Digital Arrest : इन दिनों डिजिटल अरेस्ट की खबरें हर रोज सुनने को मिल रही हैं. साइबर ठगों ने वर्धमान ग्रुप के सीएमडी एसपी ओसवाल को डिजिटल अरेस्ट कर 7 करोड़ रुपये ठग लिए. हद तो तब हो गई जब एक महिला शिक्षक को काल आया। काल करने वाले ने बताया कि उनकी बेटी सेक्स रैकेट में फंस गई है. यह सुन कर घबराहट और डर के कारण महिला की मौत हो गई. आइये जानते हैं साइबर अपराधियों का नया हथियार बना डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) होता क्या है, इसे पहचानने के तरीके क्या हैं और आप इससे कैसे बच सकते हैं ?
Digital Arrest से कैसे शिकार को वश में कर लेते हैं ठग
किसी भी शख्स को किसी भी गलतफहमी का शिकार बनाकर डर और दहशत में डाल देने और उस डर की मदद से रकम वसूलने, यानी साइबर अपराध का शिकार बनाने को डिजिटल अरेस्ट कहते हैं. विशेषज्ञों का कहना है, डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग अपने शिकार के मन में डर पैदा कर देते हैं. उन्हें यह विश्वास दिला दिया जाता है कि जो भी उन्हें बताया जा रहा है, वही असलियत है. उनके या उनके किसी परिजन के साथ कुछ बुरा हो चुका है, या होने वाला है, या वह पुलिस, CBI या ED की जांच के घेरे में फंस चुके हैं. बस, इसके बाद शिकार डरकर मान लेता है कि अगर कॉल करने वाले का कहना नहीं माना, तो बहुत बुरा होगा, या वह सच में गिरफ्तार हो जाएगा.
डिजिटल अरेस्ट की पहचान कैसे करें
Digital Arrest के मामलों में शिकार को फोन कॉल आता है. उन्हें बताया जाता है कि वह मनी लॉनड्रिंग या ड्रग तस्करी के गंभीर मामले में शामिल रहे हैं. अगर उन्होंने कॉल कर रहे जांच अधिकारी का कहना नहीं माना, तो गिरफ्तारी और जेल की सजा भी हो सकता है. फिर शिकार जैसे डरना शुरू करते हैं, कॉल करने वाला तेजी से पैंतरा बदलकर अपनी चाल चल देता है. वास्तव में कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज होती ही नहीं है, लेकिन डर और जानकारी के अभाव में लोग दबाव में आ जाते हैं.
शिकार को पुलिस जैसी वर्दी, पुलिस स्टेशन या CBI ऑफिस जैसा माहौल बना कर और यहां तक कि पहचानपत्र दिखाकर यह यकीन दिला दिया जाता है कि कॉल करने वाला जांच अधिकारी है. शिकार को हर वक्त अपना मोबाइल कैमरा और माइक्रोफोन चालू रखने के लिए कहा जाता है. बुरे नतीजे की धमकी देकर उनके अंदर डर बैठा दिया जाता है.
उन्हें यह भी कहा जाता है कि जो कुछ भी हो रहा है, उसके बारे में किसी से बात न करें. किसी को भी कुछ न बताएं. जब शिकार के अंदर डर बैठ जाता है, वह टग री हर बात मानने लगता है, तब ठग उनका पैसा लूट लेते हैं.
खुद को Digital Arrest से कैसे बचाएं
- ऐसे अनजान नंबरों से आने वाली कॉल पर भरोसा न करें जिनमें कॉल करने वाला खुद को कूरियर कंपनी या कानून प्रवर्तन एजेंसियों से होने का दावा कर रहा है. अगर आपको ऐसी कॉल आती है तो कॉल डिस्कनेक्ट करें और ऑफिशियल चैनलों से सीधे कंपनी से कॉन्टैक्ट करें. आप कंपनी की वेबसाइट से उनकी कस्टमर सर्विस नंबर हासिल कर सकते हैं.
- फोन पर किसी से अपनी संवेदनशील जानकारियां जैसे आधार नंबर, बैंक डिटेल, पासवर्ड शेयर करने में सतर्क रहें. सरकारी डिपार्टमेंट का कर्मचारी या अधिकारी या कंपनियां ऐसी डीटेल नहीं पूछती है. अगर फोन पर कोई आपकी प्राइवेट जानकारियां आपसे शेयर करता है तो घबराएं नहीं.
- चेक करें कि आपके अकाउंट के साथ किसी तरह की संदिग्ध गतिविधि तो नहीं हो रही है. अगर आपको लगता है कि आपका डाटा लीक हो गया तो ऐसी सेवाओं की मदद ले सकते हैं जो किसी भी ट्रांजेक्शन पर अलर्ट भेजती है. अपनी संवेदनशील डिजिटल इन्फॉर्मेशन के लिए टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें.
ऐसे करें रिपोर्ट
- धोखाधड़ी वाले कॉल आने पर व्यक्ति को तुरंत साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर घटना की सूचना देनी चाहिए.
- ऑनलाइन बदमाशी और पीछा करने से लेकर वित्तीय धोखाधड़ी तक, कोई भी साइबर अपराध राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल ( www.cybercrime.gov.in ) पर रिपोर्ट किया जा सकता है.
- मदद के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन से भी संपर्क कर सकते हैं.
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