Effect of El Nino : भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को देश में गर्मी को लेकर वॉर्निंग जारी की है। विभाग के अनुसार, इस साल गर्मी के मौसम में शुरुआत से ही तापमान अधिक गर्म रहने की आशंका है। मौसम विभाग ने इसके लिए पूरे मौसम में अल नीनो एफेक्ट (Effect of El Nino) पड़ने की आशंका जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में भारत के ज्यादातर हिस्सों में मार्च से मई के बीच मैक्सीमम और मिनिमम टेम्प्रेचर सामान्य से अधिक रहेगा।
IMD के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक के कई हिस्सों में नॉर्मल से अधिक गर्मी वाले दिनों की भविष्यवाणी की गई है। इसके अलावा महाराष्ट्र और ओडिशा के कई हिस्सों में भी यही हालात देखने को मिल सकते हैं। हालांकि, उन्होंने मार्च में सामान्य से अधिक बारिश भी दर्ज होने की आशंका जताई है।
मौसम में बदलाव के आसार
Effect of El Nino
- अल नीनो के एफेक्ट से अधिक गर्मी पड़ सकती है।
- अल नीनो में प्रशांत महासागर का पानी गर्म हो जाता
- जून से अल नीनो के प्रभाव में कमी आने की संभावना जताई गई है
- उत्तर और मध्य भारत में मार्च के दौरान हीटवेव की स्थिति नहीं होगी
रिकॉर्ड तोड़ तापमान
- अल नीनो स्पैनिश वर्ड है जिसका मतलब है- छोटा बच्चा
- यह मिडिल व मिडिल-इस्ट भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में होता है
- यह हर दो से पांच साल में घटित होता है
- तापमान में बदलाव पर अल नीनो के प्रभाव का मॉडल तैयार किया है
- साइंटिफिक रिपोर्ट में पब्लिश्ड रिसर्च के अनुसार, अल नीनो के कारण रिकॉर्ड तोड़ तापमान का अनुमान लगाया गया है
कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ेगी
अल नीनो का प्रभाव गर्मी के मौसम में जारी रहेगा। जून से उसके प्रभाव में कमी की संभावना है। ला नीना की स्थितियां मानसून के दौरान स्थापित होने की संभावना है। मार्च में उत्तर और मध्य भारत में हीटवेव की स्थिति की उम्मीद नहीं है, लेकिन उसके बाद स्थिति में बदलाव के आसार है। अल नीनो के प्रभाव (Effect of El Nino) से प्रशांत महासागर में पानी अधिक गर्म हो जाता है। अल नीनो के कारण इस साल जून तक बंगाल की खाड़ी, फिलीपींस सहित दुनिया के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ेगी। इस बार रिकॉर्ड तोड़ औसत तापमान रहने की आशंका है।
अल नीनो से दुनियाभर में मौसम पर प्रभाव
अल नीनो जलवायु पैटर्न का गर्म चरण है। इसे अल नीनों-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) के रूप में जाना जाता है। यह उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में केंद्रित है। दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन में यह अहम भूमिका निभाता 40 है। गर्म चरण अल नीनो तथा ठंडा चरण ला नीना दोनों ही मौसम की स्थिति को प्रभावित करते हैं। इस दौरान पश्चिमी प्रशांत महासागर से वायुमंडल में जारी गर्मी के कारण वैश्विक औसत सतह के तापमान में तेज वृद्धि होती है
2023 में आया था अल नीनो
ला नीना के तीन साल लंबे दौर के बाद 2023 में अल नीनो (Effect of El Nino) आया । दिसंबर 2023 में यह अपने चरम पर था। राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन के अनुसार, जून-अगस्त 2024 में ला नीना प्रभावी होने की 55 परसेंट संभावना है। मिडिल अल नीनो परिदृष्य के तहत 2023-24 में एवरेज सतह तापमान बेंचमार्क 1951-180 एवरेज से 1.03-1.10 डिग्री सेल्सियस ऊपर होने का अनुमान है।
धरती का तापमान बढ़ने के कई खतरे
तापमान में ये वृद्धि कई तरह के खतरों से जुड़ी हुई है। रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि उच्च सतही वायु तापमान चरम जलवायु घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। इस वजह से जंगल की आग, चक्रवात और हीटवेव इत्यादि घटनाएं काफी बढ़ेगी। खासकर समुद्री और तटीय क्षेत्रों में जहां समुद्र का तापमान जलवायु परिस्थितियों को जन्म देता है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रह सकती है।
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