US Delegation Meets Dalai Lama : तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात पर चीन भड़क गया है. चीन ने अमेरिका से दलाई लामा के अलगाववादी एजेंडे को समझने और उनसे किसी तरह का संपर्क न रखने को कहा है. चलिए जानते हैं कि दलाई लामा से अमेरिकी सांसदों की मुलाकात (US Delegation Meets Dalai Lama) चीन, अमेरिका और भारत के संबंधों के लिहाज से इतना अहम क्यों है ?
अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल भारत में क्यों है
US Delegation Meets Dalai Lama
अमेरिका के सांसदों का सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दलाई लामा से मुलाकात के लिए भारत में है. अमेरिका लंबे समय से इस बात पर जोर देता रहा है कि तिब्बत के लोगों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक रीति रिवाजों का पालन करने का अधिकार है. वह लंबे समय से इन अधिकारों का समर्थन करता रहा है. अमेरिका चीन पर तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप भी लगाता रहा है. अमेरिका की प्रतिनिधि ने इस महीने एक विधेयक पारित किया है. विधेयक में कहा गया है कि चीन पर तिब्बत के नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए दबाव डाला जाना चाहिए.
विधेयक में चीन को एक समझौते के लिए तैयार करने और तिब्बती लोगों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी पहचान को संरक्षण देने बात कही गई है. इसके लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने भारत से संचालित निर्वासित तिब्बत सरकार के अधिकारियों से भी मुलाकात की है.
अमेरिका के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा क्यों है अहम
दलाई लामा से अमेरिका के सांसदों की मुलाकात (US Delegation Meets Dalai Lama) से चीन परेशान है। यह यात्रा ऐसे समय हुई है, जब चीन और अमेरिका अपने संबंध सुधारने का कोशिश कर रहे हैं. 2020 में लद्दाख के गलवन में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के रिलेशन्स में भी तनाव है और सीमा पर गतिरोध अब भी बना हुआ है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन तिब्बत विवाद का समाधान तलाशने के लिए जल्द ही रिजाल्व तिब्बत एक्ट पर साइन कर सकते हैं. हालांकि, अमेरिका तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र को चीन का हिस्सा मानता है.
चीन को क्या दिक्कत है ?
चीन दलाई लामा पर अलगाववादी गतिविधियों का आरोप लगाता रहा है. दूसरी तरफ दलाई लामा का कहना है कि वह तिब्बत के लिए वास्तविक स्वायत्तता चाहते हैं. चीन ने दलाई लामा की विदेशी नेताओं के साथ मुलाकात पर हमेशा आपत्ति जताई है. हालांकि, दलाई लामा अमेरिका के राष्ट्रपतियों सहित दूसरे विदेशी नेताओं से मिलते रहे हैं. तिब्बत को लेकर सबसे विवादास्पद मुद्दा दलाई लामा का उत्तराधिकारी नियुक्त करना है. चीन का कहना है कि उसे उत्तराधिकारी तय करने का अधिकार है, लेकिन दलाई लामा का कहना है कि उनके उत्तराधिकारी का फैसला सिर्फ तिब्बत के लोग ही कर सकते हैं और उनका उत्तराधिकारी भारत से भी हो सकता है.
कौन हैं दलाई लामा
दलाई लामा का जन्म 1935 में हुआ था. जन्म के समय उनका नाम ल्हामो धोंडुप रखा गया। दो वर्ष की उम्र में ल्हामो धोंडुप को 13 वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया. 1940 में तिब्बत की राजधानी ल्हासा में 14 वें दलाई लामा के रूप में उनकी ताजपोशी की गई. चीन ने 1950 में तिब्बत पर हमला कर दिया और चीन के शासन के खिलाफ असफल क्रांति के बाद 1959 में दलाई लामा तिब्बत से भागकर भारत आ गए. तभी से भारत के धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं. 1989 में दलाई लामा को नोबेल शांति से सम्मानित किया गया था.