Strict Laws Against Conversion : उत्तर प्रदेश में अवैध या जबरन धर्मांतरण के मामले में 16 लोगों को सजा सुनाई गई है। यूपी के अलावा विभिन्न राज्यों में भी धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाए गए हैं। आइए जानते हैं, प्रमुख राज्यों में दोषी पाए जाने पर क्या सजा (Strict Laws Against Conversion) का प्रावधान हैं.
Strict laws against religious conversion in 6 states of India
इन 6 राज्यों में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ है सख्त कानून
- गुजरात
साल 2003 में गुजरात पहला राज्य बना, जिसने धर्म परिवर्तन को कानूनी मान्यता (Strict Laws Against Conversion) देने के लिए पहले जिला प्रशासन की मंजूरी अनिवार्य की थी. हालांकि, इस कानून में अप्रैल 2021 में संशोधन किया गया था. इसके तहत दोषी होने पर पांच साल की कैद और दो लाख का जुर्माना है.
- हिमाचल प्रदेश
साल 2006 में धर्मांतरण विरोधी कानून बना, जिसे साल 2019 में संशोधित किया गया. इसके बाद साल 2022 के अगस्त में ‘द फ्रीडम ऑफ रिलीजन (संशोधित)’ बिल पारित किया गया, जिसमें सजा को पहले से अधिक सख्त कर दिया गया. हिमाचल में अब सामूहिक धर्मांतरण पर 10 साल की कैद और दो लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
- उत्तराखंड
वर्ष 2022 में उत्तराखंड सरकार ने जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून को और सख्त किया. इसके तहत ऐसा करने वालों को जमानत नहीं मिल सकेगी. दोषी पाए जाने पर 10 साल की कैद और जुर्माने की सजा भी दी जाएगी. उत्तराखंड में 2018 में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून लाया गया था. उसमें एक से पांच साल की कैद और एससी-एसटी केस में दो से सात साल की कैद है.
- उत्तर प्रदेश
इस साल जुलाई में ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024’ मानसून सत्र के दौरान प्रदेश विधानसभा से पारित किया गया. संशोधित अधिनियम में ऐसे मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. इससे पहले किसी महिला को धोखा देकर और धर्मांतरण कर शादी करने के दोषी को अधिकतम 10 साल की सजा थी.
- मध्य प्रदेश
MP में 1968 में धर्म परिवर्तन पर कानून बनाया गया. जबरन धर्मांतरण पर एक साल तक की जेल और 5,000 रुपए तक का जुर्माना तय किया गया था. इसके बाद साल 2020 में संशोधन किया गया. अधिकतम 10 साल की कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया.
- झारखंड
साल 2017 में झारखंड में धर्मांतरण विरोधी कानून (Strict Laws Against Conversion) बनाया गया, जिसमें जबरन धर्मांतरण को गैरकानूनी बताया गया. इस अपराध के लिए आरोपी को तीन साल तक की जेल या 50 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों से दंडनीय किया जा सकता है.
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