Protest with dead bodies : आपने कई बार देखा या सुना होगा कि शासन-प्रशासन के कार्रवाई से नाराज होकर कुछ लोग अपने परिजनों के शवों को लेकर धरना या विरोध प्रदर्शन पर बैठ जाते हैं। पर अब राजस्थान सरकार ने इसे लेकर नया कानून बना दिया है। अब शव को सड़क पर रखकर विरोध (Protest with dead bodies) करने वालों के खिलाफ न सिर्फ कार्रवाई बल्की ऐसा करने वालों को 2 साल की सजा भी हो सकती है। अशोक गहलोत की सरकार ने इस कानून को लेकर विधानसभा में विधेयक पारित करवा दिया है।
2 साल की सजा और जुर्माना
रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में आए दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर शव को सड़क पर रखकर अपने जायज-नाजायज मांगों को पूरा कराने की लागातर बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार ने इस कानून को लागू किया है। अब शव को सड़क पर रखकर धरना या विरोध करने को अब राजस्थान सरकार ने गैर कानूनी कैटेगरी में डाल दिया है, अब अगर को भी व्यक्ति या गुट ऐसा करता हुआ मिला तो उसे 2 साल की सजा मिलेगी।
राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि लावारिस शवों के समुचित रखरखाव और उनका डाटा भी तैयार करवाया जाएगा और मृत शरीर की DNA प्रोफाइलिंग भी तैयार करवाई जाएगी। साथ ही उनका जैनेटिक डाटा तैयार करवाकर सुरक्षित रखा जाएगा। अगर मृत शरीर का उपयोग विरोध (Protest with dead bodies) के लिए किया जाता है या इसके लिए सहमति दी जाती है तो 2 साल के कारावास और जुर्माने भी लगाया जाएगा।
अगर परिजनों के अलावा कोई अन्य मृत शरीर का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन (Protest with dead bodies) के लिए करता है तो उसे छह माह की जेल होगी। नए कानून का साथ ही मृतक के अंतिम संस्कार संपादित करने का सशर्त आदेश भी दिया जाएगा। अगर ऐसे परिस्थिति हो जाए कि मृतक के परिजन उसके शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते है तो 24 घंटे के अंदर अंतिम संस्कार करने का सशर्त आदेश दे दिया जाएगा।
विपक्ष का आरोप
अब गहलोत सरकार के इस नए कानून को लेकर विपक्ष ने आरोप लगाने शुरु कर दिए हैं। विपक्षियों का आरोप है कि सरकारी नाकामियों और शासन-प्रशासन की गलतियों के चलते कई बार लोग ऐसा करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। सरकार ने अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए घबराकर ऐसा कानून लेकर आई है।
क्यों लागू हुआ नया कानून
संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि- भाजपा शासन के दौरान इस तरह के विरोध प्रदर्शन की 82 घटनाएं हुईं हैं। 2019 से 2023 तक ऐसी 306 घटनाएं सामने आईं। अगर यह कानून नहीं लाया जाता तो यह आंकड़ा और बढ़ जाता।
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