Old Parliament Building : नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने जा रहे हैं। लेकिन मौजूदा भवन, जो स्वतंत्र भारत की पहली संसद के रूप में कार्य करता है, संविधान को अपनाने सहित ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। ठीक 100 साल पहले संसद भवन (Old Parliament Building) का शिलान्यास हुआ था। लेकिन क्या आप जानते हैं, ओरिजिनल संसद भवन के निर्माण में आगरा के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था ?
1927 में हुआ था उद्घाटन
वर्तमान संसद भवन (Old Parliament Building) का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन (Lord Irvin) ने किया था। उस जमाने में इसे हाउस ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता था। इसका निर्माण साल 1920 में शुरू हुआ था और 1927 में पूरा हुआ था। ड्यूक ऑफ कनॉट ने 12 फरवरी 1921 को संसद भवन की आधारशिला रखी थी। इसका निर्माण अंग्रेजों ने दिल्ली में नई प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था। जब देश आजाद हुआ तो इसे संसद भवन बना दिया गया।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, स्वतंत्रता सेनानी इमामुद्दीन ने दावा किया कि जब ब्रिटिश प्रशासन ने दिल्ली में संसद भवन (Old Parliament Building) बनाने की योजना बनाई थी, तब आगरा के जगनेर और तांतपुर से लाल बलुआ पत्थर नैरो गेज रेलवे लाइन के जरिए दिल्ली के लुटियंस जोन में लाया गया था। कुछ समय पहले तक यह रेलवे लाइन इंडिया गेट के पास देखी जा सकती थी।
1921 और 1927 के बीच 6 एकड़ में बने पुराने संसद भवन (Old Parliament Building) के अलावा, इस लाल पत्थर का उपयोग इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक भवनों और लखनऊ विधान सभा के निर्माण में भी किया गया था। मुगल वंश के दौरान आगरा और दिल्ली के किलों के निर्माण में भी इस लाल पत्थर का इस्तेमाल किया गया था।
जगनेर को हेरिटेज स्टेशन बनाने के अभियान में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता राजीव सक्सेना ने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान, तंतपुर से लाल पत्थर के बड़े ब्लॉक मालगाड़ियों पर लोड किए गए थे और संयुक्त प्रांत सरकार (United Provinces government’s) के नैरो गेज के ढोलपुर खंड के माध्यम से दिल्ली भेजे गए थे।
ताजमहल के वरिष्ठ संरक्षण सहायक और पूर्व पुरातत्वविद् डॉ आरके दीक्षित के अनुसार, जगनेर और तांतपुर में पाए गए लाल बलुआ पत्थर का मुगल काल से लेकर ब्रिटिश काल तक के भवनों के निर्माण में बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल मोज़ेक के लिए उपयोग किया जाता है।
सीनियर सिटीजिन उमाशंकर शर्मा के अनुसार लखनऊ विधानसभा भवन का निर्माण 1920 में जगनेर के पत्थरों से शुरू हुआ था और इस पत्थर को ढोलपुर होते हुए नैरो गेज रेलवे से लखनऊ पहुंचाया गया था। इसके बाद लगातार छह साल तक लुटियंस दिल्ली (नई दिल्ली में एक जगह का नाम) के निर्माण के लिए यहां से पत्थर की आपूर्ति की गई।
Follow our page on Facebook, Twitter and Instagram for more amazing facts, trending topics and News Articles.