अयोध्या राम मंदिर में
रामलला
की मूर्ति को इस तरह से
स्थापित
किया जा रहा है कि हर साल रामनवमी को भगवान
सूर्य
स्वयं उनका
अभिषेक
करेंगे.
प्रख्यात अंतरिक्ष
वैज्ञानिकों
की सलाह पर मूर्ति की
लंबाई
और उसे स्थापित करने की
ऊंचाई
को खास तरीके का रखा गया है.
हर साल
चैत्र मास
के शुक्ल पक्ष की
नवमी
तिथि को दोपहर
12 बजे
सूर्य की किरणें
प्रभु श्रीराम
के
ललाट
पर पड़ेंगी.
स्थापना के लिए रामलला की
3
मूर्तियां
निर्मित
कराई गई हैं.
इनमें से
दो
श्याम वर्णी शिला से निर्मित हैं और एक
संगमरमर
से बना है.
भूतल में अकेले
रामलला
की मूर्ति स्थापित होगी, प्रथम तल पर
श्रीराम
के साथ मां सीता,
तीनों भाई
व हनुमानजी की प्रतिमा भी
स्थापित
होगी.
Video - X (@ShriRamTeerth)
रामलला
की चुनी गई मूर्ति की पैर से लेकर ललाट तक की लंबाई
51 इंच
है और इसका वजन
डेढ़
टन है.
51 इंच
ऊंची मूर्ति के ऊपर मस्तक, मुकुट और
आभामंडल
को भी बारीकी से तैयार किया गया है.
Image - X (@ShriRamTeerth)
रामलला
के चेहरे की कोमलता, आंखों की कृति,
मुस्कान
को देखते हुए
मूर्ति
का चयन
किया
गया है.
प्रभु श्रीराम
की मूर्ति की एक विशेषता यह भी है कि इसे अगर
जल-दूध
से स्नान कराया जाएगा, तो इसका नकारात्मक
प्रभाव पत्थर
पर नहीं पड़ेगा.
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अगर कोई उस
जल या दूध
का आचमन करता है तो शरीर पर भी इसका
दुष्प्रभाव
नहीं होगा.
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अयोध्या
में बन रहे राम मंदिर की
10
बड़ी खूबियां !
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