Yoga for Lungs : योग किसी दवा या उपचार पद्धति का विकल्प नहीं है। एक दिन में आराम भी नहीं आता। पर, यौगिक क्रियाओं से फेफड़ों को सेहतमंद और विभिन्न रोगों से बचाने में मदद जरूर मिलती है। जानते हैं, फेफड़ों को सशक्त बनाने वाले कुछ आसनों (Yoga for Lungs) के बारे में
4 Best Yoga for Lungs
- उष्ट्रासन
तरीका : घुटनों के बल या वज्रासन में बैठें. फिर तलवों को कंधों के समानांतर खोलते हुए घुटनों के बल खड़े हो जाएं. सांस लेते हुए धीरे से पीछे की ओर झुकें. अब दाएं हाथ को दाएं तलवे से और बाएं को बाएं तलवे पर टिकाएं। सहज श्वास भरकर अंदर रोकें. 10-15 सेकेंड बाद श्वास छोड़ते हुए फिर से घुटनों के बल खड़े हो जाएं. पांच सेकेंड बाद फिर 15 सेकेंड के लिए वज्रासन में बैठ जाएं। इसे 10 बार दोहराएं.
ध्यान दें
शुरू में इस आसन को लगभग 5 मिनट तक साधें. इसके बाद इसकी अवधि बढ़ा सकते हैं. उष्ट्रासन का अभ्यास प्रारंभ करने के दो हफ्ते बाद योगाभ्यासी को इसके फायदे दिखने लगते हैं.
- पादोत्तानासन
ध्यान : पीठ के बल लेटकर सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। फिर श्वास भरते हुए दाएं पैर व बाएं हाथ को व कोहनियां सीधी रखें. सहज श्वास के साथ अंतकुंभक लगाएं (सांस भरकर अंदर रोकना) 15 सेकेंड बाद सांस छोड़ते हुए हाथ व पैर को शवासन में ले आएं. 10 सेकेंड रुककर अब यही क्रिया बाएं पैर और दाएं हाथ से दोहराएं. बारी बारी इसे पांच बार करें, फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों व पैरों को एक साथ उठाएं. 15 सेकेंड के अंतकुंभक के बाद फिर सांस छोड़ते हुए शवासन करें. इसे सुबह करें, इससे पैरों का रक्त संचार बेहतर होता है. दिल व फेफड़े मजबूत होते हैं।
ध्यान दें
शुरू में इसे 5 मिनट तक कर सकते हैं. आसन करते समय अपनी क्षमता का ध्यान रखें.
- भस्त्रिका प्राणायाम
भीषण गर्मी के इन दिनों में चंद्र भस्त्रिका (Yoga for Lungs) करें. दाहिनी नासिका को अंगूठे से दबाकर बंद कर दें और बायीं नासिका से सामान्य से थोड़ी अधिक शक्ति से तब तक सांस लें और छोड़ें, जब तक थकान महसूस न होने लगे. करीब 30 सेकेंड के विश्राम के बाद फिर अनुलोम-विलोम भस्त्रिका करें। इसके लिए ताकत के साथ बायीं नासिका से सांस लें और दायीं से छोड़ें. फिर दायीं नासिका से सांस लें और बायीं से निकालें. इसे 21 बार करें, फिर, दोनों नथुनों से सामान्य से थोड़ी अधिक शक्ति लगाकर सांस लें व ताकत से छोड़ें. इसे कम-से-कम 21 बार करें.
ध्यान दें – उच्च रक्तचाप यानी हाई बीपी के रोगी इसे न करें.
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम
प्रथम चरण में दाहिनी नासिका अंगूठे से दबाएं और तीन तक की गिनती के साथ बायीं नासिका से श्वास भरें, फिर तीन तक की गिनती करते हुए सांस रोकें और तीन तक की गिनती के साथ ही दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें। यही प्रक्रिया बायीं नासिका को बंद कर दोहराएं। दूसरे चरण में, दायीं नासिका को बंद करते हुए तीन तक की गिनती के साथ बायीं नासिका से सांस लें, छह तक की गिनती तक सांस रोकें और छह की ही गिनती के साथ दायीं नासिका से सांस छोड़ें। 10 सेकेंड का ब्रेक लें. फिर यही प्रक्रिया दायीं नासिका को बंद कर दोहराएं. तीसरे चरण में, 3 तक की गिनती के साथ बायीं नासिका से सांस लें, 12 तक की गिनती करते हुए सांस रोकें और 6 की गिनती से दायीं नासिका से सांस छोड़ें. फिर बाएं नथुने को बंद कर यही प्रक्रिया दुहराएं। इसे 11-11 बार करें.
लाभ : फेफड़ों को डिटॉक्स करता है. फेफड़ों तक ऑक्सीजन की पूर्ति बढ़ती है.
ध्यान दें – यह प्राणायाम 10 मिनट तक खाली पेट कर सकते हैं, जबरजस्ती अधिक न करें.
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