Black Paper vs White Paper : संसद में गुरुवार को ब्लैक पेपर और व्हाइट पेपर की लड़ाई खूब देखने को मिली। जहां एक तरफ फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में श्वेत पत्र (White Paper) पेश किया, वहीं वहीं इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल पर Black पेपर (Black Paper vs White Paper) जारी किया था। आइये समझते है क्या है ये श्वेत पत्र।
निर्मला सीतारण के श्वेत पत्र में 2014 से पहले और 2014 के बाद की इंडियन इकोनॉमी के उतार-चढ़ाव की जानकारी दी जाएगी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने श्वेत पत्र के जरिए संप्रग शासनकाल के दस सालों के कारनामों की लोगों को फिर से याद दिलाई है। साथ ही यह भी बताया है कि 2014 में उन्हें जब सत्ता मिली थी, तो उस समय देश के हालात कैसे थे। आर्थिक स्थिति कैसी थी। इसे लाने के पीछे उद्देश्य को भी इस दौरान सरकार ने साफ किया है।
सरकार ने बताया था कि श्वेत पत्र लाने के पीछे (Black Paper vs White Paper) उनके चार उद्देश्य हैं..
- पहला- संसद सदस्यों और देश की जनता को वर्ष 2014 में सत्ता में आने के दौरान विरासत में मिले संसाधन, आर्थिक स्थिति से अवगत कराना।
- दूसरा- देशवासियों को अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए और अमृतकाल में लोगों के विकास के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराना।
- तीसरा- राजनीतिक लाभ के बजाय राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए उठाए गए कदमों को लेकर लोगों में भरोसा जगाना
- चौथा- देश को नई प्रेरणाओं और नए संकल्पों के साथ विकास के तैयार करना।
क्या है श्वेत पत्र और स्याह पत्र
White Paper VS Black Paper
श्वेत पत्र किसी विशिष्ट विषय या मुद्दे पर व्यापक जानकारी, विश्लेषण और प्रस्ताव प्रदान करता है। यह अक्सर सरकारों, संगठनों और विशेषज्ञों द्वारा नीति को आकार देने के लिए तैयार किया जाता है। अर्थव्यवस्था की बात करें तो यह राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, व्यापार नीति और विनिमय दर नीति जैसे विभिन्न विषयों पर पिछले कुछ वर्षों में सरकार की समग्र आर्थिक नीति का वर्णन, मूल्यांकन और विश्लेषण करता है। इसे सरकार की नीतियां व उपलब्धियां बताने और जनता की प्रतिक्रिया जानने के लिए भी पेश किया जाता है।
इसके उलट ब्लैक पेपर (स्याह पत्र) किसी विषय, मुद्दे या नीति पर असहमतिपूर्ण और आलोचनात्मक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है।
क्यों पड़ी इसकी जरूरत
आमतौर पर राजनीति में इसका इस्तेमाल (Black Paper vs White Paper) सरकार ऐतिहासिक रुप से नई पॉलिसी या कानून को पेश करने के लिए करती है। इसका इस्तेमाल गर्वनमेंट इनिशिएटिव, किसी स्कीम या पॉलिसी पर जनता की राय जानने के लिए किया जाता है।
ब्रिटेन में लाया गया था पहला श्वेत पत्र
दुनिया का पहला श्वेत पत्र ब्रिटेन में लाया गया था, इसके बाद गुलाम भारत में आया और फिर आजाद भात में भी श्वेत पत्र लाया गया। 90 के दशक से व्यापारिक कंपनियों ने भी अपने व्यापार और मार्केटिंग के लिए श्वेत पत्र लाना शुरु कर दिया।
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