Antonio Guterres : पिछले साल 2022 में नई दिल्ली में हुए श्रद्धा वॉकर मर्डर केस, फिर आयुषी मर्डर केस, हफ्ते भर पहले अलीगढ़ में हुआ शालिनी मर्डर केस, अलीगढ़ में ही पिछले साल अक्टूबर में हुआ राबिया मर्डर केस और अब मुंबई का मिरा रोड मर्डर केस इन सब में एक कॉमन बात सामने आती है। वो ये कि इन लड़कियों की हत्या जिसने भी की वो उनका करीबी या उनके परिवार का सदस्य ही था। श्रद्धा के केस में उसका बॉयफ्रेंड, आयुषी, शालिनी और राबिया के केस में उनके ही पिता ने उनकी हत्या की। कुछ ऐसा ही पिछले साल नवंबर में UN प्रमुख एंटोनियो गुटेरस (Antonio Guterres) ने कहा- कि हर 11 मिनट में एक महिला या लड़की की उसके करीबी साथी या परिवार के सदस्य ही हत्या कर देते हैं।
Antonio Guterres की टिप्पणी सोचने को करता है मजबूर
UN प्रमुख Antonio Guterres ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा दुनिया में सबसे बड़ा मानवाधिकार उल्लंघन है। एक और केस की बात करें तो, हफ्ते भर पहले जबलपुर के एक रिजॉर्ट में 22 साल के लड़की की सिर कटी लाश मिली थी। उसकी भी हत्या उसके बॉयफ्रेंड ने ही की थी, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। आगामी 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा का उन्मूलन संबंधी अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाए जाने से कुछ दिन पहले एंटोनियों गुटेरस का ये बयान हमें भी सोचने को मजबूर करता है, महिलाएं और लड़कियां आखिर सुरक्षित किसके साथ हैं।
नेशनल एक्शन प्लान बनाएं – Antonio Guterres
Antonio Guterres की टिप्पणी भारत में लगातार हुए महिलाओं और लड़कियों की हत्या के मामले की पृष्ठभूमि में आई है, जिसने सभी को हैरत में डाल दिया है। गुटेरस ने सरकारों से अपील की है कि वे इसके लिए नेशनल एक्शन प्लान बनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएं online harassment का भी शिकार हो रही हैं। महिलाओं के खिलाफ हेट स्पीच, पोर्नोग्राफी, यौन उत्पीड़न और फोटोज़ से छेड़छाड़ जैसे अपराध आम होते जा रहे हैं।
महिलाओं के हित में काम करने वाले संगठनों की फंडिंग में भी बढ़ोतरी की ज़रूरत
Antonio Guterres ने कहा, ‘ऐसे अपराधों की वजह से महिलाओं और लड़कियों का जीवन लिमिटेड हो जाता है और उनके फंडामेंटल राइट्स और आजादी का हनन होता है। गुटेरस ने ये भी सुझाव दिया कि- महिलाओं के हित में काम करने वाले संगठनों की फंडिंग में भी बढ़ोतरी करने की ज़रूरत है।
पर क्या इन सब के बावजूद महिलाओं के साथ जिस तरह की घिनौनी वारदाते हो रही हैं, उसमें कमी आ पाएगी। पूरी दुनिया में बदलाव की बात को छोड़ दिजिये, अपने देश भारत की बात किजिये। कड़े कानून बनने के बाद भी हत्याएं हो रही हैं। महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है।
हत्यारों की मानसिकता को समझना होगा
ऐसे केसेज़ में हमें हत्यारों की मानसिकता को भी समझना होगा, कि इन हत्यारों की सोच कितनी भयानक हो सकती है। कुछ हत्यारे अपनी गल्ती छिपाने के लिए बॉडी के टुकड़े कर देते हैं, ऐसे हत्यारे दोहरी जिंदगी जीते हैं, जो सोशल मीडिया पर तो महिलाओं के अधिकारों की बड़ी बड़ी बात करते हैं, पर असल जिंदगी में उनकी सोच वैसी नहीं होती। श्रद्धा वॉकर के केस में आफताब इसी कैटगरी में आता है। तो कुछ सोशल मीडिया पर लाइव जाकर हत्या को पूरी दुनिया को दिखाते हैं। और कुछ खुद ही पुलिस के पास जाकर अपना जुर्म कुबूल करते हैं।
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