का संकल्प दिलाया जाएगा। 21 ब्राह्मणों द्वारा मां गंगा का पूजन किया जाएगा। 21 ब्राहम्णों के साथ 41 कन्याएं भी ऋद्धि-सिद्धी के रुप में साथ होंगी।
नमो घाट (खिड़िकिया घाट) सजधज कर तैयार
वाराणसी का सबसे हाइटेक घाट नमो घाट भी देव दीपावली के लिए सजधजकर तैयार है। इस बार इस घाट पर भी काफी भीड़ होने की संभावना है। नमो घाट पर वीआईपी मूवमेंट ज्यादा होंगे। राजघाट पर भी सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इसके अलावा पंचगंगा घाट पर हजारा को दीपों से सजाया जाएगा। रामनगर में दीपदान और गंगा आरती की जाएगी। हर घाट पर अपने खास कार्यक्रम किये जाएंगे।
हर साल देव दीपावली के पहले गंगा घाट के किनारे और आस-पास के होटल, धर्मशाला, लॉज फुल हो जाते हैं। अगर आप भी वाराणसी में है तो देव दीपावली पर इन अद्भुत नजारों को मिस मत करियेगा। और अगर इसे देखने के बाद वाराणसी आने का प्लान कर रहे तो चिंता न करें, अगले साल इससे भी भव्य देव दीपावली होने की तैयारी है। क्योंकि साल दर साल ये महापर्व अपना कीर्तीमान स्थापित करता जा रहा है।
Also Read – China में अब रहस्यमयी न्यूमोनिया का कहर ! WHO भी परेशान, दुनिया भर में फैलने का डर
Follow our page on Facebook, Twitter and Instagram for more amazing facts, trending topics and News Updates.
Click & Join Our WhatsApp Group For Latest, Trending News and more updates.