Gold Vs Sovereign Gold Bond : गोल्ड में इन्वेस्ट करना एक ट्रेडिशनल तरीका माना जाता है। सालों से लोग गोल्ड में इन्वेस्टमेंट करते आ रहे हैं और आज भी ये सिलसिला जारी है। हालांकि समय के साथ गोल्ड में इन्वेस्टमेंट के तरीके भी बदल गए हैं. अगर इन्वेस्टमेंट के लिहाज से देखें तो अब सिर्फ फिजिकल गोल्ड नहीं, बल्कि डिजिटल गोल्ड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड वगैरह तमाम तरीके ऐसे हैं, जिसमें इन्वेस्टमेंट किया जा सकता है, लेकिन दोनों में कौन सा (Gold Vs Sovereign Gold Bond) ऑप्शन ज्यादा फायदेमंद होता है इसमें लोग कन्फूज हो जाते हैं।
Gold Vs Sovereign Gold Bond
1 – फिजिकल गोल्ड
- इसमें शामिल होते हैं सोने के सिक्के-24 कैरेट, 22 कैरेट, आदि.
- लोकप्रिय सिक्कों में अशोका चक्र, महात्मा गांधी, और कृष्णा गोल्ड शामिल हैं.
- सोने की बास- 24 कैरेट, 10 ग्राम, 50 ग्राम, 100 ग्राम, आदि में उपलब्ध है.
2 – सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
- यह भारत सरकार द्वारा जारी एक बॉन्ड है.
- यह आपको सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ-साथ फिक्स्ड इंट्रेस्ट रेट (वर्तमान में 2.5 ल प्रति वर्ष) भी देता है.
- बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरीयड 8 साल होती है.
कहां बेहतर रिटर्न
Gold Vs Sovereign Gold Bond
- ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आप ऐसे इन्वेस्र्ट्स में से है जो इन्वेस्टमेंट के मामले में किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो आप एफडी, पीएफ और गोल्ड वगैरह में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं.
- हालांकि गोल्ड ‘मीडियम रिस्क मीडियम रिटर्न’ वाली कैटेगरी में आता है. लॉन्ग टर्म में ये बराबरी या ज्यादा का रिटर्न दे देता है.
- आपको अगर महंगाई को बीट करना है तो गोल्ड की बजाय सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को चुनें जो भारत सरकार जारी करती है. इसका फायदा ये है कि जैसे-जैसे गोल्ड के दाम बढ़ेंगे, इस बॉन्ड के भी दाम बढ़ेंगे. साथ में सरकार इसमें 2.5 परसेंट के हिसाब से आपको ब्याज भी देती है।
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