Hola Mohalla 2023 : सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनन्दपुर साहिब में होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला (Hola Mohalla 2023) कहते हैं। यहाँ पर होली पौरुष के प्रतीक पर्व के रूप में मनाई जाती है। इसीलिए सिक्खों के 10वें गुरू गोविंद सिंह जी ने होली की जगह होला मोहल्ला का प्रयोग किया। गुरु गोविंद सिंह जी इसके माध्यम से समाज के दुर्बल और शोषित वर्ग की प्रगति चाहते थे। होला मोहल्ला की शुरुआत गुरु गोविंद सिंह जी ने ही 17वीं शताब्दी में की थी।
होला महल्ला (Hola Mohalla 2023) का उत्सव आनंदपुर साहिब में छः दिन तक चलता है। इस अवसर पर घोड़ों पर सवार निहंग, हाथ में निशान साहब उठाए तलवारों के करतब दिखा कर साहस, पौरुष और उल्लास का प्रदर्शन करते हैं। पंज पियारे नगर कीर्तन का नेतृत्व करते हुए रंगों की बरसात करते हैं और जुलूस में निहंगों के अखाड़े नंगी तलवारों के करतब दिखते हुए बोले सो निहाल के नारे बुलंद करते हैं।
आनन्दपुर साहिब की सजावट की जाती है और लंगर का आयोजन किया जाता है। कहते है गुरु गोबिन्द सिंह (सिक्खों के दसवें गुरु) ने स्वयं इस मेले (Hola Mohalla 2023) की शुरुआत की थी। यह नगर कीर्तन हिमाचल प्रदेश की सीमा पर बहती एक छोटी नदी चरण गंगा के तट पर समाप्त होता है। आइये Twitter पर ट्रेंड कर रहे होला मोहल्ला के कुछ वीडियो क्लिप्स देखते हैं।
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