No Smoking Day : सिगरेट- ई सिगरेट या बीड़ी का शौक रखने वालों से दोस्ती जान खतरे में डाल सकती है। पैसिव स्मोकिंग फेफड़ों को तो खराब कर ही रही है, साथ ही ब्लड प्रेशर भी बढ़ा रही है। गोरखपुर एम्स समेत देश के 6 बड़े चिकित्सा संस्थानों के स्पेशलिस्ट के रिसर्च में यह फैक्ट सामने आया है।
No Smoking Day पर जानिए रिसर्च में क्या आया
एम्स के कम्यूनिटी एंड मेडिसिन विभाग के डॉ यू वेंकटेश ने बताया कि कुल 1353 मरीजों पर रिसर्च किया गया। इसमें 672 पैसिव स्मोकर थे। इन्हें कोविड संक्रमण के कारण गंभीर हालत में ICU में भर्ती किया गया था। इनके कम्पैरिजन 681 ऐसे लोगों को भी रिसर्च में शामिल किया गया, जो कोरोना संक्रमऑण के दौरान गंभीर नहीं हुए। इनमें किसी ने कभी धूम्रपान नहीं किया।
रिसर्च में (No Smoking Day) शामिल करीब 70 परसेंट लोगों की उम्र 30 साल से अधिक थी। इसमें दो तिहाई पुरुष और करीब 70 परसेंट लोग मैरिड थे। ज्यादातर उच्च आय वर्ग के शिक्षित लोग थे। पैसिव स्मोकिंग में सिगरेट के साथ ही किचन के चूल्हे से निकलने वाले धुएं को भी रिसर्च में शामिल किया गया था। घर के अंदर धुएं से पैसिव स्मोकिंग में कोविड संक्रमण के गंभीर होने का खतरा तीन गुना अधिक मिला।
वर्किंग प्लेस पर सिगरेट या धुएं से होने वाले पैसिव स्मोकिंग में यह खतरा 2.19 गुना अधिक मिला।
रिसर्च में गोरखपुर, जोधपुर, भटिंडा, ऋषिकेश और पटना एम्स के अलावा गुजरात के सेवाग्राम स्थित महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के विशेषज्ञ शामिल रहे।
सिगरेट कमोजर कर रहा पुरषों की प्रजनन क्षमता
सिगरेट पीने से यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। सिगरेट के धुएं में लगभग 64 प्रकार के कार्सीमोजोंस होते हैं। कार्सीमोजोंस से तारकोल बनता है। यह फेफड़े की दीवारों पर चिपक जाता है। इससे फेफड़े तो कमजोर होते ही हैं, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। सिगरेट में कैडमियम और बेंजीन से जीन में बदलाव हो सकता है। यह रसायन पुरुषओं को नपुंसक बनाता है। वहीं, महिलाओं में गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है। गर्भवती महिला के बच्चे कम वजन के पैदा होते हैं।
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