Bangladesh Protest : बांग्लादेश में इस साल जनवरी में हुए चुनाव में लगातार चौथी बार शेख हसीना ने जीत हासिल की थी, लेकिन 6 महीने बाद ही उनके खिलाफ जनता का गुस्सा इतना उग्र हो गया कि उन्हें इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ गया. आइये जानते हैं लगातार चार बार देश की प्रधानमंत्री बनने वाली शेख हसीने से ऐसी क्या गल्ती या उन्होंने ऐसा कोन सा निर्णय ले लिया कि बांग्लादेश की जनता उनसे इतना नाराज हो गई.
क्यों शुरू हुआ Bangladesh Protest
सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन जुलाई में शुरू हुआ था. हजारों छात्र सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन (Bangladesh Protest) 16 जुलाई को हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारी छात्र सुरक्षा अधिकारियों और सरकार समर्थक कार्यकर्ताओं से भिड़ गए. अधिकारियों को आंसू गैस छोड़नी पड़ी, रबर की गोलियां चलानी पड़ीं और देखते ही गोली मारने के आदेश के साथ कर्फ्यू लगाना पड़ गया.
इंटरनेट बैन हुआ
हालात काबू करने के लिए इंटरनेट और मोबाइल डाटा पर बैन लगा दिया गया. पिछले महीने हिंसा में 150 लोग मारे गए और पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के स्वतंत्रता संग्राम मे लड़ने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 परसेंट तक सरकारी नौकरियों में आरक्षण था. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इससे अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को फायदा हुआ.
जांच का किया था वादा
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इंटरनेट बहाल कर दिया. उम्मीद थी कि स्थिति नॉर्मल हो जाएगी. लेकिन विरोध लगातार बढ़ता गया और शेख हसीना ने हिंसा को दबाने के दौरान अधिकारियों की ओर से की गई लापरवाही की जांच और कार्रवाई की भी बात कही थी. लेकिन छात्र नेताओं ने इसे अस्वीकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुधरे हालात
बांग्लादेश में 56 परसेंट आरक्षण से छात्र परेशान थे. खासकर 30 परसेंट आरक्षण बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शामिल लोगों के स्वजन को दिया गया था. कुछ साल पहले छात्रों के विरोध (Bangladesh Protest) के बाद सरकार ने इस 30 परसेंट आरक्षण पर रोक लगा दी थी. बाद में इसे हाईकोर्ट ने बहाल कर दिया, जिससे छात्र गुस्से में थे. सुप्रीम कोर्ट ने 56 परसेंट आरक्षण को कम कर 7 परसेंट कर दिया. इसके बाद देश में हालात शांत हो गए थे.
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