Aspergillus flavus Fungus: एक जहरीला फंगस अब कैंसर की दवा के तौर पर इंसानों की जान बचाएगा. एक स्टडी ने जहरीले फंगस के एंटी कैंसर गुणों की खोज की है. हालांकि इस जहरीले फंगस के साथ एक दिलचस्प और खतरनाक इतिहास जुड़ा हुआ है.
बात नवंबर 1922 की है. पुरातत्वविद हावर्ड कार्टर राजा तूतनखामुन की बंद कब्र में छोटे से छेद के जरिये झांकने की कोशिश कर रहे थे. जब उनसे पूछा गया कि क्या वह कुछ देख पाए. उनका जवाव था, हां, आश्चर्यजनक चीजें. हालांकि, कुछ महीनों के भीतर ही कार्टर को वित्तीय मदद मुहैया करा रहे लॉर्ड कानांवान की रहस्यमय बीमारी से मौत हो गई. अगले कुछ वर्षों में कब्र की खुदाई करने वाली टीम के दूसरे सदस्यों की मौत भी इसी तरह से हो गई. इससे “फराओ के अभिशाप” की मिथ को और मजबूती मिली. यह डर या कहें मिथ एक सदी से भी ज्यादा समय से लोगों के जेहन में छाई हुई थीं.
कैंसर के खिलाफ बनेगा हथियार
दशकों से इन रहस्यमय मौतों के लिए अलौकिक शक्तियों को जिम्मेदार माना जाता रहा है, लेकिन एडवांस साइंस ने इसका कारण एस्परगिलस फ्लेक्स (Aspergillus flavus Fungus) नामक एक जहरीले फंगस को बताया है. दिलचस्प बात यह है कि अब इसी घातक फंगस को कैसर के खिलाफ लड़ाई में एक शक्तिशाली नए हथियार में बदला जा रहा है.
कैंसर का नया इलाज
रिसर्चस ने इस नए कंपाउंड को फंगस के नाम पर एस्परिजीमाइसिन्स नाम दिया. अगला कदम इन एस्परिजीमाइसिन्स का परीक्षण मानव कैंसर कोशिकाओं पर करना था. कुछ मामलों में इन्होंने कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ को रोका. इससे पता चलता है कि एस्परिजीमाइसिन्स एक दिन खास टाइप के कैंसर का नया इलाज बन सकता है.
फंगस के खास गुण
एस्परगिलसफ्लेक्स (Aspergillus flavus Research) एक आम फफूंद है जो मिट्टी, सड़ती हुई वनस्पतियों और स्टोर किए गए अनाज में पाया जाता है. यह कठोर वातावरण में जीवित रहने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है. जिसमें प्राचीन कब्रों के सीलबंद कक्ष भी शामिल हैं, जहां यह हजारों वर्षों तक निष्क्रिय पड़ा रह सकता है. छेड़े जाने पर फंगस बीजाणु छोड़ता है, जो गंभीर श्वसन संक्रमण (respiratory infection) पैदा कर सकता है. यह उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है.
फंगस ने ली विज्ञानियों की जान
इससे राजा तूतनखामुन के शाप और इसी तरह की दूसरी घटनाओं का स्पष्टीकरण मिलता है, जैसे कि 1970 के दशक में पोलैंड में कैसिमिर IV की कब्र में प्रवेश करने वाले कई वैज्ञानियों की मौत. दोनों मामलों में बाद में जांच में पाया गया कि एस्परगिलसफ्लेक्स वहां मौजूद था, और इसके विषाक्त पदार्थ संभवतः बीमारियों और मौतों के लिए जिम्मेदार थे.
जहर व दवा दोनों देती है प्रकृति
एस्परगिलस फ्लेक्स इस बात का शानदार उदाहरण है कि प्रकृति कैसे खतरे के साथ उस खतरे को खत्म करने के साधन भी पैदा करती है. सदियों से इस फंगस को प्राचीन कब्रों में रहने वाले साइलेंट किलर के तौर पर देखा जाता रहा है. अब विज्ञानी इस डर को एक उम्मीद में बदल रहे, जो जीवन बचाने वाली दवा बन सकता है.
फंगस पैदा करता है खास मालीक्यूल
अपनी घातक क्षमताओं के बावजूद फंगस अब विज्ञानियों के लिए बहुत उपयोगी कंपाउंड के तौर पर सामने आया है. यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवानिया के रिसर्चस ने पाया है कि यह फंगस एक खास तरह का मालीक्यूल पैदा करता है, जिसमे कैंसर से लड़ने की क्षमता है.
ये मालीक्यूल राइबोसोमली सिंथेसाइज्ड और पोस्ट ट्रांसलेशनली मोडिफाइड पेस्टाइड्स या आरआइपीपीएस नामक समूह से जुड़े हैं. आर आइपीपी एस कोशिका की प्रोटीन फैक्ट्री राइबोसोम द्वारा बनाए जाते हैं और बाद में उनके फंक्शन को बढ़ाने के लिए रासायनिक बदलाव किए जाते है. वैसे बैक्टीरिया में हजारों आरआइपीपीएस की पहचान की गई है लेकिन फंगस में ये बहुत कम संख्या में पाए गए है.
कैंसर के खिलाफ बनेगा हथियार
दशकों से इन रहस्यमय मौतों के लिए अलौकिक शक्तियों को जिम्मेदार माना जाता रहा है लेकिन आधुनिक विज्ञान ने इसका कारण एस्परगिलस फ्लेक्स नामक एक जहरीले फंगस को बताया है। दिलचस्प बात यह है कि अब इसी घातक फंगस को कैसर के खिलाफ लड़ाई में एक शक्तिशाली नए हथियार में बदला जा रहा है.
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