Microplastic : प्लास्टिक के आविष्कार ने भले ही शुरुआत में मानव विकास में अहम भूमिका निभाई हो, पर आज यही प्लास्टिक मानवता के सामने सबसे बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। प्लास्टिक के कारण हमारी प्रकृति, और पृथ्वी को तो नुकसान पहुंच ही रहा है, अब ये प्लास्टिक धीरे धीरे हमारे शरीर में भी पहुंच गया है। पॉल्यूशन के कारण बॉडी में माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) के कण मिलने के प्रूफ तो पहले भी मिले हैं, पर अब यह खतरा हमारे दिल तक पहुंच गया है।
हाल ही में अमेरिका में सर्जरी के पहले और बाद में लिए गए दिल के ऊतकों (Heart Tissues) के सैंपल में माइक्रोप्लास्टिक के कण मिलने की पुष्टि हुई है। अमेरिकन केमिकल सोसायटी में यह रिसर्च पबलिश्ड है। शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के कण कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। खून में और पेट में माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) के कण मिलने की बात कई रिसर्च में पहले भी सामने आ चुकी है। अब दिल में ये कण मिले हैं।
हर्ट टिश्यू में मिले हजारों माइक्रोप्लास्टिक कण
रिसर्चर्स ने 15 लोगों के दिल की सर्जरी के पहले और बाद में टिश्यू के सैंपल लिए थे। ज्यादातर सैंपल में हजारों माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) के कण पाए गए। प्लास्टिक के टाइप और कणों की संख्या मरीजों में अलग अलग पाई गई। रिसर्चर्स ने कहा कि किसी के दिल पर माइक्रोप्लास्टिक कणों से पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए अभी बड़े स्तर पर रिसर्च की जरूरत है। हालांकि इस बात में कोई शक नहीं है कि दिल तक माइक्रोप्लास्टिक का पहुंचना चिंताजनक है।
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टिकाऊ होना प्लास्टिक की खूबी है, पर अब यही इसके खतरे का कारण भी बन गया है। प्लास्टिक नष्ट नहीं होता है। लंबे समय तक मिट्टी या पानी में पड़े रहने के बाद भी प्लास्टिक गलता नहीं है। इस कारण प्लास्टिक कचरा सबसे बड़ा संकट बनता जा रहा है। अब कंडीशन ये हो गई है कि जल स्त्रोतों में फेंके जाने वाले प्लास्टिक कचरे के कारण पानी के जरिए लोगों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के कण पहुंचने लगे हैं। साथ ही हवा के रास्ते भी शरीर में माइक्रोप्लास्टिक पहुंचने का खतरा बढ़ रहा है।
असमय मौत का कारण बन रहा एयर पॉल्यूशन
माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) के खतरे के साथ ही एयर पॉल्यूशन के खतरे को लेकर भी टेंशन बढ़ाने वाली बात सामने आई है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में पबलिश्ड अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण बॉडी में पहंचने वाले सूक्ष्म प्रदूषण कणों से बडी संख्या में लोग असमय मौत का शिकार हो रहे हैं।
एयर पॉल्यूशन के कारण दिल की बीमारी में 1990 से 26 लाख लोग असमय मौत या स्थायी अपंगता का शिकार हो गए थे। 2019 में नंबर बढ़कर 35 लाख पहुंच गया। 204 देशों से 1990 से 2019 के बीच के आंकड़ों को जोड़कर तैयार ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी में यह फैक्ट सामने आया है। वाहनों से निकलने वाला धुआं, धूल और कारखानों की चिमनियों से निकलने वाला धुआं एयर पॉल्यूशन के मेन कारक हैं।
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