Same Sex Marriage : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ मंगलवार को भारत में समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी। 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति रवींद्र भट, न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
टॉप कोर्ट के सामने पेटिशन में विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act), विदेशी विवाह अधिनियम (Foreign Marriage Act) और हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) सहित विभिन्न अधिनियमों के तहत समान-लिंग विवाह (same-sex marriage) को मान्यता देने की मांग की गई है। चलिए जानते हैं- यह मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ तक कैसे पहुंचा..।
25 नवंबर, 2022 : 2 समलैंगिक जोड़ों ने विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) के तहत सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसके बाद अदालत ने पेटिशन पर नोटिस जारी किया।
पेटिशन में मांग की गई थी कि विशेष विवाह अधिनियम को किसी भी लिंग-या कामुकता-आधारित प्रतिबंध (gender-or sexuality-based restriction) को हटाकर जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए।
अदालत ने कहा था कि केरल उच्च न्यायालय के समक्ष इसी तरह के एक मामले में, केंद्र सरकार ने डिप्टी सॉलिसिटर जनरल के माध्यम से एक बयान दिया था कि मंत्रालय दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका सहित सभी रिट याचिकाओं को प्राप्त करने के लिए कदम उठा रहा है। एससी में स्थानांतरित कर दिया गया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली दो-न्यायाधीशों की पीठ ने नोटिस जारी किया और केंद्र सरकार और भारत के अटॉर्नी जनरल से जवाब मांगा।
14 दिसंबर, 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़े (Gay Couple) द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर नोटिस जारी किया। एक भारतीय नागरिक और एक अमेरिकी नागरिक सहित विवाहित जोड़े ने विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 के तहत अपनी शादी को कानूनी मान्यता मांगी।
हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हुआ मामला
6 जनवरी, 2023 : सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित समलैंगिक विवाहों (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर दिल्ली, केरल और गुजरात सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी याचिकाओं को ट्रांसफर कर दिया।
शीर्ष अदालत ने 13 मार्च को विशेष विवाह अधिनियम, विदेशी विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम सहित विभिन्न अधिनियमों के तहत समान-लिंग विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता देने वाली याचिकाओं की सुनवाई की। सरकार को 15 फरवरी तक याचिकाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए कहा गया।
30 जनवरी, 10 फरवरी, 20 फरवरी और 3 मार्च, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की राहत की मांग करने वाली और याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और उन्हें मुख्य मामले से जोड़ दिया।
केंद्र सरकार विरोध में क्यों
12 मार्च, 2023: केंद्र ने समान-सेक्स विवाह का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि भारतीय परिवार की अवधारणा में एक पुरुष और महिला शामिल हैं और अदालत के लिए पूरी विधायी नीति को बदलना संभव नहीं होगा।
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर ऐसी शादी को मान्यता मिलेगी तो फ्यूचर में गे कपल बच्चों को गोद भी लेंगे। इस बात पर भी विचार करने की जरूरत है कि गे कपल के साथ रह रहे बच्चों की मानसिक स्थिति (mental state) पर इसका कैसा प्रभाव पड़ेगा।
April 1, 2023 : जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाली दलीलों का विरोध किया। JUIH की दलील में कहा गया है, “इस्लाम का समलैंगिकता पर प्रतिबंध इस्लाम के धर्म की शुरुआत से ही स्पष्ट है। समलैंगिकता पर प्रतिबंध के संबंध में इस्लाम की स्थिति अनडिस्प्यूटेड है।”
6 अप्रैल : दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया, जिसमें समान-लिंग विवाह और समान-लिंग वाले जोड़ों को गोद लेने के अधिकार का समर्थन किया गया।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं ‘शहरी संभ्रांतवादी’ विचारों को रिफ्लेक्ट करती हैं और समलैंगिक विवाह को मान्यता देना एक विधायी (Legislative) कार्य है, जिस पर अदालतों को फैसला करने से बचना चाहिए।
केंद्र ने याचिकाओं के विचारणीय होने पर सवाल करते हुए कहा कि समलैंगिक विवाहों की कानूनी वैधता ‘पर्सनल लॉ’ और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों के संतुलन को नुकसान पहुंचाएगी। 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ देश में समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी रूप से वैध ठहराए जाने का अनुरोध करने वाली पेटिशन्स पर मंगलवार को सुनवाई करेगी।
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