Purnima Devi Barman : टाइम मैगजीन की इस वर्ष की ‘वुमन ऑफ द ईयर’ लिस्ट में एक भारतीय जीवविज्ञानी (Biologist) और वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशनिस्ट पूर्णिमा देवी बर्मन (Purnima Devi Burman) का नाम भी शामिल है. एक्ट्रेस निकोल किडमैन और फ्रांस की गिसेल पेलिकॉट के साथ 13 महिलाओं की 2025 की इस लिस्ट में 45 वर्षीय बर्मन एकमात्र भारतीय महिला हैं. बर्मन के काम की बदौलत, साल 2023 में धेनुक (एक प्रकार का पक्षी) को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के वर्गीकरण के तहत लुप्तप्राय स्थिति से हटाकर ‘निकट संकटग्रस्त’ (‘Near Endangered’) श्रेणी में लाया गया.
कौन है Purnima Devi Barman
पूर्णिमा देवी बर्मन का जन्म असम के कामरूप में हुआ. उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से पारिस्थितिकी और वन्यजीव जीवविज्ञान (Ecology and Wildlife Biology) में विशेषज्ञता के साथ जूलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की है. साल 2007 में पीएचडी के रिसर्च के दौरान उन्होंने एक शख्स को पेड़ काटते हुए देखा, जिस पर चिड़िया ने घोंसला बना रखा था. इसके बाद उन्होंने जीव और जानवरों के लिए काम करना शुरू कर दिया.
पूर्णिमा देवी बर्मन (Purnima Devi Barman) की बदौलत, असम में धेनुक की आबादी 1,800 से ज्यादा हो गई है. बर्मन की प्रोफाइल में लिखा है कि उन्हें 2007 का वह दिन आज भी याद है जब असम में रहते वक्त उन्हें एक फोन पर बताया गया कि एक पेड़ काटा जा रहा है, जो ‘ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क’ (धेनुक) के परिवार का घर था. इसके बाद उनकी जिंदगी बदल गई. उन्होंने वहां पहुंचकर मौके पर पूछा कि पेड़ क्यों काटा जा रहा ?
बर्मन ने कहा, सभी (धेनुक) ने मुझे घेर लिया और चहचहाना शुरू कर दिया. उस समय उनके जहन में अपनी नवजात जुड़वां बेटियों का ख्याल आ रहा था. क्योंकि धेनुक की तरह, वे भी बहुत छोटी थीं. बर्मन को पक्षियों को बचाने के लिए मजबूर होना पड़ा. उस समय, असम में करीब 450 बड़े धेनुक ही बचे थे.
धेनुक को बचाने के साथ शुरू हुई मुहिम
पूर्णिमा देवी बर्मन के प्रोफाइल में उनके हवाले से कहा गया कि धेनुक को बचाने की पहल के साथ ही पहली बार उन्हें ‘प्रकृति की पुकार का महत्व महसूस हुआ. उस दिन से उनका मिशन शुरू हुआ.’ प्रोफाइल में जिक्र किया गया कि 2007 में असम में महज 450 बड़े धेनुक बचे थे, लेकिन आज इसी प्रांत में धेनुक की जनसंख्या 1,800 से अधिक हो गई है.
निकोल व गिसेल का उल्लेखनीय योगदान
टाइम मैगजीन की इस साल की ‘वुमन ऑफ द ईयर’ लिस्ट में एक्ट्रेस निकोल किडमैन और फ्रांस की गिसेल पेलिकॉट का नाम भी शामिल हैं. इन दोनों महिलाओं के संघर्ष भी उल्लेखनीय हैं. गिसेल के पति ने उन्हें लंबे समय तक मादक पदार्थ दिया और 70 से अधिक अलग-अलग पुरुषों ने उनसे दुष्कर्म किया. उन्होंने यौन हिंसा के खिलाफ अभियान चलाया और विश्व में अपनी पहचान स्थापित की. इसी तरह एक्ट्रेस किडमैन ने यौन हिंसा के खिलाफ अभियान चलाया.
माहिला आत्मनिर्भरता पर जोर
टाइम मैगजीन ने कहा कि ‘वुमन ऑफ द ईयर’ की लिस्ट में उन्हीं महिलाओं को जगह दी जाती है, जो महिलाओं और लड़कियों की जिंदगी में बदलाव ला रही हैं. पूर्णिमा देवी बर्मन न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण कर रही हैं, बल्कि महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं. उनका काम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है.
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