Engineer’s Day 2023 : आज हर दूसरा स्टैंडअप कॉमेडियन इंजीनियरों के मजे लेकर लोगों को हंसाता है, पर सच तो यही है कि देश आगे बढ़ रहा है तो उसमें इंजीनियर्स का एक बड़ा कन्ट्रिबियूशन है। भारत समेत श्रीलंका, तंजानिया में 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे (Engineer’s Day 2023) मनाया जाता है। अब तो IAS और IPS के फील्ड में भी इंजीनियर्स का ही बोलबाला है। तो, गर्व से कहिये, लौंडे हम इंजीनियर हैं, चाय की टपरी हो या एसी रुम वाला ऑफिस..जहां जाते हैं गर्दा उड़ा देते हैं। इंजीनियर्स डे भारत के महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को डैडिकेटेड है।
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया वो इंसान जिन्हें भारत में प्रौद्योगिकी यानी टेक्नोलॉजी (Technology) का जनक (father) भी माना जाता है। एम विश्वेश्वरैया के महान कार्यों को सम्मान देने के लिए भारत सरकार ने 15 सितंबर 1968 को National Engineer’s Day मनाने की घोषणा की थी। आइये जानते हैं कौन थें, एम विश्वेश्वरैया और भारत को टैक्नोलॉजी के फील्ड में आगे ले जाने के लिए एम विश्वेश्वरैया का कितना बड़ा योगदान था।
कौन थे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 1861 में 15 सितंबर (Engineer’s Day 2023) को कर्नाटक के मुद्दनहल्ली गांव में हुआ था। विश्वेश्वरैया के पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री था, जो खुद एक संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद के डॉक्टर थें। विश्वेश्वरैया ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मद्रास विश्वविद्यालय में BA की पढ़ाई करने चले गए। इंजीनियरिंग में अपनी रुची को पहचानते हुए उन्होंने कैरियेर स्विच किया और पुणे में कॉलेज ऑफ साइंस में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।
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विश्वेश्वरैया को कहा जाता है, मॉर्डन मैसूर के पिता
1883 में पूना के साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद एम विश्वेश्वरैया को असिस्टेंट इंजीनियर पद पर सरकारी नौकरी मिल गई थी। एम विश्वेश्वरैया मैसूर के 19वें दीवान थें। मैसूर में किए गए उनके कामों के लिए उन्हें मॉर्डन मैसूर का पिता कहा जाता है।
भारत रत्न से सम्मानित
उन्होंने मांड्या जिले में बने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण का मुख्य योगदान दिया था। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके योगदान के अलावा, उन्हें “Precursor of Economic Planning in India” भी कहा जाता था। 1955 में एम विश्वेश्वरैया को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1962 में 102 साल की उम्र में एम विश्वेश्वरैया (Engineer’s Day 2023) का निधन हुआ था।
‘चार साल, 40 विषय, 4 हजार असाइनमेंट, 4 हजार घंटे, एक आम इंसान ऐसा नहीं कर सकता है,
ऐसे करने वाले सुपर हीरो को इंजीनियरिंग का छात्र कहते हैं‘…
एम विश्वेश्वरैया के Achievements
- एम विश्वेश्वरैया ने पुणे के पास खड़कवास्ला जलाशय के सिंचाई सिस्टम की स्थापना कर उसका पेटेंट हासिल किया। इसी सिस्टम को उन्होंने मैसूर और ग्वालियर में भी सक्सेसफुली लागू किया।
- एम विश्वेश्वरैया ने मुसी नदी द्वारा हैदराबाद के लिए बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की थी।
- एम विश्वेश्वरैया ने विशाखापट्नम के बंदरगाह को समुद्री अपरदन से संरक्षण के लिए विकसित किए जा रहे सिस्टम के लिए भी बहुमूल्य योगदान दिया था।
- बेंगलुरू के गर्वनमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना का श्रेय एम विश्वेश्वरैया को जाता है।
- तिरुमाला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण की योजना तैयार करने में भी एम विश्वेश्वरैया का योगदान है।
- 34 साल की उम्र में एम विश्वेश्वरैया ने सिंधुं नदी के सुक्कुक कस्बे के लिए पानी की आपूर्ति के लिए योजना तैयारी की।
- 92 साल की उम्र में उन्होंने पटना की गंगा नदी पर राजेंद्र सेतु का निर्माण करवाया।
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या ने चीफ़ इंजीनियर और दीवान के पद पर कार्य करते हुए मैसूर राज्य को जिन संस्थाओं व योजनाओं का उपहार दिया –
मैसूर बैंक (1913)
मलनाद सुधार योजना (1914)
इंजीनियरिंग कॉलेज, बंगलौर (1917)
मैसूर विश्वविद्यालय और ऊर्जा बनाने के लिए पावर स्टेशन (1918)
Dedicated to all Engineers
Engineer’s Day 2023
भगवान ने इंसान को बनाया,
इंजीनियरों ने इंसानों की दुनिया को बनाया…
Happy Engineer’s Day 2023
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