Call Spoofing : साइबर अपराधियों ने मनौरी वायु सेना स्टेशन में तैनात वायुसैनिक को कॉल स्पूफिंग का शिकार बनाया है। इंटरनेट से कॉल तो खुद की, लेकिन कॉलर आईडी वायुसैनिक की दिख रही थी। जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय स्कैमर गिरोह का हाथ है। शिकायत पर प्रयागराज के पूरामुफ्ती पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच में शुरु कर दी है।
समीर आजाद साइबर सेल, वायु सेना स्टेशन मनौरी में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी दी गई तहरीर में बताया कि 29 अप्रैल की शाम से उनके पास लगातार अलग-अलग राज्यों/ऑपरेटरों से फोन आ रहे हैं। फोन उठाने पर पर बताया जाता है कि उनकी मिस्ड कॉल थी, जबकि उन्होंने कोई कॉल की ही नहीं।
उन्होंने बताया कि वह झारखंड के रहने वाले हैं और जियो टेलीकॉल का नंबर चलाते हैं। मामले की शिकायत दूरसंचार विभाग भारत सरकार से भी की गई। साथ ही राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल में शिकायत दर्ज कराई गई। समीर ने बताया कि रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड, मुंबई की डीजीएम राधा नायर के अनुसार स्कैमर इंटरनेट के माध्यम से कॉल स्पूफिंग (Call Spoofing) कर रहे हैं।
इस कारण से उनका मोबाइल नंबर कॉलर आईडी में प्रदर्शित हो रहा है। कंपनी के अनुसार इससे जियो नेटवर्क का लेनादेना नहीं है और यह अंतरराष्ट्रीय स्कैमर है। इसे रोकने के लिए FIR दर्ज कर कार्रवाई जरूरी है।
क्या है Call Spoofing
साइवर एक्सपर्ट मो. हसन जैदी बताते हैं कि कॉल स्पूफिंग को एक तरह से आईडेंटिटी थेफ्ट भी कहा जा सकता है। दरअसल, इसमें साइबर अपराधी संबंधित व्यक्ति के नंबर से एक फेक कॉलर आईडी बना लेता है। इसके लिए वह अनाधिकृत तौर से मोबाइल का एक्सेस ले लेता है।
इसके बाद वह वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिये लोगों को कॉल करता है और इसमें कॉलर आईडी उसी व्यक्ति के नंबर की शो होती है, जिसके मोबाइल का अनाधिकृत एक्सेस (Call Spoofing) लिया गया है।
इससे बचने के लिए मोबाइल में प्रमाणित कंपनियों के एंटी वॉयरस सॉफ्टवेयर जरूर इंस्टाल करें। किसी भी अनजान लिंक को न खोलें। इसके अलावा टैफकॉप वेबसाइट पर जाकर यह भी चेक करें कि आपके आधार पर कितने सिम एक्टिवेट हैं।
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