Plane Crash Survival Stories: अहमदावाद प्लेन क्रैश में एकमात्र व्यक्त्ति विश्वास कुमार रमेश का जीवित बचना इस बात का उदाहरण है कि चमत्कार होते हैं. तभी तो कहा गया है जाको राखे साईयां, मार सके कोय. इतिहास में कई ऐसे भीषण प्लेन क्रैश हुए हैं, जिनमें विमान में बैठे सभी यात्रियों को असमय ही मौत की नींद में सुला दिया, लेकिन तब भी चमत्कार हुआ. इन घटनाओं में भी एकमात्र व्यक्ति सकुशल जिंदा (Plane Crash Survival Stories) बच गए. आइये कुछ ऐसी ही चुनिंदा घटनाओं पर नजर डालें..
Plane Crash Survival Stories..
दो विमान दुर्घटनाओं में बच गए आस्टिन
आस्टिन हैच के जीवित रहने की कहानी शायद किसी और से ज्यादा उल्लेखनीय है, क्योंकि वह एक नहीं, बल्कि दो विमान दुर्घटनाओं से बच निकले थे. आस्टिन हैच अब 29 वर्षीय हैं और अमेरिका के इंडियाना में रह रहे है. उन्होंने दो विनाशकारी दुर्घटनाओं में अपनी मां, पिता, बहन, भाई और सौतेली मां को खो दिया. वह सिर्फ आठ साल के थे जब उत्तरी मिशिगन से एक छोटे प्लेन से अपने माता-पिता, भाई और बहन के साथ इंडियाना आ रहे थे. उनके पायलट पिता स्टीफन विमान उड़ा रहे थे. जैसे ही विमान उतरना शुरू किया, अनियंत्रित होकर जमीन पर गिर पड़ा. इस दुर्घटना में उनकी मां, भाई और बहन की मृत्यु हो गई. चमत्कारिक रूप से, स्टीफन और आस्टिन बच गए. इस दुर्घटना के एक साल बाद स्टीफन ने किंबली नाम की एक महिला से शादी कर ली. आस्टिन के लिए सौतेली मां का साया भी ज्यादा दिन छाव न दे सका. 2011 में एक और उड़ान दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसमें स्टीफन और किंबली की मौत हो गई और अकेले आस्टिन बच गए.
लो ब्लडप्रेशर से बच गई जान
26 जनवरी, 1972 को जेएटी फ्लाइट 367 में ब्रीफकेस बम विस्फोट हुआ, जिसके बाद विमान एक दूरदराज के चेकोस्लोवाकियाई गांव के ऊपर दो हिस्सों में बंटकर गिर गया. घटना में अन्य सभी यात्री और फ्लाइट विमान से बाहर उड़ गए. वेस्ना वुलोविक जो उस समय 22 वर्ष की थीं एक खाने की ट्राली के साथ विमान के मध्य भाग के हिस्से के अंदर फंस गई थी. चूंकि यह हिस्सा घने जंगल, बर्फ से ढके पहाड़ पर गिरा था, लिहाजा वेस्ना बिना पैराशूट के 10 किमी (33,333 फीट) की ऊंचाई से गिरने के बाद भी बच गई थीं. विशेषज्ञ बताते हैं कि उन्हें लो ब्लड प्रेशर की समस्या थी, जिसके कारण केबिन में दबाव कम होने पर वह बेहोश हो गई थीं. उनकी यही समस्या उनके लिए वरदान बनीं और जिंदा बच गई.
विमान से बचकर फंसी एमेजोन के जंगल में
1971 में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, जूलियन कोएप्के, जो उस समय 17 वर्ष की थीं, लांसा फ्लाइट 508 में बच गई थी. विमान पर बिजली गिरने से वह हवा में ही बिखर गया. जूलियन सीट बेल्ट के साथ तीनों सीटों से बंधी रहीं और पेरू के एमेजोन वर्षावन में नीचे गिर गई. इस दुर्घटना में उनके साथ बैठी उनकी मां, जूलॉजिस्ट मारिया को एप्के की मृत्यु हो गई. ऐसा माना जाता है कि तेज हवा का झोंका, घना जंगल और सीट से उनके बंधे रहने ने पैराशूट का काम किया. उनका संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ. अगले 11 दिनों तक, जूलियन एमेजोन वर्षावन में अकेली जीवित रहीं. सौभाग्य से बचपन में उन्होंने अपनी जूलॉजिस्ट मां, के साथ जंगल में पर्याप्त समय बिताया था, जिससे उसे अपने खतरनाक परिवेश का अच्छा ज्ञान हो गया था. पास के एक छोटे से झरने से पानी पीकर खुद को जीवित रखा और नदी के किनारे किनारे चलकर आबादी क्षेत्र में पहुंचने की बचपन की सीख से अपनी जान बचा ली.
सेसिलिया सिचन के साथ चमत्कार
16 अगस्त, 1987 को अमेरिका के नार्थवेस्ट एयरलाइंस की फ्लाइट 255 ने डेट्रोइट मेट्रोपालिटन एयरपोर्ट से फीनिक्स स्काई हार्बर के लिए उड़ान भरी. अहमदाबाद विमान दुर्घटना की तरह यह विमान भी उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद जमीन पर गिर गया। इस घटना में चालक दल के छह सदस्यों सहित 148 यात्री मारे गए. सिर्फ एकमात्र सेसिलिया बची थीं. चार वर्षीय सेसिलिया सिचन जलते हुए मलबे के बीच सकुशल थी, हालांकि तब वे रो रही थी. उनकी चाची और चाचा ने उसका पालन पोषण किया.
3 घंटे तक तैरती रहीं बाकरी
30 जून, 2009 को यमन की फ्लाइट 626 दुर्घटनाग्रस्त होकर समुद्र में गिर गई। इस हादसे में 152 लोग मारे गए, लेकिन 12 वर्षीय बहिया बाकरी ने 13 घंटे तक महासागर में तैरकर अपनी जान बचाई। विमान का ही एक टुकड़ा उनके लिए जीवन रक्षक साबित हुआ. उसी को पकड़े हुए जीवित बची रहीं. बाद में बचाव दल ने उन्हें सुरक्षित निकाल लिया.
कम उम्र वाले किस्मत के ज्यादा धनी
पूरे इतिहास में, हवाई दुर्घटनाओं के मलबे से जीवित निकलने के कम से कम 100 उदाहरण है, जिनमें सैन्य, मालवाहक और वाणिज्यिक विमान शामिल है। इसमें से उल्लेखनीय बात यह है कि इनमें से अधिकांश जीवित बचे लोग युवा हैं। जिन 77 लोगों की उम्र ज्ञात है, उनमें से औसत आयु 24 वर्ष है। विमान दुर्घटनाओं में बचने वालों की सबसे अधिक उम्र 52 वर्ष है। सबसे कम आयु वाला व्यक्ति, एक थाई नागरिक चानायुथ निम अनोंग है जो 1997 में वियतनाम एयरलाइन दुर्घटना में बच गया था, वह उस समय केवल 14 महीने का था। दुर्घटना में कुल 65 मौते हुई थी.
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