Misinformation Combat Alliance : सोशल मीडिया पर आपने जरूर पढ़ा होगा कि अभिषेक बच्चन की बेटी आराध्या बच्चन उनके बारे में फेक न्यूज फैलाने वाले यूट्यूब चैनलों के खिलाफ कोर्ट पहुंची हैं। अब इन फेक न्यूज पर कंट्रोल करने की दिशा में सरकार की पहल को देखते हुए बड़ी तकनीकी कंपनियों ने भी मिसइन्फॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस (Misinformation Combat Alliance) बनाने का सजेशन दिया है। इसमें गूगल, फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियां भी हो सकती हैं। अलायंस में फैक्ट चेक करने वाले एक्सपर्ट्स की एक टीम होगी। ये भारत में फैक्ट चेक करने वाली संस्थाओं की विश्वनीयता की भी जांच करेगी और उन्हें सर्टिफिकेट देगी।
Hate और हिंसा फैलाने वाले कंटेंट
इंटरनेट मीडिया पर किसी जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र, राष्ट्रीयता या संस्कृति के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री, वीडियो, वॉयस मैसेज, मीम्स या एनिमेशन को फैलाया जाता है। इससे सामाजिक तनाव पैदा करने की कोशिश की जाती है। मामला तब ज्यादा गंभीर हो जाता है, जब बिना जांचें परखे लोग दूसरों के साथ इसे शेयर करने लगते हैं, या उन पर उन पर आंख मूंदकर ट्रस्ट कर लेते हैं। हाल ही यूपी में अतीक और उसके बेटे असद की मौत के बाद सरकार के खिलाफ हेट मैसेजेज़ फॉरवर्ड होने लगे थे।
फोटो और वीडियो वाले मैसेज पर होगी नजर
फोटो या वीडियो के साथ आसानी से छेड़छाड़ कर के किसी को भी भड़काया, ब्लैकमेल या बदनाम किया जा सकता है। इसके लिए आप पीआईबी (PIB) के फैक्ट चेक के Twitter हैंडल की भी हेल्प ले सकते हैं।
लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक करें सोर्स
किसी लिंक पर क्लिक करने से पहले देख लें कि उसे भेजने वाले को आप जानते हैं या नहीं। शक होने पर लिंक की विश्वसनीयता का प्रमाण जरूर मांगे। या अनजान नंबर से कोई लॉटरी या जैकपॉट का मैसेज आए तो उसे तुरंत ब्लॉक कर दें। आजकल कौन बनेगा करोड़पति के नाम पर (Misinformation Combat Alliance) वाट्सऐप पर फेक मैसेज काफी फॉरवर्ड होते हैं। इनसे बचकर रहें।
वेबसाइट, चैनल या पेज की विश्वनीयता जांच लें
किसी भी वेबसाइट, यूट्यूब चैनल, फेसबुक, इंस्टाग्राम या ट्विटर पेज को लाइक, फॉलो या शेयर करने से पहले उसकी विश्वनीयता को जरुर देखें। 20 अप्रैल को अमिताभ बच्चन की पोती आराध्या बच्चन ने हाई कोर्ट में उनके बारे में फेक न्यूज फैलाने वाले यूट्यूब चैनलों के खिलाफ याचिका दायर की है। यूट्यूब चैनलों पर फेक न्यूज काफी तेजी से फैलने की आशंका रहती है।
कंटेंट की क्वालिटी और टाइमलाइन देखें
नॉर्मली फेक कंटेंट दोयम दर्जे के होते हैं। उसमे डेट लाइन, सोर्स या प्रमाणिक लोगों के बयान जैसी चीजें (Misinformation Combat Alliance) नहीं होती। इन चीजों से भी कंटेंट की प्रमाणिकता जांची जा सकती है।
क्या होता है Fake News
जानकारी के नाम पर दी जाने वाली गलत सूचना को फेक न्यूज कहते हैं। इससे न सिर्फ यूजर को नुकसान होता है, बल्कि भारत जैसे लोगों के बीच बने सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचत है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर समेत वाट्सऐप पर ऐसे मैसेज, वीडियो, रील्स और ग्रुप मैसेज आते रहते हैं। ऐसे फेक मैसेज का शिकार वो लोग ज्यादा होते हैं, जिन्हें डिजिटल नॉलेज कम होती है, तो ऊपर दी हुई कुछ बातों का ध्यान रखकर आप फेक न्यूज से बच सकते हैं और लोगों को बचा भी सकते हैं।
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