Fake reviews : जल्द ही, कस्टमर्स ई-कॉमर्स वेबसाइट पर किसी प्रोडक्ट को ऑर्डर करने से पहले ये जान पाएंगे कि उस प्रोडक्ट के लिए Review या Star Rating प्रामाणिक (authentic) हैं या नहीं। और उन्हें उस प्रोडक्ट का ऑर्डर देना चाहिए या नहीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि केंद्र सरकार इस सप्ताह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ‘फर्जी समीक्षा’ (Fake Review) और ‘असत्यापित स्टार रेटिंग’ (Unverified Star Rating) के लिए दिशानिर्देशों का एक सेट जारी कर सकती है। कन्ज्यूमर्स मामलों के मंत्रालय के तहत The Department of Consumer Affairs (डीओसीए) ने फ्रेमवर्क को अंतिम रूप दे दिया है और इसे जारी करेगा।
अगले हफ्ते Guidelines जारी करेगा केंद्र
Consumer Affairs Secretary रोहित कुमार सिंह ने बताया कि – सरकार अगले सप्ताह ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइटों, होटल और यात्रा बुकिंग प्लेटफार्मों पर नकली रिव्यू (Fake reviews) और अनवेरिफाइड स्टार रेटिंग का काउंटर करने के लिए एक रूपरेखा पब्लिश करेगी। सिंह ने कहा कि दिशानिर्देशों को स्टेकहोल्डर्स के साथ कन्सल्ट के बाद अंतिम रूप दिया गया है, शुरुआत में ये स्वैच्छिक होंगे और धीरे-धीरे अनिवार्य हो जाएंगे।
मई में, Department of Consumer Affairs ने घोषणा की थी कि वह ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर पोस्ट की गई Fake reviews को रोकने के उद्देश्य से एक रूपरेखा विकसित करेगा। ई-कॉमर्स वेबसाइट कस्टमर को एक आभासी खरीदारी (Virtual Shopping) का अनुभव देता है, जिसका मतलब है कि वे फिजिकली यह जांच नहीं कर सकते कि प्रोडक्ट अच्छी क्वालिटी का है या नहीं। इसलिए, उन्हें उन यूजर्स के अनुभव पर डिपेंड रहना पड़ता है, जिन्होंने उस प्रोडक्ट को पहले खरीदा है।
हालांकि, Review या Star Rating, नकली या अनवैरिफाइड होने के अलावा, कन्ज्यूमर के पर्सनल एक्सपीरियंस के अनुसार भी हो सकती है। यह उस प्रोडक्ट को ऑर्डर करने में कन्ज्यूमर को भ्रमित (mislead) कर सकता है। नए दिशानिर्देशों के अनुसार, गलती पाए जाने पर ई-कॉमर्स कंपनियों पर 10 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, ई-कॉमर्स कंपनियों से अनवेरिफाइड बायर्स और Reviewer को हटाने के लिए भी कहा जा सकता है। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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