Kankadmar Holi : आदिवासी समाज में आज भी कई ऐसी परंपरा है, जो आपको हैरानी में डाल सकती है। होली का त्यौहार रंगों का होता है, पर हमारे देश में कई ऐसे राज्य और शहर हैं, जहां होली अलग ही तरह से खेली जाती है। हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर, छत्तिसगढ़, मध्यप्रदेश के एक आदिवासी समाज की जहां, युवा होली पर कंकड़ का खेल (Kankadmar Holi) खेलते हैं। जी हां, लोग यहां होली के दिन ‘कंकड़ मार’ खेलते हैं।
भील आदिवासी में होती है कंकड़मार होली की परंपरा
इसमें बेहतर प्रदर्शन के आधार पर जोड़े तय हो जाते हैं और उनकी शादी हो जाती है। उसी दिन समुदाय के किशोर अपने बल पौरुष का परिचय देकर साथी को रिझाते हैं। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, सोनभद्र से लेकर घोरावाल, मीर्जापुर के कुछ गांव में भील आदिवासी के कई गांव हैं, जहां आज भी यह परंपरा जीवित है।
करमा नृत्य करते हुए खेलते हैं फूलों की होली
होली के दिन इस समुदाय के लोग सबसे पहले अपने कुलदेवता और अपने धनुष बाष की पूजा करते हैं, फिर घरों में पकवान बनाते हैं। दोपहर के वक्त मानर की थाप पर करमा नृत्य करते हुए जंगली और सुगंधित फूलों से युवक-युवतियों पर फूलों से मारकर के होली खेलते हैं। इस दौरान महिलाएं पुरुषों को कंकड़ मारती (Kankadmar Holi) हैं।
नहीं छोड़ा हाथ तो जीवन भर निभाएंगे साथ
मान्यता है कि, पांडवों की वीरगाथा से प्रेरित होकर, कुंवारे लड़के युवतियों के हाथ पकड़ते हैं, जो युवक युवती के कंकर (Kankadmar Holi) का बचाव करते हुए उसका हाथ पकड़ लेता है और युवती के लाख प्रयास करने के बाद भी हाथ नहीं छोड़ता। समुदाय के लोग उससे उसकी शादी करने की मुहर लगा देते हैं।
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