Smartphone Vision Syndrome : स्मार्टफोन और लैपटॉप पर लगातार काम करते रहने से आंखों में स्ट्रेन, ड्राइनेस धुंधलापन होने के साथ साथ सिरदर्द की भी दिक्कतें आ जाती हैं। आगे यही समस्या स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (Smartphone Vision Syndrome) में बदल जाती है। मोबाइल एनालिटिक्स फर्म डाटा एआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में स्मार्टफोन पर औसत स्क्रीन टाइम 2021 में 4.7 घंटे प्रतिदिन हो गई है, जो कि 2020 में 4.5 और 2019 में 3.7 घंटे प्रतिदिन थी।
स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम क्या होता है –
- जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक डिजिटल स्क्रीन पर काम करता है या उसका इस्तेमाल करता है, तो ऐसे में उसे स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (Smartphone Vision Syndrome) हो सकता है।
- स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम में देखने की क्षमता काफी प्रभावित होती है।
- व्यक्ति के आंखों में मौजूद देखने वाला तंत्र धीरे-धीरे काम करने बंद करने लगते हैं।
- रात के अंधेरे में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
- मोबाइल फोन, टैबलेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों में स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (Smartphone Vision Syndrome) की समस्या ज्यादा बढ़ रही है।
हाल ही में महीने भर पहले, हैदराबाद की एक महिला ने स्मार्टफोन वीजिन सिंड्रोम के चलते अपनी आंखों की रौशनी खो दी। महिला को रात में अंधेरे में स्मार्टफोन चलाने की भयानक लत थी। आज के दौर में क्योंकि स्मार्टफोन को पूरी तरह नजरअंदाज करना पॉसिबल नहीं है, ऐसे में कुछ इम्पॉर्टेंट तरीकों को अपनाकर स्मार्टफोन का सही इस्तेमाल किया जा सकता है।
डार्क मोड (Dark Mode) में इस्तेमाल करें
डिवाइस में डार्क धीम सेलेक्ट करने पर टेक्स्ट का रंग व्हाइट और बैकग्राउंड डार्क हो जाता है। इससे ब्लू लाइट एक्सपोजर कम हो जाती है, जिससे आंखों पर जोर कम पड़ता है। आप स्मार्टफोन के डिस्प्ले सेटिंग में जाकर डार्क मोड को सेलेक्ट कर सकते हैं।
डिजिटल वेलबीइंग फीचर
एंड्रायड डिवाइस में इसके जरिये स्क्रीनटाइम को कंट्रोल कर सकते हैं। इसमें एप्स नोटिफिकेशन को ब्लॉक करने और पैरेंटल कंट्रोल के भी फीचर होते हैं। डिजिटल वेलबीइंग और पैंरेंटल कंट्रोल सेक्शन में डैशबोर्ड, बेडटाइम मोड और फोकस मोड होता है। इसी तरह आईफोन यूजर स्क्रीनटाइम फीटर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्क्रीन रखें साफ
कई बार स्क्रीन धुंधली हो जाती है। ऐसे में आंखों पर जोर न पड़े इसलिए भी स्क्रीन को साफ रखना जरूरी है।
ब्रीइटनेस सेटिंग
स्मार्टफोन का ब्राइटनेस ऐसे होना चाहिये, जिससे आंखों पर जोर न पड़े। ब्राइटनेस और कंट्रास्ट की सेटिंग बिल्ट इन होती है, उसे ज्यादा घटाने या बढ़ाने से बचना चाहिये
टेक्स्ट साइज बड़ा रखें
ऐसा करने से मैसेज देखने और पढ़ने में आसानी होती है। छोटे अक्षरों को पढ़ने के दौरान आंखों पर तनाव आता है।
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