Improve Credit Score : किसी व्यक्ति की लोन लेने के लिए योग्यता निधर्धारित करने में केडिट स्कोर की अहम भूमिका होती है. इसे सिविल स्कोर भी कहा जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो लोन देने वाले बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को क्रेडिट स्कोर से आपरी वित्तीय स्थिति यानी फाइनेंशियल स्टेटस के बारे में जानकारी मिलती है. इसी स्कोर के आधार पर तय किया जाता है कि आपको लोन, क्रेडिट कार्ड या इससे जुड़ी अन्य सेवाएं दी जाएं या नहीं. आज के टाइम में इंस्टेंट लोन के लिए अपने क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाए (Improve Credit Score) रखना जरूरी है. इससे लोन, क्रेडिट कार्ड और बैंक से रिलेटेड दूसरी फैसिलिटीज़ मिलने में आसानी होती है.
कौन तैयार करता है आपका क्रेडिट स्कोर
भारत में 4 क्रेडिट ब्यूरो क्रेडिट स्कोर तैयार करते हैं। इनमें इक्विाफिक्स, ट्रांसयूनियन सिविल, एक्सपीरियन और सीआरआइएफ हाइमार्क शामिल हैं. यह क्रेडिट ब्यूरो पुनर्भुगतान, क्रेडिट उपयोगिता, लोन लेने के पैटर्न और क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर क्रेडिट स्कोर तय करते हैं.
खराब क्रेडिट स्कोर के असर
- बैंकों से नया लोन लेने में परेशानी होगी
- लोन पर ज्यादा ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा. बेहतर वेतन या कमाई के बावजूद लोन के पहले से मंजूर आफर (प्री-अप्रूव्ड) में कमी आएगी. लोन के आवेदन खारिज होने की संभावना ज्यादा रहती है.
- यदि लोन मिलता भी है तो वह प्रतिकूल शर्तों (adverse conditions) पर होगा.
क्रेडिट स्कोर बेहतर कैसे बनाएं
How to improve credit score
- क्रेडिट कार्ड का पूरा बिल भरें और लोन की मंथली किस्त समय पर जमा करें। ऐसा न करने पर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को ग्राहकों पर वित्तीय दबाव का पता चल जाता है और वे क्रेडिट स्कोर घटा देती हैं. जब आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं तो बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान क्रेडिट ब्यूरो से आपकी क्रेडिट योग्यता के बारे में पूछताछ करते हैं. इसको हार्ड पूछताछ भी कहा जाता है।
- क्रेडिट ब्यूरो आपके बारे में मिलने वाली हर पूछताछ के लिए क्रेडिट स्कोर को कुछ अंक कम कर सकता है. ऐसे में क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाए रखने के लिए लोन से जुड़े आवेदन बार-बार न करें.
- अगर आपके पास क्रेडिट कार्ड है तो इसका इस्तेमाल तय अनुपात (fixed ratio) में करें. इसका ज्यादा इस्तेमाल बताता है कि आप क्रेडिट पर अत्यधिक निर्भर हैं. यह आपके क्रेडिट स्कोर पर गलत असर डाल सकता है। क्रेडिट स्कोर बेहतर बनाए रखने के लिए क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को टोटल लिमिट के 30 परसेंट से कम रखें.
- 750 से 799 के क्रेडिट स्कोर को काफी अच्छा माना जाता है. इस क्रेडिट स्कोर पर अट्रैक्टिव ब्याज दर पर लोन मिल सकता है.
- लोन चुकाने में असमर्थ हैं तो इसका सेटलमेंट (समझौता) न करें. इससे वित्तीय बोझ तो कम हो सकता है लेकिन क्रेडिट स्कोर काफी प्रभावित होता है. लोन का सेटलमेंट करने से फ्यूचर में लोन लेने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड सकता है।
- कई बार बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान क्रेडिट ब्यूरो को जानकारी नहीं भेजते हैं या आधी व गलत जानकारी भेज देते हैं. इससे क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है. इससे बचने के लिए क्रेडिट स्कोर पर नियमित अंतराल पर (How to improve credit score) नजर रखें और कोई भी अनियमितता पाए जाने पर क्रेडिट ब्यूरो के पास शिकायत करें.
300-900 प्वाइंट की रेंज में होता है क्रेडिट स्कोर
भारत में क्रेडिट स्कोर की शुरुआत 300 अंक से होती है और यह अधिकतम 900 अंक तक होता है. 300-549 अंक तक के क्रेडिट स्कोर को खराब माना जाता है. नॉर्मली इस स्कोर पर लोन नहीं मिल पाता है. 550 से 649 तक के क्रेडिट स्कोर को एवरेज माना जाता है. इस क्रेडिट स्कोर पर लोन मिल सकता है लेकिन ब्याज की दर ज्यादा हो सकती है.
650 से 749 के स्कोर का अच्छा माना जाता है. इस क्रेडिट स्कोर वालों को सामान्य ब्याज दरों पर कर्ज मिल सकता है. 750 से 799 के क्रेडिट स्कोर को काफी अच्छा माना जाता है और इस स्कोर वालों को कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है. 800 से 900 के क्रेडिट स्कोर को बेस्ट माना जाता है और इनको बाजार से कम दर पर लोन मिल सकता है. हालांकि, लोन लेने में क्रेडिट स्कोर के अलावा उम्र, रोजगार की स्थिति, इनकम या वेतन को भी चेक किया जाता है.
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