International Space Station : Most Expensive Man Made Thing In The World जी हां पूरी दुनिया में मानवों द्वारा बनाई गई सबसे महंगी चीज क्या हो सकती है। ऐसे तो इस लिस्ट में कई नाम हैं पर सबसे ऊपर है International Space Station (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन) (अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन) जो इस दुनिया में है ही नहीं। मतलब ये पृथ्वी (Earth) से बाहर स्पेस में है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) दुनिया में बनायी गई सबसे महंगी चीज है। इस स्पेस स्टेशन की कीमत (Value of International Space Station) 150 बिलियन डॉलर है यानी 11 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।
हर साल मेंटेनेंस में खर्च होते हैं 3-4 बिलियन डॉलर
इस स्पेस स्टेशन (International Space Station) को बनाना इतना महंगा था कि कोई भी एक देश इसे अकेला पूरा नहीं कर सकता था। अमेरिका, रशिया, यूरोप, कनाडा, जापान और कई बड़े देश साथ में आए इस पर काम करने के लिए। इस स्पेस स्टेशन को साल 1998 में लॉन्च किया गया था। इस स्टेशन को हर साल मेन्टेन करने की ही कॉस्ट यानी खर्च 3 से 4 बिलियन डॉलर की आती है।
क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन
International Space Station का इस्तेमाल स्पेस में रहने और काम करने के बारे में जानने के लिए किया जाता है। सन 2000 के बाद हर दिन इस स्पेस स्टेशन में ऐस्ट्रोनॉट्स रहते हैं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की लैब में अंतरिक्ष से जुड़ी वो सभी रिसर्च किये जाते हैं जिन्हें धरती पर ग्रैविटी की मौजूदगी में कर पाना मुमकिन नहीं है।
एक फुटबॉल फील्ड जितना बड़ा है अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन
दरअसल अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन एक ऐसे सेटेलाइट की तरह है जो एक स्पेस लैबोरेट्री की तरह काम कर रही है। जहां पर लोग रहते भी हैं, और इसे पृथ्वी के चारो तरफ घूमते भी रहना है। इसका एरिया एक फुटबॉल फील्ड जितना बड़ा है और इसका वजन करीब चार लाख किलोग्राम है। इसमें बिजली आपूर्ति के लिए बडे बड़े सोलर पैनल्स लगाए गए हैं। इसमें ऑक्सीजन प्रोवाइड करने के लिए समय समय पर सप्लाई शट्ल्स को पृथ्वी से भेजा जाता है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में लगा है वाटर रिकवरी सिस्टम
इसके अलावा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) में एक वाटर रिकवरी सिस्टम भी बनाया गया है। ताकि जब एस्ट्रोनॉट्स पेशाब करें तो उसे क्लीन वाटर में बदला जा सके। ताकि उन्हें पानी मिल सके। बाहर और अंदर के तापमान को मेंटेन रखने के लिए जबरजस्त इंसोलेशन की जरुरत होती है। इन्ही वजहों से ये इतना महंगा भी है।
इंटरनेशनल सपेस स्टेशन को दो खंडों में बांटा गया है
स्टेशन को दो खंडों में बांटा गया है (ISS is divided into two sections) पहला, Russian Orbital Segment (ROS) रूस द्वारा संचालित है, जबकि दूसरा, United States Orbital Segment (USOS) संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ-साथ अन्य राज्यों द्वारा चलाया जाता है। रूसी खंड में छह मॉड्यूल शामिल हैं और यूएस सेगमेंट में दस मॉड्यूल शामिल हैं, जिनकी हेल्पिंग सर्विस NASA के लिए 76.6%, JAXA के लिए 12.8%, ESA के लिए 8.3% और CSA के लिए 2.3% वितरित की जाती हैं।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लगभग 93 मिनट में लगाती है पृथ्वी का चक्कर
सोवियत, रूसी सैल्यूट, अल्माज, मीर स्टेशन (Mir stations) और अमेरिकी स्काईलैब (American Skylab) के बाद, ISS नौवां अंतरिक्ष स्टेशन है, जिसमें चालक दल रहते हैं। यह अंतरिक्ष में सबसे बड़ी आर्टिफिशियल ऑब्जेक्ट है। ISS पृथ्वी का लगभग 93 मिनट में चक्कर लगाता है और रोज 15.5 परिक्रमाएं पूरी करता है।
नासा (NASA) के साइंटिस्ट्स ने अंतरिक्ष में उगाई मिर्च
अक्टूबर 2021 में स्पेस स्टेशन में मौजूद नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में 4 महीने के लिए एक अनोखे मिर्च के पौधे को क्यूरेट किया और इसमें मिर्च उगाई। जब ये मिर्च बड़ी हो गईं तो एस्ट्रोनॉट्स ने इसका इस्तेमाल स्पेशल डिश बनाने में किया।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के पार्ट्स । International Space Station Parts
Robots Arms (रोबोट आर्म्स)– ये आर्म्स अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर की तरफ जुड़ी होती हैं। इन्ही की मदद से स्पेस स्टेशन का निर्माण किया जाता है। एस्ट्रोनॉट्स इन आर्म्स की मदद से बाहर घूमते हैं।
Airlocks (एयरलॉक्स)– इनका इस्तेमाल दरवाजों की तरह किया जाता है। Airlocks मदद से ही एस्ट्रोनॉट्स एयर वॉक के लिए स्पेस स्टेशन से बाहर निकलते हैं।
Modules (मॉड्यूल्स) – अंतरिक्ष स्टेशन को कई टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया है, इन टुकड़ों को मॉड्यूल्स (modules) कहते हैं। पहले मॉड्यूल्स में अंतरिक्ष स्टेशन के काम करने के लिए आवश्यक पुर्जे थे। इन मॉड्यूल्स में अंतरिक्ष यात्री भी रहते थे। स्टेशन के पार्ट्स को एक दूसरे के साथ जोड़ने वाले मॉड्यूल्स को नोड्स (nodes) कहते हैं।
Solar panels (सोलर पैनल)– अंतरिक्ष स्टेशन के साइडों में सोलर पैनल लगी होती हैं। इनका काम सूरज से energy (ऊर्जा) लेना होता है।
Docking Ports (डॉकिंग पोर्ट्स)– डॉकिंग पोर्टस भी दरवाजों की तरह ही होते हैं। इनका इस्तेमाल आने वाले किसी स्पेस क्राफ्ट को स्पेस स्टशन से जोड़ने के लिए किया जाता है।
Lab (लैब) – लैब के अंदर एस्ट्रोनॉट्स रिसर्च करते हैं। हाल ही में स्पेस में उगाई गई मिर्च इस रिसर्च का एक उदाहरण है।
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