India-Canada : भारत और कनाडा के बीच चल रहा तनाव इन दिनों पूरे वर्ल्ड में चर्चा का विषय बना हुआ है। कनाडा का खुलकर खालिस्तान प्रेम और भारत पर गंभीर आरोप लगाना कोई नई बात नहीं है, और न ही कनाडा में खालिस्तानियों को सरकार का संरक्षण कोई नई बात है। 1984 में खालिस्तान की मांग करने वाला आंतकियों ने एयर इंडिया की फ्लाइट को बम धमाके से उड़ा दिया था। उस समय की कनाडा की सरकार (India-Canada) खालिस्तानी आतंकियों को संरक्षण दे रही थी।
India-Canada Relations 2023
भारत के साथ रिश्ते खराब होने से कनाडा को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि मौजूदा विश्व व्यवस्था में भारत की पकड़ और ताकत को देखते हुए कनाडा के सहयोगी देश भी भारत के खिलाफ बोलने से हिचकेंगे। कनाडा को फाइनेंशियली भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
टोरंटो फ्लाइट में बॉम्ब ब्लास्ट
1984 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 ने कनाडा के टोरंटों से मुंबई के लिए उड़ान भरी थी। ये एक बोइंग 747 प्लेन था। इसका नाम कुषाण वंश के शासक सम्राट कनिष्क के नाम पर रखा गया था। ये फ्लाइट मुंबई कभी नहीं पहुंची क्योंकि बम धमाके में सभी 329 यात्री मारे गए। भारत में अलग खालिस्तान की मांग करने वाले सिख आतंकवादियों ने इस बम धमाके को अंजाम दिया था। कृपाल आयोग ने अपनी जांच में बताया था। बाद में CBI ने अपनी जांच में पाया था कि आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल इस धमाके के लिए जिम्मेदार है।
धमाके के मास्टर माइंड को कनाडा का संरक्षण
कनाडा में इस धमाके की जांच काफी ढीली रही और दशकों बाद सिर्फ 1 आरोपी इंदरजीत सिंह रेयत को इसके लिए दोषी ठहराया गया। मौजूदा वक्त में जिस तरह से कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानियों को संरक्षण दे रहे हैं, उसी तरह से उनके पिता पियरे ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर सिंह परमार को 1982 में भारत प्रत्यार्पित () करने से इंकार कर दिया था। परमार को ही कनिष्क बॉम्ब ब्लास्ट का मास्टरमाइंड माना जाता है। पियरे ट्रूडो उस वक्त कनाडा के प्रधानमंत्री थे।
कनाडा में लगभग 7 लाख सिख आबादी
2021 की जनगणना के मुताबिक, कनाडा में भारतीय मूल के लगभग 14 लाख लोग रह रहे हैं। इसमें लगभग 7 लाख आबादी सिखों की है। कनाडा की राजनीति में सिख आबादी का अच्छा असर है। इसी कारण से जस्टिन ट्रूडो और उनके पिता की सरकार खालिस्तान के समर्थकों को संरक्षण दे रही है। कनाडा की सरकार इसके लिए भारत के साथ (India-Canada) रिश्तों को भी दांव पर लगाती दिख रही है।
कनाडा को लाखों डॉलर देते हैं भारतीय स्टूडेंट
आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (IRCC) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में कुल 3,19,000 भारतीय वैध स्टडी वीजा के साथ रह रहे थे। 2022 में कनाडा में कुल 5 लाख अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट आए, जिसमें 2,26,450 स्टूडेंट्स भारत से थे। यानी कुल अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स में भारतीय हिस्सेदारी (India-Canada) लगभग 41 परसेंट की थी।
अगर कनाडा और भारत (India-Canada) के रिश्ते खराब होते हैं और सरकार भारतीय स्टूडेंट्स को कनाडा जाने पर रोक लगा देती है तो इससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा। अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स कनाडा की अर्थव्यवस्था में हर साल 30 अरब डॉलर लेकर आते हैं, जो काफी बड़ा योगदान है।
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8.16 अरब डॉलर तक पहुंचा भारत-कनाडा का कारोबार
भारत और कनाडा के बीच बाइलेट्रल व्यापार तेज से बढ़ा है और 2022-23 में ये 8.16 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। कनाडा के लिए भारत का निर्यात (Export) 4.1 अरब डॉलर है जबकि भारत के लिए कनाडा का निर्यात 4.06 अरब डॉलर है। कनाडा के पेंशन फंड ने भारत में 45 अरब डॉलर इंवेस्ट किया है।
खालिस्तानी समर्थक जगमीत के दवाब में जस्टिन ट्रूडो
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय राजनियक पवन कुमार राय को देश से बाहर करने के फैसले पर सख्त रिएक्शन सामने आई। सवाल यह है कि कनाडा जैसे देश के पीएम ने दूसरे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत पर इतना बड़ा आरोप कैसे लगाया। आखिर ट्रूडो ने ऐसा किस के दबाव में किया है।
दरअसल ट्रूडो को लिबरल पार्टी को हाउस ऑफ कॉमन्स के पिछले 2 चुनाव 2019 और 2021 में पूर्ण बहूमत नहीं मिली। उनकी सरकार पंजाबी मूल के खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की पार्टी के समर्थन से चल रही है।
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