Elon Musk will De Orbit 100 Satellites : एलन मस्क ने मंगलवार को बताया कि वो अपने 100 स्टारलिंक सैटेलाइट्स को अगले 6 महीने में धरती पर गिराएंगे, क्योंकि इस सैटेलाइट के डिजाइन में गड़बड़ी है। वो फेल होकर दूसरे सैटेलाइट्स या स्पेसक्राफ्ट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए उनकी स्पेस एक्स कंपनी इन स्टारलिंक सैटेलाइट्स को डी-ऑर्बिट (Elon Musk will De Orbit 100 Satellites) करने की तैयारी कर रही है।
डी-ऑर्बिट का मतलब
डी-ऑर्बिट का मतलब (Elon Musk will De Orbit 100 Satellites) सैटेलाइट्स को धरती पर लाना। इस दौरान वह एटमॉस्फेयर पार करेगा. बस यहीं पर इन सैटेलाइट्स की बची-कुची जिंदगी भी खत्म हो जाएगी। वो जलकर खाक हो जाएंगे। वहीं, दुनियाभर के कई साइंटिस्ट इस बात को लेकर परेशान हैं कि जिस तरह से सैटेलाइट्स एटमॉस्फेयर पार करके धरती की तरफ आ रहे हैं, या फिर लाए जा रहे हैं। उससे वातावरण खराब हो रहा है। इसका असर धरती के जलवायु पर भी पड़ रहा है। क्योंकि इन सैटेलाइट्स में ओजोन को खतरा पहुंचाने वाले धातु होते हैं।
सैटेलाइट को धरती पर लाकर करना होगा खत्म
Why, Elon Musk will de orbit 100 satellites on Earth
5 साल पहले अमेरिका ने नया और सख्त नियम बनाया था कि जो भी सैटेलाइट्स लॉन्च होंगे उन्हें 25 साल के अंदर वापस धरती पर लाना होगा। सैटेलाइट्स को ऑर्बिट से दूर हटाना होगा। या तो ऊपर स्पेस में ग्रेवयार्ड ऑर्बिट में डालना होगा। या धरती पर लाकर खत्म करना होगा। इन सैटेलाइट्स में थोड़ा बहुत फ्यूल होता है. जो धरती पर लाते समय या तो खत्म कर दिया जाता है. या फिर वो वायुमंडल में जल कर खत्म हो जाता है। इस फ्यूल की वजह से भी वायुमंडल में केमिकल रिएक्शन होता है। आमतौर पर इन सैटेलाइट्स को प्रशांत महासागर में मौजूद प्वाइंट नेमो में गिराया जाता है।
इन सबके बावजूद कई बार सैटेलाइट्स अनियंत्रित तरीके से नीचे आते हैं। ये कहां गिरेंगे इसका पता करना कठिन होता है। हालांकि ज्यादातर वातावरण में जलकर खत्म हो जाते हैं। लेकिन कुछ टुकड़े जमीन तक आ ही जाते है। आजकल नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी सैटेलाइट का ऐसा डिजाइन बना रहे है, जिसे डिजाइन फॉर डिमाइस कहा जाता है।
यानी सेटेलाइट (Elon Musk will de orbit 100 satellites on Earth) मरने के लिए बनाया गया डिजाइन सैटेलाइट एटमॉस्फेयर में आते ही जलकर खाक हो जाए। इसका मकसद ये है कि सैटेलाइट के खतरनाक हिस्से जलते हुए धरती पर न पहुंचे और न ही उनसे किसी तरह का जानमाल का नुकसान हो। पर जो वायुमंडल में सैटेलाइट आकर जलते है उनसे सबसे ज्यादा नुकसान हमारे ओजोन लेयर को होता है।
ये मेटल स्ट्रैटोस्फेयर में बारीक कणों के रूप में घूमते रहते हैं। इससे ओजोन की परत हल्की होती है। धरती की निचली ऑर्बिट सबसे ज्यादा सैटेलाइट्स का घर है। यहां पर अकेले मस्क के 5,000 से ज्यादा स्टारलिंक सैटेलाइट्स घूम रहे है।
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