Brad Pitt Tangaliya shirt: हॉलीवुड की हाई-ऑक्टेन F1 फिल्म में ब्रैड पिट के किरदार ‘सनी हेज़’ ने जितना ध्यान अपनी रेसिंग से खींचा, उतना ही चर्चा उनकी पहनी गई एक खास शर्ट (Brad Pitt Tangaliya shirt)को लेकर भी हुई. यह शर्ट थी गुजरात की पारंपरिक ‘टंगालिया’ बुनाई की, जिसे भारतीय सस्टेनेबल ब्रांड 11.11/eleven eleven से डिजाइनर Julian Day ने चुना.
शर्ट नहीं, परंपरा की झलक
पिट की ये शर्ट सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट नहीं, बल्कि 700 साल पुरानी भारतीय कारीगरी की पहचान है. नेचुरल इंडिगो से रंगी गई, जैविक कपास की इस शर्ट को 8 शिल्पकारों ने 9.2 घंटे में तैयार किया। शर्ट पर बने छोटे-छोटे दाने जैसे डिज़ाइन ‘टंगालिया’ बुनाई की विशेषता हैं, जो इसे खास बनाते हैं.
क्या है टंगालिया बुनाई?
Brad Pitt Tangaliya shirt
टंगालिया, जिसे ‘दाना बुनाई’ भी कहते हैं, गुजरात के सुरेंद्रनगर और कच्छ जिलों की परंपरागत हथकरघा कला है. इसमें बुनकर अंगुलियों से हर धागे की गिनती कर, उस पर अलग रंग के धागे लपेटते हैं, जिससे दोनों ओर से छोटे मोती जैसे डिजाइन बनते हैं. यह तकनीक बेहद कठिन और समय लेने वाली होती है.
प्यार और विद्रोह से जन्मी कला
लोककथा है कि एक भरवाड़ (चरवाहा) युवक ने एक बुनकर समुदाय की लड़की से विवाह कर लिया था. समाज से बहिष्कृत होने के बाद उसने बुनाई सीखी और भेड़ों की ऊन से नए पैटर्न वाले शॉल बनाने लगे. यहीं से ‘डांगासिया’ समुदाय की शुरुआत हुई जो आज भी टंगालिया को जीवित रखे हुए हैं.
कला से संस्कृति और आस्था का रिश्ता
डांगासिया समुदाय टंगालिया बुनाई को केवल रोज़गार नहीं, बल्कि आस्था से जोड़कर देखता है. वे शिव, शक्ति और जोधलपीर जैसे देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. टंगालिया की डिज़ाइन में भी अक्सर मोर, कुएं, पेड़ जैसे पर्यावरण से जुड़े प्रतीक होते हैं.
सस्टेनेबिलिटी का अनोखा मॉडल
आज टंगालिया में केवल ऊन ही नहीं, बल्कि ऑर्गेनिक कॉटन, रेशम और विस्कोस जैसी सामग्री भी इस्तेमाल होती है. ब्रांड्स जैसे 11.11/eleven eleven इस कला को सस्टेनेबल फैशन से जोड़कर दुनिया के सामने ला रहे हैं.
फैशन की दुनिया में टंगालिया की नई पहचान
ब्रैड पिट की शर्ट (Brad Pitt Tangaliya shirt) के बाद, टंगालिया को दुनिया भर में पहचान मिल रही है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे iTokri, Gaatha, Amazon’s Garvi Gurjari पर इसके शॉल, दुपट्टे और कुर्ती फैब्रिक मिल रहे हैं. छोटे ब्रांड जैसे RaasLeelaTextile और HolyThread India भी अब टंगालिया पर आधारित कपड़े बना रहे हैं.
भविष्य पर संकट भी बरकरार
2022 के रिसर्च के अनुसार, केवल 12% टंगालिया बुनकर 30 वर्ष से कम उम्र के हैं, और 48% बुनकर नहीं चाहते कि उनके बच्चे इस पेशे में आएं। कारण है – कम आमदनी, मशीन से बनी सस्ती नकलों का बाजार, और समर्थन की कमी. 88% बुनकरों की मासिक आय ₹5,000 से कम है, जिससे इस कला का भविष्य खतरे में है.
हॉलीवुड से लेकर हस्तशिल्प बाजार तक
F1 फिल्म में ब्रैड पिट द्वारा टंगालिया शर्ट पहनने से इस कला को नया जीवन मिल सकता है. इससे न केवल इंटरनेशनल डिमांड बढ़ी है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी आकर्षित किया जा सकता है. NIFT गांधीनगर जैसे संस्थानों के प्रयासों ने 2007 में टंगालिया हस्तकला संघ बनाया, जिससे 2009 में इसे GI टैग भी मिला.
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