One Nation One Election : वन नेशन वन इलेक्शन इन दिनों काफी ज्यादा चर्चा में है। इसे लेकर केंद्र सरकार ने 8 सदस्यी कमेटी भी बनाई है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसके अध्यक्ष होंगे। पर क्या आप जानते हैं भारत में वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) पहले भी हो चुके हैं, और 1-2 नहीं बल्की 15 सालों तक हुआ है। हैरान हो गए न तो चलिए बताते हैं भारत में पहले कब-कब वन नेशन वन इलेक्शन हुए हैं, और इसके फायदे-नुकसान क्या हैं।
भारत में पहला जनरल इलेक्शन अक्टूबर 1951 से लेकर फरवरी 1952 में हुआ था। इसके बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे। इसके बाद ये बंद हो गया था। अब एक बार फिर वर्तमान भाजपा सरकार वन नेशन वन इलेक्शन शुरु करने की बात कर रही है।
इसके बाद 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने की वजह से एक साथ चुनाव (One nation one election) होने का चक्र बाधित हुआ। चौथी लोकसभा भी समय से पहले भंग कर दी गई थी, इसकी वजह से 1971 में नए चुनाव हुए। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक भारत के कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं।
हर साल इलेक्शन से क्या है नुकसान
हर साल करीब 5-7 राज्यों के विधानसभा चुनाव होते हैं। हर साल इतने राज्यसभा चुनाव होने के कारण सावर्जनिक जीवन तो बाधित होता है ही, साथ ही काफी ज्यादा पैसे भी खर्च होते हैं। लंबे समय तक सुरक्षा बलों की तैनाती करनी पड़ती है, जिसमें काफी खर्च होते हैं।
कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने 2015 में कहा था कि बार-बार चुनाव होने से सामान्य सार्वजनिक जीवन में दिक्ततें होती हैं और जरूरी सेवाओं के कामकाज पर भी असर पड़ता है।
One Nation One Election पर अरविंद केजरीवाल का बयान –
इसके अलावा राजनीतिक रैलियां करने से रोड ट्रैफिक भी बाधित होता है और साउंड पॉल्यूशन भी होता है। आदर्श आचार संहिता लागू होने के चलते विकास कार्यों पर भी असर पड़ता है।
One Nation One Election के क्या है फायदे
भाजपा सरकार का कहना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराए जाने से देश और जनता कै पैसा बचेगा।
इसके साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों पर बोझ भी कम होगा। सरकारी नीतियां समय पर कार्यान्वयन हो सकेंगी और प्रशासनिक मशीनरी चुनावी कार्यक्रम के बजाय देश और राज्यों के विकास कार्यों में ज्यादा समय दे पाएंगी।
One Nation One Election पर तेजस्वी यादव का बयान –
विपक्षी दलों का क्या कहना है
कुछ विपक्षी दलों का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से मतदाताओं का व्यवहार इस रूप में प्रभावित हो सकता है कि वे राज्य के चुनाव के लिए भी राष्ट्रीय मुद्दों पर मतदान करने लगेंगे। इससे आशंका है कि बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में जीत हासिल कर लें। विपक्षियों का आरोप है कि एक साथ चुनाव कराने का फैसला राजनीति से प्रेरित है।
One Nation One Election पर Maharashtra CM एकनाथ शिंधे का बयान
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