Benefits of one nation one election : देश में लोकसभा और विधानसभा के एक साथ चुनाव से पैसे की बड़ी बचत का पहलू तो स्पष्ट है ही, लेकिन आर्थिक विशेषज्ञों का आकलन है कि इससे जीडीपी में लगभग 1.5 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। वहीं, इसके लागू होने पर सरकारें सही मायने में कम से कम साढ़े चार वर्ष विकास कार्य (Benefits of one nation one election) कर पाएंगी। अभी लगातार अलग अलग होने वाले चुनावों और आचार संहिता के कारण सरकारों के हाथ 12-15 महीने तक बंधे रहते हैं. यानी पांच साल के लिए चुनी गई सरकार सही मायने में चार साल से कम ही काम करती है.
Benefits of one nation one election
चुनाव के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों के विशेषज्ञ डॉ प्राची मिश्रा और उच्चस्तरीय समिति के सदस्य एनके सिंह ने राम नाथ कोविन्द समिति के समक्ष एक रिसर्च प्रस्तुत किया. ‘मैक्रो इकोनमिक्स इम्पैक्ट आफ हारमोनाइजिंग इलेक्टोरल साईकिल’ शीर्षक के इस रिसर्चपेपर में बार-बार होने वाले चुनावों की तुलना में समकालिक यानी एक साथ चुनाव होने की अवधि के दौरान अपेक्षाकृत उच्च आर्थिक वृद्धि, कम मुद्रास्फीति, अधिक निवेश और व्यय का उल्लेख किया गया है.
इस रिसर्च में समकालिक चुनाव चक्र के एक या दो साल पहले और बाद की अवधि की तुलना की गई है. माना गया है कि बार बार चुनावों के समाज पर और भी अनेक प्रभाव पड़ते हैं. उदाहरण के तौर पर इसके कारण आने वाली अनिश्चितता से सरकार की डिसीजन लेने की प्रक्रिया बाधित होती है. परियोजनाएं पूरा होने में देरी होती है और विकास कार्य प्रभावित होते हैं.
रिसर्च में कहा गया है कि भारत में 1952 से 2023 तक हर साल एवरेज छह चुनाव हुए. यह आंकड़ा सिर्फ लोकसभा और विधानसभा के बार-बार होने वाले चुनावों का है. अगर स्थानीय चुनावों को शामिल कर लिया जाए तो हर साल चुनावों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी.
क्या है भारत में एक देश, एक चुनाव का इतिहास
History of One Nation, One Election in India?
- भारत के पहले चार आम चुनावों (1951-52, 1957, 1962, 1967) के दौरान मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव के साथ अपने राज्यों की विधानसभाओं के लिए भी वोट डालें.
- बाद में नए राज्य बनने और कुछ राज्यों के पुनर्गठन के बाद यह प्रक्रिया बंद हो गई.
- 1968-69 में कुछ राज्यों की विधानसभाओं को भंग किया गया. इससे लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद हो गई.
- 1983 में चुनाव आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराने की व्यवस्था फिर से शुरू का सुझाव दिया.
- 1999 में विधि आयोग की रिपोर्ट में भी एक देश, एक चुनाव का उल्लेख किया गया. 2018 में विधि आयोग ने दोबारा एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया.
- मई, 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने बार- बार एक देश, एक चुनाव के विचार का समर्थन किया है.
- एक देश, एक चुनाव के समर्थकों का कहना है कि इससे देश में हर दूसरे महीने कहीं न कहीं चुनाव नहीं होंगे.
- एग्जाम्पल के लिए जम्मू – कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं, वहीं हरियाणा के मतदाता विधानसभा चुनाव के लिए अक्टूबर में मतदान करेंगे। महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव अगले कुछ महीनों में होने वाले हैं.
- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होते हैं.
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