Cats and Humans : अगर आप डॉग्स के अलावा पेट्स के तौर पर बिल्लियों को पालते हैं तो आप जानते ही होंगे कि बिल्लियां कितने रौब में रहती हैं। बिल्लियों का ये अंदाज उनकी आज-कल की आदत नहीं, बल्की 10 हजार साल पुरानी है। बात करीब 10 हजार साल पुरानी है, जब इंसान खेती करने लगे थे। ब तक श्वान पालतू दोस्तों के तौर पर इंसानों के करीब आ चूके थे, जो गुफा की रक्षा करते और शिकार में भी साथ देते थे।
अब खेती अनाज हुई तो जाहिर है कि इसे खाने चूहे, गिलहरी और छोटे जानवर फसल व संरक्षित अनाज को नुकसान पहुंचाते थे। जंगली बिल्लियां इनका शिकार करती थी। चूंकी बिल्लियां परोक्ष रुप से इंसानों के भोजन की रक्षा कर रही थीं तो इंसानों ने इन्हें पूजनीय (Cats and Humans) मान लिया।
कुछ मंदिरों और मिश्र के फैरो के मकबरों पर मौजूद बिलिल्यों की आकृतियां इस बात का सबूत हैं। जब इंसानों ने समुदर्ी रास्ते तय करने शुरु किये तो सफर के दौरान बिल्लियां साथ रहीं। इसके चित्र उन पुराने जहाजों पर भी मिलते हैं। इस तरह ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ट्यूनीशिया और केन्या में बिल्लियों (Cats and Humans) की संख्या बढ़ती गई।
भारत और श्रीलंका में पाई जाने वाली बिल्लयां इन्हीं स्थानों की प्रजातियों का मिश्रित हैं। पशुविज्ञानी इस बात से सहमत हैं कि बिल्लियां यह समझती हैं कि हम इंसानों को उनकी जरूरत है, तभी आज भी वे अपनी पसंद की जगह और पसंद के इंसान चुनती हैं और पूरे रौब के साथ रहती हैं।
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