New criminal laws : एक जुलाई से देश में 3 नए क्रिमिनल लॉ लागू हो जाएंगे। सरकार ने इससे जुड़ी अधिसूचना शनिवार को जारी की है। इसके साथ ही क्रिमिनल लॉ के साथ ही अपराध की पहचान बन चुकी कई धाराएं भी बदल जाएंगी। जैसे मर्डर की धारा 302 की जगह अब 101 हो जाएगी और ठगी की धारा 420 की जगह 316 हो जाएगी। एक सबसे बड़ा बदलाव (New criminal laws) भी किया गया है। वो ये कि अब ट्रायल कोर्ट को मैक्सिमम 3 साल में फैसला सुनाना होगा। 20 नए अपराधों को IPC में जोड़ा गया है और सजा के प्रावधान में भी बदलाव किए गए हैं।
क्या हुए बदलाव?
1 जुलाई से लागू होंगे New criminal laws
कई धाराएं और प्रावधान बदले गए हैं। IPC में 511 धाराएं थी, जो बदलाव के बाद अब 356 हो गई है। 175 धाराएं बदल दी गई है। इसके अलावा 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 22 धाराएं खत्म हो गई है। इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं बची है। 160 धाराएं बदली गई है, 9 नई जुड़ी है, 9 खत्म कर दी गई है। आरोपी से पूछताछ से ट्रायल तक सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करने का प्रावधान हो गया है, जो कि पहले नहीं था।
इनकी जगह लाए गए कानून
3 New criminal laws
- 1860 में बने इंडियन पेनल कोड की जगह अब भारतीय न्याय संहिता 2023
- 1898 में बने CRPC की जगह अब भारतीय नागरिक 2 सुरक्षा संहिता 2023
- 1872 में बने इंडियन एविडेंस कोड की जगह अब भारतीय साक्ष्य संहिता 2023
अपराध की पहचान बन चुकी धाराओं को बदला गया
- नए कानून के लागू होने के बाद जो धाराएं अपराध की पहचान बन चुकी थी, उनमें भी बदलाव होगा।
- मर्डर के लिए लगाई जाने वाली आईपीसी की धारा 302 अब धारा 101 कहलाएगी.
- ठगी के लिए लगाई जाने वाली धारा 420 अब धारा 316 से जानी जाएगी
- हत्या के प्रयास के लिए लगाई जाने वाली धारा 307 अब धारा 109 कहलाएगी
- दुष्कर्म के लिए लगाई जाने वाली धारा 376 अब धारा 63 होगी
नए कानून से होने वाले बदलाव
- नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को उम्रकैद या फांसी की सजा
- गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की जेल की सजा या जिंदा रहने तक जेल
- मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा
- देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को होगी जेल की सजा
- सशस्त्र विरोध, बम धमाके पर जाना होगा जेल
सबसे बड़ा बदलाव
सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला मैक्सिमम 3 साल में देना होगा। देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग है। इनमें से 4,444 करोड़ केस ट्रायल कोर्ट में है। इसी तरह जिला अदालतों में जजों के 25,042 पदों में से 5,850 पद खाली हैं।
ट्रायल के मामले
- किसी को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार वालों को जानकारी देनी होगी
- दया याचिका यानी मर्सी पेटिशन सिर्फ दोषी ही कर सकता है
- किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस विक्टिम को देगी
- अगर आरोपी 90 दिनों के अंदर भी कोर्ट में पेश नहीं होता तो उसकी गैर मौजूदगी में भी ट्रायल किया जाएगा
- फैसले के 7 दिन के अंदर सजा सुनानी होगी
- मुकदमा खत्म होने के बाद जज को 43 दिन में फैसला सुनाना होगा
- गंभीर मामलों में आधी सजा काटने के बाद रिहाई मिल सकती है
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