IRDA New Rules : बीमा विनियामक (IRDA) ने पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत देते हुए जीवन बीमा पॉलिसी (Life Insurance Policy) के नियमों में बड़ा बदलाव (IRDA New Rules) किया है. अब पॉलिसी को परिपक्वता अवधि (Maturity Period) से पहले बंद करने पर बीमाधारक को ज्यादा रिफंड मिलेगा. इसके लिए विशेष सरेंडर वैल्यू के नियम 1 अक्टूबर से लागू हो गए हैं. इसका सबसे अधिक फायदा उन लोगों को होगा, जो 1 साल में ही पॉलिसी लौटा देते हैं. अब उनका पूरा पैसा डूबेगा नहीं। वहीं, गलत तरीके से बेची गई पॉलिसी को भी आसानी से लौटाया जा सकेगा.
क्या होती है सरेंडर वैल्यू
जब कोई पॉलिसीधारक मैच्योरिटी पीरियड से पहले ही अपनी जीवन बीमा को बंद करता है तो कंपनी उसे कुछ रकम वापस करती है. उस रकम को ही सरेंडर वैल्यू कहा जाता है. यह चुकाए गए कुल प्रीमियम के आधार पर तय होती है. यह रकम मैच्योरिटी पीरियड पर मिलने वाली कुल बीमित राशि और उसके साथ मिलने वाले ब्याज और बोनस से कम होती है. अभी तक अधिकतर बीमा कंपनियां 3 साल का लॉक-इन पीरियड लागू करती थी. यानी कोई व्यक्ति अपनी बीमा पॉलिसी को इस अवधि में बंद करता है तो उसे कोई रिफंड नहीं मिलता था. अब यह नियम लागू नहीं होगा.
विशेष सरेंडर वैल्यू का फायदा
IRDA New Rules
बीमा नियामक IRDA ने पॉलिसीधारकों को राहत देने के लिए विशेष सरेंडर वैल्यू नियम लागू (IRDA New Rules) किया है। इसके तहत पॉलिसीधारक पहले वर्ष के बाद बीमा लौटाने के बाद भी रिफंड पाने के हकदार होंगे। वहीं, पांच वर्ष से कम की सीमित प्रीमियम भुगतान अवधि वाली पॉलिसी और एकल प्रीमियम पॉलिसी के लिए विशेष सरेंडर वैल्यू प्रीमियम चुकाने के तुरंत बाद देय होगी।
नए नियम में यह भी देखा जाएगा कि ग्राहकों ने कितना प्रीमियम चुका दिया है और उस पर बीमाधारक को क्या लाभ मिलने वाला था. स्पेशल सरेंडर वैल्यू की हर साल समीक्षा भी की जाएगी. IRDA ने इसी साल जून में नए नियम जारी किए थे और इन्हें 1 अक्टूबप से लागू किया जाना था.
इन पॉलिसी पर लागू होगा नियम
नया नियम सिर्फ जीवन बीमा की एन्डॉमेंट पॉलिसी पर लागू होगा. एन्डॉमेंट पॉलिसी का मतलब ऐसी पॉलिसी से है, जिसमें बीमा के साथ- साथ बचत का भी अंश होता है. नए नियम के लागू होने से एन्डॉमेंट पॉलिसी में बीमा कंपनियों का मार्जिन घट जाएगा. नया नियम यूलिप और टर्म बीमा पॉलिसी पर लागू नहीं होगा.
1 साल तक प्रीमियम भरना जरूरी होगा
पहले अगर कोई पॉलिसीधारक एक साल बाद जीवन बीमा पॉलिसी बंद कराता था तो बतौर प्रीमियम चुकाया गया उसका पूरा पैसा डूब जाता था. नए स्पेशल सरेंडर वैल्यू नियमों के साथ पॉलिसीधारक पहले साल के बाद भी पॉलिसी लौटाने पर रिफंड पाने का हकदार होगा. हालांकि, इसके लिए पॉलिसीधारक को कम से कम 1 साल तक प्रीमियम भरना होगा, तभी वो इस नियम का फायदा उठा सकेगा.
पहले इतनी रकम वापस मिलती थी
पुराने नियमों के मुताबिक, 1 साल बाद पॉलिसी सरेंडर करने पर चुकाए गई प्रीमियम की रकम को रिफंड का कोई प्रावधान नहीं था. वहीं, 2 साल बाद पॉलिसी लौटाने पर कुल चुकाए गए प्रीमियम की 30% रकम वापस मिलती थी. तीन साल बाद पॉलिसी लौटाने पर 35%, चार से सात साल के बीच लौटाने पर 50% और पॉलिसी की मैच्योरिटी से दो साल पहले लौटाने पर 90% रकम वापस मिलती थी.
अब कितनी रकम वापस मिलेगी
बीमा नियामक IRDA ने नए नियमों में स्पेशल सरेंडर वैल्यू की व्यवस्था की है. इसके तहत अब पॉलिसीधारक को पहले साल में भी बीमा लौटाने पर रिफंड मिलेगा. वहीं, दो से चार साल तक लौटाने पर सरेंडर वैल्यू चुकाए गए प्रीमियम का 67 से 77 परसेंट तक होगी. वहीं, मैच्योरिटी पीरियड से 2 साल पहले लौटाने पर यह रकम कुल देय प्रीमियम को 111 परसेंट तक हो सकती है. इसका मतलब है कि ग्राहक को यहां अधिक फायदा हो सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल पॉलिसीधारकों के पक्ष में है. इससे उन ग्राहकों को बड़ा फायदा होगा, जिन्हें गलत तरीके से पॉलिसी बेची गई है और वे इसे लौटाना चाहते हैं. उन्हें अधिक राशि वापस मिल सकेगी. इसके अलावा बीमा कंपनियों को अब पॉलिसी बेचते समय भी सरेंडर वैल्यू की पूरी जानकारी अपने प्रॉस्पेक्टस में देनी होगी. इसके लिए बाकायदा चार्ट के जरिए ग्राहक को समझना होगा कि किस साल पॉलिसी लौटाने पर कितनी राशि वापस मिलेगी।
बीमा बेचते समय इस चार्ट पर संभावित पॉलिसीधारक और बीमा एजेंट, मध्यस्थ प्रतिनिधि या बिक्री प्रक्रिया में शामिल बीमाकर्ता कर्मचारी दोनों के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे. IRDA ने कहा कि यह हस्ताक्षरित दस्तावेज पॉलिसी दस्तावेज का हिस्सा बन जाएगा.