Child Born with DNA of 3 People : UK में पहली बार तीन लोगों के DNA से बने भ्रूण से बच्चे का जन्म हुआ। इस प्रोससे में 99.8 परसेंट DNA माता पिता से आता है, बचा 0.2 परसेंट महिला दाता से। खासत बात ये है कि, इस तरह से जन्मे बच्चे को कोई भी आनुवांशिक (hereditary) बीमारी नहीं होगी। न ही कोई नुकसानदेह जेनेटिक म्यूटेशन उसमें नजर आएगा। इसे माइटोकॉन्ड्रियल दान (Child Born with DNA of 3 People) उपचार के रुप में जाना जाता है। आइये , जानते हैं आने वाले बच्चों को इस अनुवांशिक बीमारी से छुटकारा दिलाने वाली इस नई तकनीक के बारे में।
इस तकनीक से पैदा हो चुके हैं 5 बच्चे
MTDNA से बच्चे पैदान करने वाले UK पहला देश नहीं है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस तकनीक से दुनियाभर में अब तक 5 बच्चों का जन्म हुआ है। पहला बच्चा 2016 में अमेरिका में इलाज करा रहे, जार्डन के एक परिवार में था। 2017 में दुसरे बच्चे ने जन्म लिया। 2021 में मैक्सिको में ‘Modern 3 DNA’ बच्चे का जन्म हुआ था।
बच्चे को नहीं होगी हेरिडटरी बीमारी
माइटोकॉन्ड्रिया रोग लाइलाज है और जन्म के कुछ दिनों या घंटे के अंदर ही खतरनाक भी हो सकता है। यह बीमारी नवजात को हेरिडेटरी रोग से ग्रसित मां से ट्रांसफर होती है। माइटोकॉन्ड्रियल दान उपचार (MTDNA) (Child Born with DNA of 3 People) को इसका विकल्प माना जा रहा है। यह IVF का एक संशोधित रुप है जो एक स्वस्थ डोनर अंडे से माइटोकॉन्ड्रिया का उपयोग करता है। यह पूरी प्रक्रिया IVF प्रजनन के जरिये महिला के शरिर के बाहर होती है। इसमें महिला के अंडाणु को सर्जरी से बाहर निकाल लिया जाता है।
क्या कहते हैं BHU के जीन साइंटिस्ट
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, BHU के जीन साइंटिस्ट ज्ञानेश्वर चौबे बताते हैं कि माइटोकॉन्ड्रिया कोशिकाओं का पावर हाउस है। यह कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करता है। इसमें गड़बड़ी होने पर कोशिकाओं को ऊर्जा नहीं मिल पाती है। इस कतनीक में क्षतिग्रस्त या कमजोर माइटोकॉन्ड्रिया को बदल दिया जाता है और हेल्दी माइयोटकॉन्ड्रिया से कोशिकाओं को फिर से ऊर्जा मिलने लगती है। भारत में इस तकनीक को लेकर अभी कोई खास काम शुरु नहीं हुआ है, पर यह तकनीक आने वाले समय में कई हेरेडटरी बीमारियों को अगली पीढ़ी में पहुंचने से रोक सकती है।
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