AI Eye-Tracking Feature : एड्वांस होती जा रही दुनिया में, अब आपको एक और एडवांस टेक्नोलॉजी यूज करने का मौका मिलेगा। क्योंकि स्मार्टफोन यूजर्स जल्द ही डिवाइस को कंट्रोल करने के लिए उंगलियों के बजाय अपनी आंखों का इस्तेमाल कर सकेंगे। स्मार्टफोन कंपनी ‘ऑनर’ जल्द ही नई ‘AI’ आई-ट्रैकिंग (AI Eye-Tracking Feature) तकनीक ला सकती है, जो यह पता लगाएगी कि आप स्क्रीन पर कहां देख रहे हैं। कंपनी ने ‘मैजिक कैप्सूल’ नाम की टेक्नोलॉजी के बारे में बताया है, जो उसके नए स्मार्टफोन पर जल्द ही एवेलेबल होगी।
टेक कंपनियां यूजर्स के लिए ‘वॉइस कमांड’ से लेकर ‘हैंड जेश्चर’ (हाथ के इशारे) जैसे फीचर तेजी से अपनी डिवाइस में इन-बिल्ट कर रही हैं, ताकि इन्हें एक्सेस करना आसान रहे। ऐसे में आंखों से फोन को कंट्रोल करने का यह फीचर हेल्पफुल और जरूरतमंद साबित हो सकता है।
क्या है AI Eye-Tracking Feature
AI Eye-Tracking Feature निगरानी करते हुए बताती है कि यूजर डिवाइस के कैमरे के जरिए कहां देख रहा है। नई मैजिक कैप्सूल तकनीक न केवल यूजर्स की नजर की निगरानी कर सकती है, बल्कि यह भी पता लगा सकती है कि यूजर किस काम के लिए फोन के किस एप का इस्तेमाल करना चाहता है या फोन के किस विकल्प को एक्टिव या डीएक्टिव करना चाहता है।
फोन में इस फीचर को इनेबल करने के लिए यूजर्स को सबसे पहले कुछ जरूरी प्रोसेस को पूरा करना होगा, जिस तरह स्क्रीन पर अलग अलग प्वाइंट्स को क्लिक करके अपने फिंगरप्रिंट को सेट करना पड़ता है। यह तकनीक बेवजह देखी गई फोन की स्क्रीन और जरुरत के वक्त फोन देखने के बीच अंतर करने में कैपेबल होगा।
आंखों से कॉल उठा और काट सकेंगे
AI Eye-Tracking Feature एक बार सेट हो जाने पर AI यह पता लगा सकता है कि व्यक्ति 20 से 50 cm की दूरी से देख कहां रहा है। सेलेक्ट किए गए ऐप या ऑप्शन की ‘होम स्क्रीन’ ओपन करने के लिए यूजर्स को 1.8 सेकंड तक उस ऐप या ऑप्शन को देखते रहना होगा। यूजर इस टैक्नीक के जरिये ‘इनकमिंग कॉल’ उठा सकेंगे या कॉल कट भी कर सकेंगे। इसके अलावा आप ‘टेक्स्ट मैसेज’ खोल सकेंगे या ‘टाइमर’ बंद कर सकेंगे।
टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस तकनीक को स्मार्टफोन जैसी डिवाइस में ट्रैक करते हुए देखना अच्छा है। इसका इस्तेमाल मार्केट रिसर्च और एडवरटाइजमेंट जैसे इंडस्ट्री में कई सालों से किया जा रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यूजर्स को अपनी डिवाइस से कैसे जोड़ा जाए। लेकिन स्मार्टफोन में इसका इस्तेमाल करने में अब तक बड़ी दिक्कतें रही हैं, खासकर एआई की जटिलता (Complexity of AI) इसका एक मेन कारण माना जाता रहा है।
फिलहाल, AI Eye-Tracking Feature पर किए गए टेस्ट सक्सेसफुल माने जा रहे हैं। आने वाले समय में इशारों, आंख और मोशन (गति) के जरिए यूजर्स के एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए ढेर सारे इस्तेमाल देखने को मिलेंगे। दूसरी टेक कंपनियां भी जल्द ही इस कमाल के फीचर को अपने डिवाइस में ऐड करेंगी।
ALSO READ – 3 साल की ट्रेनिंग, अब रचेंगे इतिहास, कौन हैं Gaganyaan Mission पर जाने वाले 4 लड़ाकू पायलट
Join Our WhatsApp Group For Latest & Trending News & Interesting Facts..