Digital Rape : इन दिनों आपको डिजिट रेप जैसे शब्द सुनने को मिल रहे होंगे। महीने भर पहले नोएडा पुलिस ने एक 60 साल और एक 50 साल के बुजुर्गों को डिजिटल रेप के आरोप में गिरफ्तार भी किया था। डिजिटल रेप (Digital Rape) सुनते ही सबसे पहले दिमाग में साइब क्राइम, या MMS, वल्गर फोटोज भेजने का मामला आता होगा, पर बता दें इस शब्द का इन सब से कोई लेना देना नहीं है। तो फिर है क्या ये डिजिटल रेप। चलिए समझते हैं, और भारत में इसकी क्या सजा है, इस पर कब कानून बना इसे भी जानते हैं।
Digital का मतलब
यह शब्द अंग्रेजी के ‘डिजिट’ शब्द से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ संख्या (number) है। इसके अलावा इस शब्द का अर्थ ‘उंगली या पैर की उंगलियां‘ भी है। ‘डिजिटल रेप’ जेंडर न्यूट्रल है और सभी प्रकार के पीड़ितों और अपराधियों पर लागू होता है। इसमें रेप विक्टिम्स को दो कैटेगरी में बांटा गया है- मेजर और माइनर यानी बालिग और नाबालिग।
Digital Rape क्या है
अगर कोई शख्स किसी बच्चे, लड़की, महिला (बालिग-नाबालिग) को गलत तरीके से उसके प्राइवेट पार्ट्स (Vagina, Urethra, Anus) को अपनी अंगुलियों या अंगूठे या किसी ऑबजेक्ट से छेड़ता या छूता है तो इसे डिजिटल रेप कहते हैं, यानी जो शख्स अपने डिजिट (उंगलियों-अंगूठों) का इस्तेमाल करके यौन उत्पीड़न करे तो ये डिजिटल रेप (Digital Rape) कहा जाता है। एक हैरानी की बात ये भी है कि, भारत में डिजिटल रेप पर कानून 2012 (Nirbhaya Case) के बाद लागू हुए। तब तक, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में डिजिटल रेप का उल्लेख नहीं था। पहले यह रेप की जगह छेड़छाड़ की श्रेणी में आता था।
DIGITAL RAPE – PUNISHMENT
POCSO अधिनियम की धारा 375 के अनुसार, डिजिटल रेप के मामले में दो प्रकार के अपराधी होते हैं, जो अपराध करते हैं – माइनर डिजिटल रेपिस्ट और मेजर डिजिटल रेपिस्ट। इस तरह का अपराध करने वाले लोगों पर POCSO अधिनियम की धारा 5 और 6 के तहत 50,000 रुपये की राशि का जुर्माना लगाया जाता है। POCSO अधिनियम के अनुसार, अपराधी को पांच साल की जेल की सजा दी जाएगी और अगर यह POCSO अधिनियम की धारा 376 के तहत आता है, तो जेल की अवधि को 10 साल की अवधि से लेकर आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
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