Four Param Veer Chakra awardees of Uttar Pradesh : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती पराक्रम दिवस पर पीएम मोदी ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के जिन 21 अनाम द्वीपों को परमवीर चक्र विजाताओं का नाम दिया है, उन वीरों में 4 सपूतों (Four Param Veer Chakra awardees of Uttar Pradesh) ने उत्तर प्रदेश की धरती पर जन्म लिया है। इनमें शाहजहांपुर के नायक जदुनाथ सिंह, सीतापुर के कैप्टन मनोज कुमार पांडेय, बुलंदशहर के वीर अब्दुल हमीद और गाजियाबाद के ऑनरेरी कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव शामिल हैं। इन चार वीरों में से अब सिर्फ कैप्टन योगेंद्र सिंह जीवित हैं।
जानिये, उत्तर प्रदेश के इन चार परमवीर चक्र विजेताओं के बारे में-
कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव
कैप्टन योगेंद्र सिंह मूल रूप से बुलंदशहर के औरंगाबाद स्थित अहीर गांव के हैं। योगेंद्र अब गाजियाबाद स्थित साहिबाबाद के लाजपत नगर में परिवार के साथ रहते हैं। 10 मई 1980 को जन्में योगेंद्र सिंह सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले सेनानी हैं। महज 16 साल 5 महीने की उम्र योग्रेंद यादव सेना में भर्ती हो गए थे। ऑपरेशन विजय के वक्त योगेंद्र 18वीं ग्रेनेडियर्स के प्लाटून के सदस्य थे।
उन्होंने अपनी टीम के साथ 3 जुलाई 1999 को जम्मू कश्मीर के टाइगर हिल की चढ़ाई कर ऊपर पहुंचकर दुशमनों की बंकर को बर्बाद किया था। इस ऑपरेशन में योग्रेंद्र यादव को की गोलियां भी लगी थी। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और टाइगर हिल पर फतेह किया। उस वक्त योगेंद्र यादव की उम्र सिर्फ 19 साल थी।
वीर अब्दुल हमीद
गाजीपुर के महान बलिदानी वीर अब्दुल हमीद 27 दिसंबर 1954 को सिर्फ 21 साल की उम्र में ग्रेनेडियर इंफैट्री रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। 10 सितंबर 1965 को अब्दुल हमीद RCL गन के साथ जीप पर सवार थे। अब्दुल हमीद ने दुश्मन देश के कई पैटन टैंक बर्बाद किए। युद्ध में अब्दुल गंभीर रूप से घायल हुए और फिर शहीद हो गए। भारत-पाक युद्ध में महान योगदान को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
अब्दुल हमीद के बड़े बेटे जैनुल हसन ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस निर्णय से हम सभी गौरवान्वित हैं। नरेन्द्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्द में देश के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने वाले अब्दुल हमीद के पंजाब के फिरोजपुर के खेमकरण सेक्टर में बने शहीद स्तंभ पर जाकर श्रद्धांजलि दी थी।
Photo -AajTak
वीर बलिदानी कैप्टन मनोज पांडेय
करगिल युद्ध में शौर्य दिखाने वाले बलिदानी सीतापुर के रूढ़ा गांव निवासी कैप्टन मनोज पांडेय के नाम पर द्वीप (Four Param Veer Chakra awardees of Uttar Pradesh) के नामकरण से जहां जिले का देश में मान बढ़ा है। वहीं उनके परिवारजनों और ग्रामीणों में उत्साह है। गोपीचंद्र पांडेय और मोहिनी देवी के घर मनोज का जन्म 25 जून 1975 को हुआ था। 11 गोरखा रायफल्स रेजिमेंट की पहली वाहनी में कमीशंड ऑफिसर के पद पर पहली तैनाती मिली।
करगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय के दौरान गोरखा राइफल्स की अगुवाई करते हुए तीन जुलाई 1999 को 24 साल की उम्र में मनोज वीरगति को प्राप्त हुए। कैप्टन ने साहस दिखाते हुए चार दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था, और दो बंकर भी खत्म कर दिये थे। मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र मिला।
नायक जदुनाथ सिंह
अंडमान निकोबार का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप अब 27 सैनिकों की टुकड़ी लेकर दुश्मन के पैर उखाड़ने वाले नायक जदुनाथ सिंह के नाम से पहचाना जाएगा। जदुनाथ सिंह साल-1941 में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हुए। सैकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान बर्मा में जापान के खिलाफ हुई लड़ाई में भी वो हिस्सा थे। 1947 में भारतीय सेना के राजपूत रेजीमेंट में रहकर भारत-पाक युद्ध भी लड़ा।
6 फरवरी 1948 को जम्मू कश्मीर के नौशेरा चौकी क्षेत्र में कुछ पाकिस्तानी सैनिक कबाइली भेष में घुस गए थे। भारतीय जवानों ने दो बार दुश्मनों का हमला नाकामयाब किया। तीसरी बार जदुनाथ सिंह (Four Param Veer Chakra awardees of Uttar Pradesh) ने घायल होने के बाद भी हार नहीं मानी और दुश्मनों को खदेड़ दिया। इस युद्ध में एक गोली जदुनाथ के सिर पर लगी और वो शहीद हो गए।
इन परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे गए द्वीपों के नाम –
इस तरह किया गया द्वीपों को नामकरण –
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