Uttarakhand UCC : उत्तराखंड नागरिक संहिता विधेयक (Uttarakhand UCC ) ने एक साथ रहने वाले जोड़ों के लिए अपने लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर्ड करना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन तब क्या होगा है जब लिव इन में रहने वाले दोनों कपल्स में से कोई एक या दोनों रिश्ता ख़त्म करना चाहता हो ?
साथ रहना है तो रजिस्ट्रेशन जरूरी
Uttarakhand UCC live in relationship declaration
मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता विधेयक (Uttarakhand Civil Code) में कहा गया है कि लिव-इन रिलेशनशिप को खत्म करने के इच्छुक किसी भी पक्ष को अपने साथी और स्थानीय रजिस्ट्रार को अपने रिलेशनशिप को खत्म करने का बयान देना होगा।
रिलेशनशिप खत्म होने के बाद क्या करना होगा
विधेयक के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप में दोनों पार्टनर या उनमें से कोई भी, इसे खत्म कर सकता है और रजिस्ट्रार को अपना लिव-इन रिलेशनशिप खत्म होने के बारे में बता सकता है। यदि उनमें से केवल एक ही लिव-इन रिलेशनशिप को खत्म करता है, तो दूसरे पार्टनर के बयान की एक कॉपी दूसरे पार्टनर को दी जाएगी,
एक बार जब लिव-इन रिलेशनशिप में एक पार्टनर की ओर से समाप्ति का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा, तो रजिस्ट्रार को दूसरे पार्टनर को इसके बारे में जानकारी देनी होती है। रजिस्ट्रेशन करने के बाद लिव-इन कपल को रजिस्ट्रार द्वारा एक रसीद दी जाएगी। इसी रसीद के आधार पर वह युगल किराये पर घर, हास्टल अथवा पीजी में रह सकेगा।
यदि दोनों में से किसी भी पार्टनर की उम्र 21 वर्ष से कम है, तो रजिस्ट्रार ऐसे पार्टनर के माता-पिता-अभिभावकों को भी इसकी जानकारी देगा।
नियम न मानने पर जेल और जुर्माना
UCC ने व्यक्तियों के लिए रजिस्ट्रार के समक्ष बयान जमा करके लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर्ड करना अनिवार्य बना दिया है। नियमों का पालन नहीं करने वालों को छह महीने तक की जेल या 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ेगा।
UCC में कहा गया है कि राज्य सरकार, उत्तराखंड राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करने का अधिकार दे सकती है। रजिस्ट्रार को लिव-इन रिश्तों के बयानों और लिव-इन रिश्तों की समाप्ति के बयानों और ऐसे अन्य रजिस्टरों को निर्धारित तरीके से बनाए रखना होगा।
UCC लागू करने वाला उत्तराखंड होगा पहला राज्य
अगर यह पारित हो गया तो आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य होगा। यह विधेयक, भाजपा का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है, जिसमें सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक समान सेट प्रस्तावित है।
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